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Hindi News पैसा बिज़नेस अडाणी मामले में ओपी भट्ट सुर्खियों में, भगोड़े विजय माल्या से संबंध को लेकर भी उछला नाम, जानें कौन हैं ये

अडाणी मामले में ओपी भट्ट सुर्खियों में, भगोड़े विजय माल्या से संबंध को लेकर भी उछला नाम, जानें कौन हैं ये

अडानी मामले पर अगली सुनवाई 13 अक्टूबर को होने वाली है। दरअसल 24 जनवरी को अमेरिकी निवेश एवं शोध फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडाणी समूह के शेयरों में बेहिसाब तेजी के लिए हेराफेरी और वित्तीय धांधली के आरोप लगाए थे। इसके बाद से समूह की कंपनियों के बाजार मूल्यांकन में करीब 150 अरब डॉलर तक की भारी गिरावट आ गई थी।

Adani - India TV Paisa Image Source : FILE अडाणी

अडाणी समूह पर हिंडनबर्ग रिपोर्ट में लगाए गए आरोपों की जांच के लिए उच्चतम न्यायालय की तरफ से गठित विशेषज्ञ समिति के कुछ सदस्यों पर हितों के संभावित टकराव का आरोप सोमवार को दाखिल एक नयी याचिका में लगाया गया है। याची अनामिका जायसवाल ने अपनी याचिका में कहा है कि छह-सदस्यीय विशेषज्ञ समिति में शामिल भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के पूर्व चेयरमैन ओ पी भट्ट के हितों में टकराव है क्योंकि वह नवीकरणीय ऊर्जा फर्म ग्रीनको के प्रमुख भी हैं जिसका अडाणी समूह के साथ कारोबारी संबंध है। जायसवाल ने अपने दावे के समर्थन में ग्रीनको की 14 मार्च, 2022 को जारी एक प्रेस विज्ञप्ति का उल्लेख किया है जिसमें अडाणी समूह के प्रस्तावित औद्योगिक परिसर को कंपनी की तरफ से 1,000 मेगावाट क्षमता की नवीकरणीय ऊर्जा की आपूर्ति की घोषणा की गई थी। 

भट्ट वाली विशेषज्ञ समिति ने दी थी क्लीन चीट

भट्ट की भागीदारी वाली विशेषज्ञ समिति ने मई में पेश अपनी अंतरिम रिपोर्ट में कहा था कि अडाणी समूह के शेयरों में तेजी के पीछे कोई नियामकीय विफलता या कीमतों में हेराफेरी के संकेत नहीं मिले हैं। इस निष्कर्ष को संकटग्रस्त अडाणी समूह के लिए बड़ी राहत माना गया था। दरअसल 24 जनवरी को अमेरिकी निवेश एवं शोध फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडाणी समूह के शेयरों में बेहिसाब तेजी के लिए हेराफेरी और वित्तीय धांधली के आरोप लगाए थे। इसके बाद से समूह की कंपनियों के बाजार मूल्यांकन में करीब 150 अरब डॉलर तक की भारी गिरावट आ गई थी। अडाणी प्रकरण में पहले भी याचिका दायर कर चुकीं जायसवाल ने अपनी नयी याचिका में कहा है कि भट्ट की कंपनी ग्रीनको और अडाणी समूह के बीच दावोस में भी एक भागीदारी की घोषणा की खबर आई थी। याचिका के मुताबिक, ‘‘यह ओ पी भट्ट के हितों में टकराव को स्पष्ट रूप से उजागर करता है, इसकी तरफ खुद भट्ट को इशारा कर देना चाहिए था।’’ याची का कहना है कि केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने मार्च, 2018 में शराब कारोबारी और भगोड़े आर्थिक अपराधी विजय माल्या को ऋण देने में कथित गड़बड़ी के मामले में भट्ट से भी पूछताछ की थी। 

माल्या पर 1.2 अरब डॉलर की धोखाधड़ी का आरोप

माल्या पर एसबीआई सहित कई बैंकों से 1.2 अरब डॉलर की धोखाधड़ी का आरोप है। याचिका के मुताबिक, माल्या की कंपनियों को अधिकांश कर्ज भट्ट के एसबीआई चेयरमैन रहते समय ही दिए गए थे। भट्ट वर्ष 2006 से लेकर 2011 के दौरान सार्वजनिक क्षेत्र के सबसे बड़े बैंक के प्रमुख थे। इस याचिका में विशेषज्ञ समिति के दो अन्य सदस्यों- के वी कामत और सोमशेखर सुंदरेशन को लेकर भी सवाल उठाए गए हैं। इसके मुताबिक, कामत का नाम आईसीआईसीआई बैंक धोखाधड़ी मामले में पूर्व प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) चंदा कोचर द्वारा वीडियोकॉन समूह को ऋण के लिए कथित रिश्वत से संबंधित मामले में भी सामने आया था। कामत 1996 और 2009 के बीच आईसीआईसीआई बैंक के प्रमुख थे। याचिका में सुंदरेशन के बारे में भी कहा गया है कि वह एक वकील के रूप में बाजार नियामक सेबी समेत कई मंचों पर अडाणी का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। जायसवाल की याचिका के मुताबिक, ‘‘ऐसी आशंका है कि मौजूदा विशेषज्ञ समिति देश के लोगों में विश्वास जगाने में विफल रहेगी।

नई विशेषज्ञ समिति का गठन करने का अनुरोध 

ऐसे में सम्मानित न्यायालय से अनुरोध है कि वह वित्त, कानून एवं शेयर बाजार के क्षेत्र से निष्कलंक निष्ठा वाले विशेषज्ञों की एक नई विशेषज्ञ समिति का गठन करे जिनके हितों में टकराव न हो।’’ अडाणी समूह ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट में लगाए गए सभी आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा था कि उसे जानबूझकर निशाना बनाया जा रहा है। उच्चतम न्यायालय ने इन आरोपों के बाद मार्च में छह सदस्यीय विशेषज्ञ समिति बनाई थी। इसके प्रमुख उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश अभय मनोहर सप्रे बनाए गए। इसमें भट्ट, कामत और सुंदरेशन के अलावा सेवानिवृत्त न्यायाधीश जे पी देवधर और इन्फोसिस के सह-संस्थापक नंदन नीलेकणि भी शामिल थे। अडानी मामले पर अगली सुनवाई 13 अक्टूबर को होने वाली है। जायसवाल ने हाल ही में दायर एक अन्य याचिका में कहा था कि भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने जनवरी, 2014 में राजस्व आसूचना निदेशालय (डीआरआई) की उस चेतावनी भरे संदेश पर कोई कार्रवाई नहीं की थी जिसमें दुबई और मॉरीशस स्थित संस्थाओं के माध्यम से अडाणी की सूचीबद्ध कंपनियों में निवेश किए जाने की जानकारी दी गई थी। 

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