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सीमापार लेनदेन में रुपए को लोकप्रिय बनाने के लिए रिजर्व बैंक ने एसएनआरआर खाते का दायरा बढ़ाया

रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को विशेष प्रवासी रुपया खाते (एसएनआरआर खाते) का दायरा बढ़ाने और घरेलू मुद्रा को विदेशों में लोकप्रिय बनाने के लिए कदम उठाया है।

Reserve Bank of India- India TV Paisa Reserve Bank of India

मुंबई। रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को विशेष प्रवासी रुपया खाते (एसएनआरआर खाते) का दायरा बढ़ाने और घरेलू मुद्रा को विदेशों में लोकप्रिय बनाने के लिए कदम उठाया है। केंद्रीय बैंक ने विदेशों में रुपए में उधार, व्यापार क्रेडिट लेने और व्यापार चालान आदि के लिए प्रवासी भारतीयों को इस तरह के खाते खोलने की अनुमति दे दी।

केंद्रीय बैंक का मानना है कि उसने यह कदम सीमापार लेनदेन में घरेलू मुद्रा को प्रचलित बनाने के लिए उठाया है। कोई व्यक्ति जो भारत से बाहर रहता है और उसका भारत के साथ कारोबारी हित जुडा है वह बिना ब्याज वाला विशेष प्रवासी-भारतीय रुपया खाता खोल सकता है। इस खाते में रुपए में लेनदेन किया जा सकता है।

Shaktikanta Das, RBI Governor । File Photo

'राज्यों के वित्त आयोगों को संस्थागत रूप देने की आवश्यकता'

भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को कहा कि राज्य वित्त आयोगों को संस्थागत स्वरूप देने और स्थानीय निकायों की राजस्व क्षमता बढ़ाने में मदद करने की बड़ी आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि मजबूत राज्य और केन्द्र भारतीय संघवाद के मूल है और इनमें से किसी के भी कमजोर होने से देश के समक्ष चुनौती खड़ी हो जायेगी। दास ने कहा, 'राज्य वित्त आयोगों को मजबूती के साथ संस्थागत स्वरूप देने की बड़ी आवश्यकता है। इसके साथ ही प्रशासन के तीसरे स्तर को उसकी राजस्व बढ़ाने की क्षमता को मजबूती दिये जाने की भी बड़ी आवश्यकता है।' 

दास यहां केंद्रीय बैंक के मुख्यालय में 17वें एल के झा स्मारक व्याख्यान में बोल रहे थे। यह व्याख्यान 15वें वित्त आयोग के चेयरमैन एन के सिंह ने दिया। दास ने कहा कि स्थानीय निकायों पर अधिक ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है। गवर्नर ने कहा कि जीएसटी की शुरुआत और नीति आयोग की स्थापना में हमारे संघीय ढांचे में राज्यों को बड़ी भूमिका दी गई है। इस बीच, दास ने यह भी कहा कि रिजर्व बैंक में उनके साथीगण अभी भी 1990 के दशक के शुरुआत के भुगतान संतुलन के संकट की अभी भी चर्चा करते हैं और इस बात की आवश्यकता को रेखांकित करते हैं कि सिंह जैसे लोगों द्वारा शुरू किए गए सुधारों को दस्तावेजों में उतारे जाने की जरूरत है। लोगों को इस संबंध में जानना चाहिए। 

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