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Hindi News पैसा बिज़नेस अमेरिका ने की भारत की आलोचना, डेटा स्थानीयकरण नियमों व ई-कॉमर्स नीति के मसौदे को बताया गलत

अमेरिका ने की भारत की आलोचना, डेटा स्थानीयकरण नियमों व ई-कॉमर्स नीति के मसौदे को बताया गलत

भुगतान से जुड़ी सभी जानकारियों के आंकड़ों को स्थानीय स्तर पर संग्रहित करने से भुगतान सेवा प्रदाताओं की लागत बढ़ेगी और यह विदेशी कंपनियों के लिए नुकसानदायक है।

US President Donald Trump- India TV Paisa Image Source : US PRESIDENT DONALD TRUMP US President Donald Trump

नई दिल्ली। अमेरिका ने भारत की ई-कॉमर्स नीति के मसौदे और आंकड़ों को स्थानीय स्तर पर संग्रहित (डेटा स्थानीयकरण) करने के नियमों की आलोचना करते हुए कहा कि इस तरह के प्रस्ताव भेदभावपूर्ण और व्यापार बिगाड़ने वाले हैं।

अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि की नेशनल ट्रेड एस्टीमेट रिपोर्ट ऑन फॉरेन ट्रेड बैरियर-2019 में कहा गया है कि भारत ने हाल ही में देश के लोगों के ऑनलाइन आंकड़ों (डाटा) को स्थानीय स्तर पर संग्रहित करने की आवश्यकताओं की घोषणा की है। यह भारत और अमेरिका के बीच डिजिटल व्यापार में महत्वपूर्ण बाधा साबित होगा।

इसमें कहा गया है कि इन नियमों से डेटा आधारित सेवाओं की आपूर्ति करने वालों की लागत बढ़ेगी और अनावश्यक डेटा सेंटर का निर्माण होगा। इसके अलावा स्थानीय कंपनियों को सर्वश्रेष्ठ वैश्विक सेवाएं लेने से रोकेगा। 

रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि आंकड़ों के संग्रहण से जुड़े नियम, सीमापार आंकड़ों के प्रवाह पर प्रतिबंध और भारतीय राष्ट्रीय ई-कॉमर्स नीति का मसौदे जैसे प्रस्ताव भेदभावपूर्ण हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, भारत मौजूदा समय में नई इलेक्ट्रॉनिक वाणिज्य (ई-कॉमर्स) नीति तैयार कर रहा है। जिसमें शुरुआती मसौदे में डेटा स्थानीयकरण की आवश्यकताओं, सीमापार आंकड़ों के प्रवाह पर रोक, बौद्धिक संपदा का जबरन स्थानातंरण, घरेलू डिजिटल उत्पादों को तरजीही देना और अन्य भेदभावपूर्ण नीतियों पर विचार किया गया है। 

अमेरिका ने मसौदे की आलोचना करते हुए भेदभावपूर्ण और व्यापार खराब करने वाले पहलुओं पर फिर से विचार करने के लिए कहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भुगतान से जुड़ी सभी जानकारियों के आंकड़ों को स्थानीय स्तर पर संग्रहित करने से भुगतान सेवा प्रदाताओं की लागत बढ़ेगी और यह विदेशी कंपनियों के लिए नुकसानदायक है। 

रिपोर्ट में जोर दिया गया है कि भारत सरकार ने जुलाई 2018 में व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक 2018 का मसौदा प्रकाशित किया था। यदि यह पारित होकर कानून बन जाता है तो व्यक्तिगत आंकड़ों का प्रसंस्करण करने वाली कंपनियों खासकर विदेशी कंपनियों पर भारी बोझ पड़ेगा।

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