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Hindi News पैसा बिज़नेस दिल्ली-मुंबई रूट के मथुरा-कोटा सेक्शन पर शुरू हुआ कवच 4.0 सेफ्टी सिस्टम, रेल हादसों पर लगेगी लगाम

दिल्ली-मुंबई रूट के मथुरा-कोटा सेक्शन पर शुरू हुआ कवच 4.0 सेफ्टी सिस्टम, रेल हादसों पर लगेगी लगाम

रेल मंत्री ने बताया कि दुनिया के कई विकसित देशों को ट्रेन सेफ्टी सिस्टम को विकसित करने और स्थापित करने में 20 से 30 साल लग गए। कोटा-मथुरा सेक्शन पर कवच 4.0 की कमीशनिंग बहुत ही कम समय में की गई है।

indian railways, Kavach 4.0, railway safety system, delhi-mumbai rail route, delhi-mumbai train rout- India TV Paisa Image Source : SOUTHERN RAILWAY देश भर के अलग-अलग रूटों पर कवच 4.0 को लागू करने की तैयारी

भारतीय रेलवे ने काफी बिजी रहने वाले दिल्ली-मुंबई रूट के मथुरा-कोटा सेक्शन पर स्वदेशी रेलवे सेफ्टी सिस्टम कवच 4.0 को चालू कर दिया है। केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इसकी जानकारी दी। अश्विनी वैष्णव ने कहा, "रेलवे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'आत्मनिर्भर भारत' दृष्टिकोण से प्रेरणा लेते हुए, कवच ऑटोमोटिक ट्रेन सेफ्टी सिस्टम का स्वदेशी रूप से डिजाइन, डेवलपमेंट और मैन्यूफैक्चरिंग की है। कवच 4.0 एक टेक्नोलॉजी-इंटेंसिव है। इसे अनुसंधान डिजाइन एवं मानक संगठन (आरडीएसओ) द्वारा जुलाई 2024 में अप्रूव किया गया था। 

कोटा-मथुरा सेक्शन पर काफी कम समय में की गई है कवच 4.0 की कमीशनिंग 

रेल मंत्री ने बताया कि दुनिया के कई विकसित देशों को ट्रेन सेफ्टी सिस्टम को विकसित करने और स्थापित करने में 20 से 30 साल लग गए। कोटा-मथुरा सेक्शन पर कवच 4.0 की कमीशनिंग बहुत ही कम समय में की गई है। ये एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। आजादी के बाद पिछले 60 सालों में देश में इंटरनेशनल स्टैंडर्ड की एडवांस ट्रेन सेफ्टी सिस्टम स्थापित नहीं की गई थीं। ट्रेन और यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए, कवच प्रणाली हाल ही में चालू की गई है।

देश भर के अलग-अलग रूटों पर कवच 4.0 को लागू करने की तैयारी

कवच एक स्वदेशी रूप से विकसित रेल सेफ्टी सिस्टम है। इसे ट्रेनों की स्पीड की निगरानी और नियंत्रण करके हादसों को रोकने के लिए डिजाइन किया गया है। भारतीय रेलवे 6 साल की छोटी-सी अवधि में देश भर के अलग-अलग रूटों पर कवच 4.0 को लागू करने की तैयारी कर रहा है। कवच सिस्टम के लिए 30,000 से ज्यादा लोगों को पहले ही ट्रेनिंग दी जा चुकी है। भारतीय रेल का कवच ब्रेक लगाकर लोको पायलटों को ट्रेन की स्पीड को मेनटेन रखने में मदद करता है। कोहरे जैसी कम दृश्यता की स्थिति में भी, लोको पायलटों को सिग्नल के लिए केबिन से बाहर देखने की जरूरत नहीं होगी। पायलट केबिन के अंदर लगे डैशबोर्ड पर जानकारी देख सकते हैं।

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