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अब नहीं रही हवाई यात्रा भी सुरक्षित? ये डेटा देखने के बाद आप भी इस बात पर लगा देंगे मुहर

Air Travel: देश में हवाई यात्रा (Air Travel) की सुरक्षा पर बड़े सवाल उठने लगे हैं। हाल के दिनों में देश की कई एयरलाइंस (Airlines) के जहाजों में खराबी की घटना सामने आई है।

अब नहीं रही हवाई...- India TV Paisa Image Source : INDIA TV अब नहीं रही हवाई यात्रा भी सुरक्षित?

Highlights

  • पहली घटना जब हवा में कांपने लगा इंडिगो का इंजन
  • दूसरी घटना स्पाइसजेट का विमान रास्ते से लौटा
  • तीसरी घटना जब पंक्चर होने के बाद भी रन वे पर दौड़ता रहा विमान

Air Travel: देश में हवाई यात्रा (Air Travel) की सुरक्षा पर बड़े सवाल उठने लगे हैं। हाल के दिनों में देश की कई एयरलाइंस (Airlines) के जहाजों में खराबी की घटना सामने आई है। गुरुवार का दिन तो काफी हलचल भरा रहा। गुरुवार सुबह जहां दिल्ली से नासिक जा रहे स्पाइसजेट (Spicejet) के विमान में गड़बड़ी की खबर आई, वहीं शाम होते होते इंडिगो (IndiGo) के विमान में गड़बड़ी की खबर ने सभी को दहला कर रख दिया। ऐसा सिर्फ गुरुवार के दिन ही नहीं हुआ है जब यात्रियों की सुरक्षा खतरे में आई हो। इससे पहले भी कई बार ऐसी नौबत आई है जब जान जोखिम में डालकर लोगों को सफर करना पड़ा है। 

पहली घटना जब हवा में कांपने लगा इंडिगो का इंजन 

दिल्ली से बृहस्पतिवार को उदयपुर जा रहा इंडिगो का एक विमान के इंजन में कंपन के बाद वापस उतर आ गया। नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि विमान लैंड हो गया है। डीजीसीए इस घटना की जांच करेगा। बृहस्पतिवार को इस तरह की यह दूसरी घटना है जब कोई विमान तकनीकी खराबी के चलते दिल्ली हवाईअड्डे पर लौटा है। अधिकारी ने बताया कि दिल्ली से उदयपुर जा रहा इंडिगो का ए320 नियो विमान उड़ान के दौरान दूसरे इंजन में कंपन के बाद वापस लौट गया। अधिकारी ने अनुसार, विमान सुरक्षित उतर गया है और उसे खड़ा कर दिया गया है।

दूसरी घटना स्पाइसजेट का विमान रास्ते से लौटा

Spicejet का दिल्ली से महाराष्ट्र के नासिक जा रहा एक विमान बृहस्पतिवार सुबह तकनीकी खामी के बाद बीच रास्ते से लौट आया। विमान ने दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे से उड़ान भरी थी। नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। अधिकारी ने बताया, ‘‘स्पाइसजेट के दिल्ली से नासिक जा रहे विमान में बृहस्पतिवार को रास्ते में ही ऑटोपायलट संबंधी खराबी आई जिस वजह से विमान बीच रास्ते से लौट आया।’’ इससे पहले भी स्पाइसजेट के विमानों में खराबी की घटनाएं सामने आ चुकी हैं और डीजीसीए ने एयरलाइन को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया है। विमानन सुरक्षा नियामक ने 27 जुलाई को आदेश दिया था कि एयरलाइन आठ सप्ताह तक अधिकतम 50 फीसदी उड़ानों का संचालन करेगी।

तीसरी घटना जब पंक्चर होने के बाद भी रन वे पर दौड़ता रहा विमान

30 अगस्त को दिल्ली से मुंबई जा रही एक फ्लाइट में बैठे यात्रियों में उस वक्त खलबली मच गई, जब पंक्चर होने के बाद भी उनका प्लेन अचानक रनवे पर दौड़ने लगा। दरअसल विमान चालक को भी नहीं पता था कि जहाज का टायर पंक्चर हो चुका है। इसलिए पायलट ने बेखौफ होकर रनवे पर हमेशा की तरह विमान को दौड़ा दिया। मगर जब जहाज डगमगाने लगा तो अनहोनी की आशंका से सभी के रोंगटे खड़े हो गए। रनवे पर उतर जाने के बाद अब कोई विकल्प भी उसे रोक पाने का नहीं था। धीरे-धीरे पायलट ने स्पीड कम करने का प्रयास किया। कुछ मिनटों बाद आखिरकार विमान की गति कम हो गई और वह रनवे पर ठहर गया। तब जाकर यात्रियों ने राहत की सांस ली।

उड़ान भरने से पहले किन बातों का रखना होता है ख्याल

किसी भी विमान के उड़ान भरने से पहले उसकी कई बारीकी तकनीकी जांच की जाती है। जब पायलट सभी जांच को ओके कर देता है। तब माना जाता है कि विमान उड़ने के काबिल है। इससे पहले फ्लाइट क्रू और मेंटिनेंस क्रू भी जांच में मदद करते हैं। मगर उड़ान भरने से पहले इसकी पूरी जिम्मेदारी पायलट और को पायलट की होती है। मेंटिनेंस टीम विमान के रख-रखाव और प्रबंधन का कार्य देखती है। वह इसकी पूरी सूचना फ्लाइट क्रू को देती है। 

Image Source : India TVइन बातों का रखना होता है ध्यान

यह जांच होती है अनिवार्य

  1. फायर डिटेक्टर्स, मौसम रडार, वार्निंग लाइट्स और अन्य सिस्टम
  2. सेंसर सही काम कर रहा है या नहीं
  3. प्रोब्स और स्ट्रक्चरल कंपोनेंट्स, मोटर्स और केबल का विजुअल इंस्पेक्शन होता है।
  4. विमान के बाहरी और आंतरिक सभी हिस्सों की बारीकी से तकनीकी जांच होती है। 
  5. हर 500 घंटे की उड़ान के बाद होती है संपूर्ण जांच
  6. जांच में लगता है पांच से छह घंटे का वक्त
  7. विमान के सभी पुर्जों, उपकरणों और सिस्टम की कंप्युटराइज्ड जांच हर छह महीने में 
  8. हर दो साल में विमान के कई उपकरण बदल दिए जाते हैं।
  9. हर छह साल में विमान के 50 फीसद से ज्यादा पार्ट बदले जाते हैं। यह काफी खर्चीला होता है।

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