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Hindi News पैसा बिज़नेस अक्टूबर में देश का निर्यात 5.4 प्रतिशत गिरा, व्यापार घाटा भी हुआ कम

अक्टूबर में देश का निर्यात 5.4 प्रतिशत गिरा, व्यापार घाटा भी हुआ कम

देश से वस्तुओं का निर्यात अक्टूबर 2020 में 24.82 अरब डॉलर रहा। यह पिछले साल अक्टूबर के 26.23 अरब डॉलर के निर्यात से 5.4 प्रतिशत कम है। वहीं अक्टूबर के दौरान देश का आयात भी 11.56 प्रतिशत गिरकर 33.6 अरब डॉलर रहा। वहीं देश का व्यापार घाटा पिछले साल के मुकाबले 11.76 अरब डॉलर से घटकर 8.78 अरब डॉलर रहा।

<p><span lang="HI" style="font-size: 10.5pt; line-height:...- India TV Paisa Image Source : GOOGLE देश का निर्यात 5.4 प्रतिशत गिरा

नई दिल्ली। देश का निर्यात अक्टूबर में 5.4 प्रतिशत गिरकर 24.82 अरब डॉलर पर आ गया। मंगलवार को जारी सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इसकी वजह पेट्रोलियम उत्पादों, रत्न एवं आभूषणों और चमड़े की निर्यात आय में कमी आना है। चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-अक्टूबर अवधि में देश का निर्यात 150.07 अरब डॉलर रहा। यह पिछले वित्त वर्ष 2019-20 की इसी अवधि की तुलना में 19.05 प्रतिशत कम है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘ देश से वस्तुओं का निर्यात अक्टूबर 2020 में 24.82 अरब डॉलर रहा। यह पिछले साल अक्टूबर के 26.23 अरब डॉलर के निर्यात से 5.4 प्रतिशत कम है।’’ अक्टूबर के दौरान देश का आयात भी 11.56 प्रतिशत गिरकर 33.6 अरब डॉलर रहा। बयान में कहा गया है कि इस प्रकार अक्टूबर में देश शुद्ध तौर पर आयातक रहा। देश का व्यापार घाटा 8.78 अरब डॉलर रहा। पिछले साल इसी माह 11.76 अरब डॉलर का व्यापार घाटा था।

अक्टूबर के दौरान जिन सेक्टर में गिरावट देखने को मिली है उसमें पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स में 53 फीसदी, जेम्स और ज्वैलरी में 21 फीसदी, चमड़े के सामान में 16 फीसदी, यार्न फैब्रिक में 12 फीसदी, इलेक्ट्रॉनिक गुड्स में 9 फीसदी और कॉफी में 9 फीसदी की गिरावट रही है। वहीं चावल, लौह इस्पात, फार्मा, मसाले, कपास और रसायन के निर्यात में बढ़त का रुख रहा है।

कोरोना महामारी की वजह से दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाएं रिकवरी का इंतजार कर रही हैं, जिसकी वजह से उत्पादों की मांग में सबसे ज्यादा असर देखने को मिला है। भारत से रत्न और आभूषण, चमड़े के उत्पादों आदि का बड़े पैमाने पर निर्यात किया जाता है, हालांकि यूरोप और अमेरिका में कोरोना के नए मामलो में एक बार फिर बढ़त से नए प्रतिबंध लगने की आशंका बन गई है जिससे इन उत्पादों की मांग में रिकवरी की संभावनाओं को भी झटका लगा है। जिसका असर निर्यात के आंकड़ों में देखने को मिला है।  

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