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Hindi News पैसा बिज़नेस शेयर बाजार के लिए 4 साल में सबसे खराब साबित हुआ 2015, एफपीआई की बिकवाली से 1660 अंक टूटा सेंसेक्स

शेयर बाजार के लिए 4 साल में सबसे खराब साबित हुआ 2015, एफपीआई की बिकवाली से 1660 अंक टूटा सेंसेक्स

2014 में निवेशकों को मालामाल करने वाले शेयर बाजार ने इस निराश किया है। भारी उतार-चढ़ाव के बीच 2015 शेयर बाजार के लिए चार साल का सबसे बुरा दौर रहा।

शेयर बाजार के लिए 4 साल में सबसे खराब साबित हुआ 2015, एफपीआई की बिकवाली से 1660 अंक टूटा सेंसेक्स- India TV Paisa शेयर बाजार के लिए 4 साल में सबसे खराब साबित हुआ 2015, एफपीआई की बिकवाली से 1660 अंक टूटा सेंसेक्स

मुंबई। 2014 में निवेशकों को मालामाल करने वाले शेयर बाजार ने इस निराश किया है। भारी उतार-चढ़ाव के बीच 2015 शेयर बाजार के लिए चार साल का सबसे बुरा दौर रहा। इस दौरान विदेशी निवेशकों ने जहां शेयर बाजार के प्रमुख सूचकांकों को उच्चतम स्तर पर पहुंचा दिया, बाद में उन्हीं निवेशकों की बिकवाली ने हवा निकाल दी। इसकी वजह से 2014 में 30 फीसदी रिटर्न देने वाले शेयर बाजार ने इस साल 6 फीसदी निगेटिव रिटर्न दिया है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक शेयर बाजार में आई गिरावट की प्रमुख वजह विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) की भारी बिकवाली है।

2015 में शेयर बाजार की कैसी रही चाल

इस साल अब बाजार में कारोबार के चार दिन बचे है। मुंबई बाजार का सेंसेक्स इस साल 1660 अंक (6 फीसदी) से अधिक के नुकसान में है। पिछले साल इसमें करीब 30 फीसदी की बढ़त दर्ज की गई थी। इससे पहले सेंसेक्स 2011 में 24 फीसदी गिरा था। इस समय सेंसेक्स 25,838.71 पर है। साल के शुरू में रिजर्व बैंक की नीतिगत ब्याज दर में कटौती से उत्साहित होकर 30,024 पर पहुंच गया था। इस साल 24 अक्टूबर को संसेक्स को एक दिन का सबसे बड़ा झटका लगा था। उस दिन चीन के युआन के भारी अवमूल्यन के बाद वैश्विक स्तर पर मची खलबली में सेंसेक्स 1,624.51 अंक टूट गया था। नेशनल स्टाक एक्सचेंज का निफ्टी भी 2015 में करीब छह फीसदी नीचे रहा।

मेटल, बैंकिंग, रीयल्टी इंडेक्स में भारी गिरावट

इस साल मेटल, बैंकिंग, रीयल्टी और सार्वजनिक उपक्रम के शेयर रह काफी नुकसान में रहे। कमोडिटी बाजार में गिरावट के चलते बीएसई का मेटल इंडेक्स 32 फीसदी से अधिक टूट चुका है, जबकि रीयल्टी करीब 15 फीसदी, बैंक 10 फीसदी से अधिक की गिरावट दर्ज की गई। इसके अलावा सार्वजनिक उपक्रम 18 फीसदी से अधिक गिरे हैं। स्वास्थ्य और टिकाऊ उपभोक्ता वस्तु बनाने वाली कंपनियों के शेयरों पर आधारित इंडेक्स ने हालांकि इस दौरान अच्छा प्रदर्शन किया।

शेयर बाजार में गिरावट की प्रमुख वजह

विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने भारी बिकवाली कर वर्ष की दूसरी छमाही में भारतीय शेयर बाजारों की स्थिति बदल दी। ये निवेशक इससे पहले लंबे समय से भारत को अपना सबसे पसंदीदा उभरता बाजार बनाए हुए थे। इस साल भारतीय बाजार में कुल एफपीआई प्रवाह घटकर सिर्फ तीन अरब डॉलर रह गया, जबकि ऐसे निवेशकों ने पिछले तीन साल में सालाना औसतन 20-20 अरब डॉलर का निवेश किया था। वास्तव में वर्ष के दौरान एफपीआई शेयर बाजार में शुद्ध बिकवाल रहे।

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