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Hindi News पैसा बिज़नेस लंबे समय तक सुस्ती जारी रहने पर देश को विदेश व्यापार के मोर्चे पर नुकसान संभव: एसबीआई रिपोर्ट

लंबे समय तक सुस्ती जारी रहने पर देश को विदेश व्यापार के मोर्चे पर नुकसान संभव: एसबीआई रिपोर्ट

कच्चे तेल के एक सीमा से नीचे रहने की वजह से फिलहाल राहत

<p>SBI</p>- India TV Paisa Image Source : GOOGLE SBI

नई दिल्ली। देश की आर्थिक वृद्धि में लंबे समय तक सुस्ती छाये रहने का भारत के विदेश व्यापार क्षेत्र पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है। वर्तमान में यह अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के नरम दाम के चलते संतोषजनक स्थिति में है। स्टेट बैंक की सोमवार को जारी रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। एसबीआई शोध की इकोरैप रिपोर्ट के मुताबिक भारत मौजूदा वित्त वर्ष की समाप्ति पर चालू खाते में सरप्लस की स्थिति में रह सकता है। इसमें कहा गया है कि यदि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम लगातार नीचे बने रहते हैं और वर्ष के दौरान उनमें कोई उठापटक नहीं आती है तो भारत की स्थिति बाहरी मोर्चे पर बेहतर रह सकती है।

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘हमें वर्ष 2020- 21 के दौरान विदेश व्यापार के मोर्चे पर ध्यान रखना होगा क्योंकि आर्थिक वृद्धि में लंबे समय तक सुस्ती जारी रहने से विदेश व्यापार के मोर्चे पर गणित गड़बड़ा सकता है, खासतौर से रुपये की विनिमय दर पर असर पड़ सकता है।’’ रिपोर्ट में इस बात पर गौर किया गया है कि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वर्ष 2016- 17 में 8.3 प्रतिशत से घटकर 2019- 20 में 4.2 प्रतिशत पर आ गया है। वहीं चालू वित्त वर्ष के दौरान अर्थव्यवस्था में पांच प्रतिशत तक कमी होने का अनुमान लगाया जा रहा है। इससे कुल मिलाकर आर्थिक वृद्धि दर में 9 प्रतिशत गिरावट का संकेत मिलता है। कोरोना वायरस के चलते वर्ष 2019- 20 के मुकाबले यह नौ प्रतिशत की बड़ी गिरावट होगी।

जून 2019 में जीडीपी के मुकाबले कुल बाहरी ऋण 19.8 प्रतिशत के अनुपात पर बना रहा। कोविड- 19 के बारे में रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में 18 मई तक प्रतिदिन एक लाख से कम परीक्षण हो रहे थे। लेकिन इसके बाद यह संख्या एक लाख प्रतिदिन तक पहुंच गई। जून के पहले सात दिनों के दौरान भारत में औसतन 1.32 लाख कोविड- 19 परीक्षण किये गये। वहीं छह और सात जून को यह संख्या 1.40 लाख प्रतिदिन से ऊपर निकल गई। रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘शायद यही वजह रही कि संक्रमण के नये मामले तेजी से बढ़ते दिखने लगे हैं।

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