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Hindi News पैसा बिज़नेस Inflation: कब-तक और सताएगी 'महंगाई डायन'? ये है RBI गवर्नर शक्तिकांत दास का जवाब

Inflation: कब-तक और सताएगी 'महंगाई डायन'? ये है RBI गवर्नर शक्तिकांत दास का जवाब

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बुधवार को चालू वित्त वर्ष के लिए अपने मुद्रास्फीति के अनुमान को 5.7 से बढ़ाकर 6.7 प्रतिशत कर दिया है।

<p>Inflation</p>- India TV Paisa Image Source : FILE Inflation

Highlights

  • अगली 3 तिमाही तक यानि वित्त वर्ष 2022 के अंत तक महंगाई बेकाबू रहेगी
  • RBI मे चालू वित्त वर्ष के लिए अपने मुद्रास्फीति के अनुमान को बढ़ाकर 6.7% कर दिया
  • दुनिया के कई विकसित और विकासशील देशों में महंगाई दशक के उच्चस्तर पर है

महंगाई से जितना आम आदमी परेशान है, उतना ही परेशान रिजर्व बैंक भी है। बुधवार को जब आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास रिजर्व बैंक की द्वैमासिक मौद्रिक नीति की घोषणा कर रहे थे, तब उनके भाषण से महंगाई की चिंता साफ झलक रही है। दास ने साफ कर दिया है कि फिलहाल महंगाई से राहत की कोई उम्मीद नहीं है, और अगली 3 तिमाही तक यानि वित्त वर्ष 2022 के अंत तक महंगाई यूं ही 6% से अधिक रहेगी।

रिजर्व बैंक ने 1% बढ़ाया महंगाई का अनुमान

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बुधवार को चालू वित्त वर्ष के लिए अपने मुद्रास्फीति के अनुमान को बढ़ाकर 6.7 प्रतिशत कर दिया है। इससे पहले अप्रैल में रिजर्व बैंक ने मुद्रास्फीति के 5.7 प्रतिशत के स्तर पर रहने का अनुमान लगाया था। रिजर्व बैंक को खुदरा मुद्रास्फीति को दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत के स्तर पर रखने की जिम्मेदारी मिली हुई है। लेकिन खुदरा मुद्रास्फीति पिछले लगातार चार माह से केंद्रीय बैंक के संतोषजनक स्तर छह प्रतिशत से ऊपर बनी हुई है। 

Image Source : IndiatvRBI Inflation Projection 

रिजर्व बैंक के अनुमान से अधिक है महंगाई 

अप्रैल में खुदरा मुद्रास्फीति 7.8 प्रतिशत के उच्चस्तर पर पहुंच गई है। जो कि रिजर्व बैंक के अनुमान से भी अधिक है। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा की घोषणा करते हुए कहा कि मुद्रास्फीति को लेकर जोखिम बना हुआ है। 

महंगाई से छूटेंगे पसीने 

रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांत दास के अनुसार हाल के समय में टमाटर के दाम बढ़े हैं, जिससे खाद्य मुद्रास्फीति बढ़ सकती है। इसके अलावा वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की ऊंची कीमतों की वजह से भी मुद्रास्फीति के ऊपर जाने का जोखिम है। वहीं युद्ध ने भी नई चुनौतियां पैदा की हैं। इससे मौजूदा आपूर्ति श्रृंखला की दिक्कतें और बढ़ी हैं, जिसके चलते दुनियाभर में खाद्य, ऊर्जा और जिंसों के दाम बढ़े हैं। 

दुनिया भर में महंगाई की महामारी 

आरबीआई गवर्नर ने कहा कि दुनियाभर के देश महंगाई से जूझ रहे हैं। दुनिया के कई विकसित और विकासशील देशों में महंगाई दशक के उच्चस्तर पर है। साथ ही मांग-आपूर्ति का अंतर भी बना हुआ है। युद्ध की वजह से आज महंगाई का भी ‘वैश्वीकरण’ हुआ है यानी आज दुनियाभर में महंगाई है। मुख्य रूप से यह आपूर्ति पक्ष के झटकों की वजह से है।’’ 

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