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Hindi News पैसा बिज़नेस 1992 के बाद ITC के शेयर में आई सबसे बड़ी गिरावट, निवेशकों के डूबे 19,000 करोड़ रुपए

1992 के बाद ITC के शेयर में आई सबसे बड़ी गिरावट, निवेशकों के डूबे 19,000 करोड़ रुपए

मंगलवार को सुबह के कारोबार के दौरान ITC के शेयर में 15 प्रतिशत की बड़ी गिरावट आई, जिससे इसके शेयरधारकों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा।

1992 के बाद ITC के शेयर में आई सबसे बड़ी गिरावट, निवेशकों के डूबे 19,000 करोड़ रुपए- India TV Paisa 1992 के बाद ITC के शेयर में आई सबसे बड़ी गिरावट, निवेशकों के डूबे 19,000 करोड़ रुपए

नई दिल्‍ली। मंगलवार को सुबह के कारोबार के दौरान ITC के शेयर में 15 प्रतिशत की बड़ी गिरावट आई, जिससे इसके शेयरधारकों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा। भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) को आधे घंटे में ही 7,000 करोड़ रुपए से हाथ धोना पड़ा। 30 जून 2017 की स्थिति के मुताबिक ITC में एलआईसी की हिस्‍सेदारी 16.29 प्रतिशत थी। घरेलू बीमा कंपनियों को इस गिरावट से संयुक्‍त रूप से 10,000 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। वहीं विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों को 9,000 करोड़ रुपए का चूना लगा है। कुल मिलाकर ITC के निवेशकों को 19,000 करोड़ रुपए का झटका लगा है। 1992 के बाद आईटीसी के शेयर में यह सबसे बड़ी गिरावट बताई जा रही है।

आईटीसी में निवेश को लेकर कोर्ट में है मामला

बॉम्‍बे हाईकोर्ट में इस साल अप्रैल में एलआईसी और अन्‍य चार सरकारी साधारण बीमा कंपनियों द्वारा आईटीसी में निवेश के खिलाफ एक जनहित याचिका दाखिल की गई है। इसमें कहा गया है कि भारत में तंबाकू की वजह से हर साल लाखों की जान जाती है, बावजूद इसके सरकारी कंपनियों ने सिगरेट बनाने वाली कंपनी में जनता का पैसा निवेश किया है। इसका बचाव करते हुए एलआईसी के चेयरमैन वीके शर्मा ने हाल ही में कहा था कि कंपनी में निवेश करना या न करने का फैसला धूम्रपान से संबंधित नहीं होता है।

इस वजह से आई गिरावट

जीएसटी परिषद ने सिगरेट पर सेस बढ़ाने का फैसला किया है, जिससे सिगरेट निर्माताओं को 5,000 करोड़ रुपए का सालाना ‘विंडफॉल’ लॉस होगा। जीएसटी की इस घोषणा के बाद ही आईटीसी के शेयर में 15 प्रतिशत की गिरावट आ गई। आईटीसी का शेयर अपने निचले स्‍तर 276 रुपए पर पहुंच गया, जिससे कंपनी का मार्केट कैप 45,000 रुपए घट गया।

यह है पूरा मामला

वस्‍तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद ने सिगरेट पर उपकर बढ़ा दिया है। वित्‍त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि जीएसटी दरें तय होने के बाद विसंगति की वजह से सिगरेट विनिर्माता अप्रत्याशित लाभ कमा रहे थे और इसी के मद्देनजर यह कदम उठाया गया है। नए निर्णय के अनुसार जहां सिगरेट पर जीएसटी की 28 प्रतिशत की उच्चतम दर लागू रहने के साथ पांच प्रतिशत का मूल्यानुसार कर भी बना रहेगा। पर इसके अतिरिक्त इस पर लागू मात्रानुसार उपकर की दर बढ़ा दी गई है। परिषद के इस निर्णय के अनुसार अब प्रति एक हजार सिगरेट स्टिक्स पर मात्रानुसार तय उपकर 485 से 792 रुपए तक बढ़ गया है। जेटली ने कहा कि सिगरेट पर उपकर में बढ़ोतरी से सरकार को 5,000 करोड़ रुपए का अतिरिक्त राजस्व मिलेगा, अन्यथा यह विनिर्माताओं के खाते में जाता।

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