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FSSAI खाद्य परीक्षण किट खरीदने के लिए करेगी 20 करोड़ रुपए, त्‍वरित परीक्षण करने में मिलेगी मदद

एफएसएसएआई के अनुसार, 30 रैपिड किट में से केवल दो स्वदेशी हैं, बाकी आयात किए जाते हैं। कई शोध और वैज्ञानिक संस्थान ऐसे किट और उपकरणों के विकास में लगे हुए हैं।

FSSAI to spend Rs 20cr for procuring food testing kits- India TV Paisa FSSAI to spend Rs 20cr for procuring food testing kits

नई दिल्‍ली। खाद्य सुरक्षा नियामक एफएसएसएआई ने मंगलवार को कहा कि वह देश भर में राज्य स्तर के फील्ड अधिकारियों के लिए खाद्यों का किफायती तरीके से त्वरित परीक्षण करने वाले किट या उपकरण को खरीदने के लिए 20 करोड़ रुपये खर्च करेगी।

नियामक 30 रैपिड फूड टेस्टिंग किट खरीदने की मंजूरी दे चुका है। भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) के मुख्य कार्याधिकारी पवन अग्रवाल ने कहा कि अकेले भारत में इस तरह के किट/उपकरणों का 1,000 करोड़ रुपये का बाजार है। उन्होंने कहा कि रैपिड फूड टेस्टिंग किट और उपकरणों का व्यापक उपयोग वर्ष 2020 में भारत के लिए स्थिति में क्रांतिकारी बदलाव लाने वाला साबित हो सकता है। इससे बाजार में उपलब्ध भोजन के प्रति आम जनता का अधिक विश्वास कायम हो सकता है।

उन्होंने एक बयान में कहा कि अभी तक 30 उपकरणों पर पांच करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं, जो विभिन्न खाद्य उत्पादों जैसे दूध और खाद्य तेलों पर किए गए परीक्षणों के लिए त्वरित और मान्य परिणाम प्रदान कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि एफएसएसएआई 20 करोड़ रुपए खर्च करके त्वरित खाद्य परीक्षण किट और उपकरण खरीदेगा। ये राज्य सरकारों के माध्यम से फील्ड अधिकारियों को प्रदान किया जाएगा।

एफएसएसएआई के अनुसार, 30 रैपिड किट में से केवल दो स्वदेशी हैं, बाकी आयात किए जाते हैं। कई शोध और वैज्ञानिक संस्थान ऐसे किट और उपकरणों के विकास में लगे हुए हैं। इन उपकरणों को सरकारी ई-प्रोक्योरमेंट मार्केटप्लेस (जीईएम) पोर्टल पर उपलब्ध कराने के लिए कदम उठाए गए हैं, ताकि राज्य सरकारों और स्थानीय निकायों द्वारा अपने दम पर आगे की खरीद की जा सके। इसमें कहा गया है कि एफएसएसएआई ने कई कदम उठाए हैं ताकि स्वदेशी रूप से विकसित उपकरणों को फास्ट ट्रैक आधार पर एफएसएसएआई नियमों के तहत मान्य और मंजूरी प्रदान की जा सके।

अग्रवाल ने आशा व्यक्त की कि विभिन्न राज्य जीईएम पोर्टल से ऐसे किट/उपकरण भी खरीदेंगे ताकि उन्हें प्रवर्तन अधिकारियों को व्यापक रूप से उपलब्ध कराया जा सके। 

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