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Hindi News पैसा बिज़नेस ब्याज दर कटौती का लाभ ग्राहकों तक पहुंचाने से आर्थिक ग्रोथ और साख का स्वरूप बदलेगा: मूडीज

ब्याज दर कटौती का लाभ ग्राहकों तक पहुंचाने से आर्थिक ग्रोथ और साख का स्वरूप बदलेगा: मूडीज

मूडीज इन्वेस्टमेंट सर्विसेज ने कहा है कि ब्याज दरों में कटौती का लाभ आगे पहुंचाने से भारत की आर्थिक वृद्धि और वित्तीय साख के स्वरूप पर असर दिखेगा।

ब्याज दर कटौती का लाभ ग्राहकों तक पहुंचाने से आर्थिक ग्रोथ और साख का स्वरूप बदलेगा: मूडीज- India TV Paisa ब्याज दर कटौती का लाभ ग्राहकों तक पहुंचाने से आर्थिक ग्रोथ और साख का स्वरूप बदलेगा: मूडीज

नई दिल्ली। मूडीज इन्वेस्टमेंट सर्विसेज ने कहा है कि ब्याज दरों में कटौती का लाभ आगे पहुंचाने से भारत की आर्थिक वृद्धि और वित्तीय साख के स्वरूप पर असर दिखेगा। मूडीज ने यह बात तब कही है जब रिजर्व बैंक ने आज मौद्रिक समीक्षा में प्रमु़ख नीतिगत दरों में कोई बदलाब नहीं किया। मूडीज ने मौद्रिक समीक्षा में दरों को यथावत रखे जाने को मोटे तौर पर बाजार की उम्मीदों के अनुरूप बताया और कहा कि खाद्य पदार्थों के दाम से महंगाई दर में कुछ समय के लिए तेजी आ सकती है।

मूडीज इनवेस्टर्स सर्विस के सावरेन जोखिम समूह के मारीय डायरॉन ने कहा, आने वाले समय पर नजर डालने से हमें मौद्रिक नीति में किसी बड़े बदलाव की उम्मीद नहीं दिखाई देती है। मौद्रिक नीति का लाभ आगे पहुंचाने से भारत के आर्थिक विकास और रिण क्षेत्र पर प्रभाव डालेगा। रिजर्व बैंक ने अपनी दूसरी द्वैमासिक नीतिगत समीक्षा में ब्याज दरों के मामले में यथास्थिति बनाए रखी है। बैंक ने आर्थिक वृद्धि के अनुमान को 7.6 फीसदी और महंगाई दर लक्ष्य को जनवरी 2017 में 5 फीसदी पर रखने के लक्ष्य को बरकरार रखा है।

रिजर्व बैंक ने पिछले साल जनवरी के बाद से अब तक ब्याज दरों में 1.50 फीसदी तक कटौती की है लेकिन बैंकों ने इसका मात्रा आधा लाभ ही आगे पहुंचाया है। मूडीज ने कहा कि मौद्रिक नीति का लाभ आगे पहुंचाना बैंकों के खातों को साफ सुथरा बनाने के काम में होने वाली प्रगति पर निर्भर करेगा। डायरॉन ने कहा, प्रक्रिया हालांकि, शुरू हो चुकी है लेकिन हमें नहीं लगता है कि बैंकों की कर्ज देने की इच्छाशक्ति और कंपनियों की कर्ज लेने की भूख में किसी प्रकार का कोई उल्लेखनीय बदलाव आएगा। मूडीज ने कहा है कि रिजर्व बैंक का लगातार उदार मौद्रिक नीति उपायों को बनाये रखने से ऋण विस्तार में तीव्र वृद्धि होगी अथवा निकट भविष्य में ऊंची आर्थिक वृद्धि हासिल होगी ऐसा नहीं लगता है।

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