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खुखशबरी: एचडीएफसी ने घटाई ब्याज दरें, लोन लेना होगा सस्ता और EMI भी होगी कम

प्राइवेट क्षेत्र के बड़े एचडीएफसी बैंक ने विभिन्न अवधि के लिए अपने मार्जिनल कॉस्ट लेंडिंग रेट (MCLR) में 10 बेसिस प्वाइंट यानी 0.10 फीसदी की कटौती की है।

HDFC Bank- India TV Paisa HDFC Bank

नई दिल्ली। प्राइवेट क्षेत्र के बड़े एचडीएफसी बैंक ने विभिन्न अवधि के लिए अपने मार्जिनल कॉस्ट लेंडिंग रेट (MCLR) में 10 बेसिस प्वाइंट यानी 0.10 फीसदी की कटौती की है। बैंक की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक, नई दरें 7 नवंबर यानी आज से लागू हो गई हैं। बैंक ने दरों की लिस्ट अपनी वेबसाइट पर अपलोड कर दी है। इसके बाद बैंक का होम लोन, ऑटो लोन और पर्सनल लोन सस्ता हो जाएगा। एमसीएलआर घटने से आम आदमी को सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि उसका मौजूदा लोन सस्ता हो जाता है और उसे पहले की तुलना में कम EMI देनी पड़ती है।

HDFC Bank cuts MCLR in november

एचडीएफसी बैंक ने छह माह के एमसीएलआर में पांच बीपीएस यानी 0.05 फीसदी की कटौती करते हुए इसे 8.1 फीसदी कर दिया है। बैंक ने दो साल और तीन साल के एमसीएलआर को कम किया है। एक साल के एमसीएलआर में भी 0.5 फीसदी की कटौती की गई है। ये घटकर 8.3 फीसदी पर पहुंच गए हैं। हालांकि, बैंक ने ओवरनाइट, एक महीने और तीन महीने के एमसीएलआर में कोई परिवर्तन नहीं किया है। इससे पहले बैंक ने अगस्त माह में एमसीएलआर में बदलाव किया था। तब इसने सभी अवधि के एमसीएलआर में 0.10 फीसदी की कमी की थी।

गौरतलब है कि इस साल की शुरुआत से आरबीआई रेपो रेट में पांच बार कटौती कर चुका है। इस कटौती में रेपो दर कुल मिलाकर 135 बेसिस पॉइंट्स यानी 1.35 फीसदी की कटौती की है। इसके बाद तमाम बैंक भी लोन पर ब्याज दरों को घटा रहे हैं। केन्द्रीय बैंक ने रेपो रेट में कटौती के बाद सभी बैंकों से कहा है कि वह कटौती का लाभ तुरंत ग्राहकों को दें। दरअसल, आरबीआई को ऐसी शिकायत मिली थी कि बैंक रेपो रेट में कटौती का पूरा लाभ ग्राहकों को नहीं दे रहे हैं।  

ब्याज दरों में कटौती का असर तेजी से दिखाई दे, इसके लिए केंद्रीय बैंक ने बैंकों को बाहरी बेंचमार्क से जुड़ी ब्याज दर की व्यवस्था को अपनाने के लिए कहा है। सभी सरकारी बैंकों के लिए एक अक्टूबर से बाहरी बेंचमार्क से जुड़ी ब्याज दर की व्यवस्था लागू करना अनिवार्य हो गया है। वे नए फ्लोटिंग रेट लोन इसी व्यवस्था के तहत देंगे।

आपको बता दें कि एमसीएलआर वह दर होती है जिस पर किसी बैंक से मिलने वाले ब्याज की दर तय होती है। इससे कम दर पर देश का कोई भी बैंक लोन नहीं दे सकता है, सामान्य भाषा में यह आधार दर ही होती है।

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