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Hindi News पैसा बिज़नेस स्‍पाइसजेट पर कर्ज का बोझ हुआ कम, 2000 करोड़ से घटकर रह गया 800 करोड़ रुपए का ऋण

स्‍पाइसजेट पर कर्ज का बोझ हुआ कम, 2000 करोड़ से घटकर रह गया 800 करोड़ रुपए का ऋण

स्‍पाइसजेट पर पिछले एक साल के दौरान ऋण का बोझ आधे से ज्‍यादा कम हो गया है। कंपनी अपना कर्ज करीब 1,200 करोड़ घटाकर 800 करोड़ रुपए पर लाने में सफल रही है।

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नई दिल्ली। बजट एयरलाइन स्‍पाइसजेट पर पिछले एक साल के दौरान ऋण का बोझ आधे से ज्‍यादा कम हो गया है। एक साल के दौरान कंपनी अपना कर्ज करीब 1,200 करोड़ रुपए घटाकर 800 करोड़ रुपए पर लाने में सफल रही है। पिछले साल की शुरुआत में तत्कालीन संकटग्रस्त विमानन कंपनी स्पाइसजेट की बागडोर संभालने वाले अजय सिंह ने कहा कि पुनरद्धार प्रक्रिया अच्‍छी तरीके से सिरे चढ़ी है और पिछली लगातार चार तिमाहियों में कंपनी मुनाफे में रही है।

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उन्‍होंने बताया कि कंपनी पिछले एक साल में ऋण का बोझ 1200 करोड़ रुपए घटाकर 800 करोड़ रुपए पर लाने में सफल रही है। एक साल पहले यह करीब 2,000 करोड़ रुपए था। स्पाइसजेट के सीएमडी सिंह ने कहा कि फिलहाल कंपनी के पास पर्याप्त नकदी है। पूंजीगत खर्च के लिहाज से कंपनी आरामदायक स्थिति में है। पुनरद्धार योजना के तहत सिंह अभी तक कंपनी में 800 करोड़ रुपए की इक्विटी डाल चुके हैं। उन्होंने कहा कि पिछली तिमाही के दौरान किराए घटाने के बावजूद इस दौरान आय बढ़ी है। ईंधन की कीमतों में करीब 35 प्रतिशत की गिरावट की वजह से बीती तिमाही में कंपनी को 238.40 करोड़ रुपए का लाभ हुआ।

सीएनजी की खुदरा बिक्री पर आईजीएल की आपत्ति खारिज 
तेल नियामक पीएनजीआरबी ने राष्ट्रीय राजधानी में सीएनजी की खुदरा बिक्री में इन्द्रप्रस्थ गैस लिमिटेड (आईजीएल) का विशेषाधिकार समाप्त करने में अपनाई गई प्रक्रिया पर कंपनी की आपत्ति खारिज कर दी है। इससे कंपनी का शेयर करीब 8 फीसदी तक टूट गया। पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस नियामक बोर्ड (पीएनजीआरबी) ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में वाहनों एवं घरों में पाइप के जरिये रसोई गैस की खुदरा बिक्री का आईजीएल का विशेषाधिकार एक जनवरी, 2012 को खत्म हो गया है। इसके परिणाम स्वरूप कंपनी की पाइपलाइनों के सिटी गैस डिस्ट्रीब्यूशन (सीजीडी) नेटवर्क को तीसरे पक्षों की पहुंच के लिए खोला जाना था। अपने आदेश में पीएनजीआरबी ने कहा कि उसने 9 जनवरी, 2009 को दिल्ली सीजीडी नेटवर्क के लिए आईजीएल को प्राधिकृत करने के केंद्र सरकार के निर्णय को स्वीकार किया था और नियमनों के मुताबिक, एक मौजूदा इकाई के लिए विशेषाधिकार की अवधि तीन साल की थी। आईजीएल ने इस नियमन को पीएनजीआरबी के समक्ष चुनौती दी थी। बोर्ड के आदेश में कहा गया कि वह पीएनजीआरबी कानून की धारा 20 के प्रावधानों के मुताबिक, सिटी या स्थानीय प्राकृतिक गैस वितरण नेटवर्कों की घोषणा करने की प्रक्रिया में है।

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