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Hindi News पैसा बिज़नेस Property Bazaar: नोएडा-ग्रेटर नोएडा के Home Buyers सबसे अधिक त्रस्त, 8 साल बाद भी 1.65 लाख फ्लैट अधूरे

Property Bazaar: नोएडा-ग्रेटर नोएडा के Home Buyers सबसे अधिक त्रस्त, 8 साल बाद भी 1.65 लाख फ्लैट अधूरे

एनरॉक के आंकड़ों के अनुसार 31 मई 2020 तक इन सात शहरों में 4,48,129 करोड़ रुपये की 4,79,940 इकाइयां ठप थीं या अत्यधिक देरी से चल रही थीं।

<p>Property Bazaar</p>- India TV Paisa Image Source : FILE Property Bazaar

Highlights

  • प्रोजेक्ट देरी होने से लाखों घर खरीदार का पैसा अटका
  • 10 साल से कई प्रोजेक्ट का काम अधूरा नोएडा-ग्रेटर में
  • हाल के दिनों में तेजी से प्रोजेक्ट एनसीएलटी में जा रहे

Property Bazaar: नोएडा-ग्रेटर नोएडा की आवास परियोजनाओं में फ्लैट बुक करने वाले घर खरीदार सबसे ज्यादा प्रभावित हैं, जहां 1.18 लाख करोड़ रुपये की 1.65 लाख से अधिक इकाइयां ठप पड़ी हैं। संपत्ति सलाहकार एनरॉक ने यह जानकारी दी। एनरॉक ने अपने ​रिपोर्ट में सात बड़े प्रॉपर्टी बाजारों- दिल्ली-एनसीआर, मुंबई महानगरीय क्षेत्र (एमएमआर), कोलकाता, चेन्नई, बेंगलुरु, हैदराबाद और पुणे में 2014 या उससे पहले शुरू की गई आवास परियोजनाओं को शामिल किया। 

अटके प्रोजेक्ट में दिल्ली-एनसीआर की 50% हिस्सेदारी 

एनरॉक के आंकड़ों के अनुसार 31 मई 2020 तक इन सात शहरों में 4,48,129 करोड़ रुपये की 4,79,940 इकाइयां ठप थीं या अत्यधिक देरी से चल रही थीं। इसमें से अकेले दिल्ली-एनसीआर की 50 प्रतिशत हिस्सेदारी है, जहां 1,81,410 करोड़ रुपये की 2,40,610 इकाइयां ठप हैं या देरी से चल रही हैं। एनरॉक ने दिल्ली-एनसीआर के आंकड़ों का विस्तृत ब्योरा देते हुए कहा कि एनसीआर क्षेत्र में कुल ठप या विलंबित इकाइयों में नोएडा और ग्रेटर नोएडा का लगभग 70 प्रतिशत हिस्सा है, जबकि गुरुग्राम का हिस्सा केवल 13 प्रतिशत है। 

डिफॉल्ट बिल्डरों पर कड़ी कार्रवाई की मांग 

प्रॉपर्टी बाजार के विशेषज्ञों का कहना है कि प्रत्येक परियोजना में देरी के कारणों का पता लगाया जाना चाहिए और समाधान किया जाना चाहिए। साथ ही डिफॉल्ट करने वाले बिल्डरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। इससे इस सेक्टर का भी भला होगा और घर खरीदारों को उनके घर की चाबी भी मिल पाएगी जो सालों से अपने घर मिलने का इंतजार कर रहें हैं। 

बिल्डरों ने 37,000 मकानों का काम पूरा किया 

एनरॉक के आंकड़ों के अनुसार, देश के सात प्रमुख शहरों में करीब पांच लाख मकानों का निर्माण  अटका हुआ है। इन मकानों की कीमत 4.48 लाख करोड़ रुपये के आसपास है। हालांकि, इस साल अब तक बिल्डरों ने 37,000 मकानों का काम पूरा किया है। एनारॉक के वरिष्ठ निदेशक एवं शोध प्रमुख प्रशांत ठाकुर के मुताबिक, डेवलपर अपनी परियोजनाओं को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं और रहने के लिए तैयार घरों की मांग का फायदा उठा रहे हैं। उन्होंने कहा, पिछले पांच महीनों में लागत बढ़ने से पैदा हुई काफी प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद डेवलपर अपनी रफ्तार बनाए हुए हैं। इसके अलावा पिछले दो वर्षों में घरों की मांग मजबूत बने रहने से भी मदद मिली है। ठाकुर ने कहा कि कई बड़े डेवलपर अटकी परियोजनाओं को पूरा करने के लिए आगे आ रहे हैं। 

रेरा के आने से हालात में हुआ सुधार 

रियल एस्टेट विशेषज्ञों का कहना है कि रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) अधिनियम यानी रेरा के आने से इस सेक्टर में सुधार हो रहा है। रेरा के आने से सख्ती बढ़ी है और डेवलपर्स काम तेजी से पूरा कर रहे हैं। जो डेवलपर्स नहीं कर पा रहे हैं, उनके प्रोजेक्ट को टेकओवर कर किसी दूसरे डेवलपर्स से पूरा कराया जा रहा है। हालांकि, इसकी प्रतिक्रिया काफी स्लो है। इससे जल्द समाधान ​नहीं हो पा रहा है। वहीं, बीच में दो साल कोरोना आने के कारण भी स्थिति खराब हुई है। अधूरे प्रोजेक्ट पर काम नहीं हो पाया। अब हालात सामन्य हुए हैं तो उम्मीद है कि अधूरे प्रोजेक्ट का काम जल्द से जल्द पूरा हो पाएगा। 

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