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Hindi News पैसा बिज़नेस कोविड प्रभावित क्षेत्रों के लिये 1.1 लाख करोड़ रुपये की लोन गारंटी योजना का ऐलान

कोविड प्रभावित क्षेत्रों के लिये 1.1 लाख करोड़ रुपये की लोन गारंटी योजना का ऐलान

नई घोषित योजना के तहत अधिकतम ऋण राशि 100 करोड़ रुपये होगी और गारंटी की अवधि तीन साल तक होगी। हेल्थ सेक्टर के लिए लोन पर 7.95 प्रतिशत सालाना से अधिक ब्याज नहीं होगा।

<p>कोविड प्रभावित...- India TV Paisa Image Source : PTI (FILE) कोविड प्रभावित क्षेत्रों के लिये राहत का ऐलान

नई दिल्ली| कोविड संकट से अर्थव्यवस्था को बाहर निकलने के लिये वित्त मंत्री ने आज कई बड़े ऐलान किये। इसमें सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्रों को आसान शर्तों पर कर्ज देना शामिल है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को कोविड प्रभावित क्षेत्रों के लिए 1.1 लाख करोड़ रुपये की ऋण गारंटी योजना की घोषणा की। इस योजना में स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए 50,000 करोड़ रुपये का ऋण शामिल होगा, जिसका उद्देश्य दूरदराज के क्षेत्रों में हेल्थकेयर इंफ्रास्ट्रक्चर को स्थापित करने के लिये मदद देना है।

कोरोना महामारी से बुरी तरह प्रभावित हुई अर्थव्यवस्था में नई जान फूंकने के लिए केंद्र सरकार ने एक राहत के तौर पर इस पैकेज का ऐलान किया है। इस योजना में विस्तार के लिए गारंटी कवर और आठ महानगरों के अलावा अन्य शहरों में स्वास्थ्य और चिकित्सा बुनियादी ढांचे से संबंधित नई परियोजनाएं शामिल होंगी। जिलों के लिए, नई परियोजनाओं और विस्तार दोनों के लिए गारंटी कवर 75 प्रतिशत होगा।

नई घोषित योजना के तहत अधिकतम ऋण राशि 100 करोड़ रुपये होगी और गारंटी की अवधि तीन साल तक होगी। हेल्थ सेक्टर के लिए लोन पर 7.95 प्रतिशत सालाना से अधिक ब्याज नहीं होगा। वित्त मंत्री सीतारमण ने यह भी कहा कि गारंटी नेशनल क्रेडिट गारंटी ट्रस्टी कंपनी लिमिटेड द्वारा प्रदान की जाएगी। इस योजना के तहत, स्वास्थ्य के अलावा अन्य क्षेत्रों के लिए 8.25 प्रतिशत प्रति वर्ष की ब्याज दर पर 60,000 करोड़ रुपये के ऋण की अनुमति होगी। गारंटी कवर के बिना सामान्य ब्याज दर 10 से 11 प्रतिशत है।सीतारमण ने कोरोना महामारी के बीच स्वास्थ्य क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए पब्लिक हेल्थ के लिए बड़े पैकेज की घोषणा की है। केंद्र के इस कदम के साथ ही महामारी के समय में इमरजेंसी हेल्थ सर्विसेस को बढ़ावा मिलेगा।

कोरोना संकट की वजह से मजबूत हेल्थ सेक्टर की जरूरत सामने आई है। अचानक मरीजों की संख्या में आई बढ़त के बाद कई जगह लोग स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी का शिकार बनें। वहीं बीमारी के शुरुआत में हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी की वजह से सरकार को लंबे और सख्त लॉकडाउन जैसे कड़े कदम उठाने पड़े।  

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