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Hindi News पैसा बिज़नेस पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कटौती बेअसर! खुदरा महंगाई दर 4.35 से बढ़कर 4.91 फीसदी हुई

पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कटौती बेअसर! खुदरा महंगाई दर 4.35 से बढ़कर 4.91 फीसदी हुई

भारतीय रिजर्व बैंक का मानना है कि मुद्रास्फीति का आंकड़ा चालू वित्त वर्ष की बची हुई अवधि में ऊंचा रहेगा

<p>जरूरी सामान की...- India TV Paisa Image Source : AP जरूरी सामान की कीमतों ने तोड़ी आम आदमी की कमर! खुदरा महंगाई दर 4.35 से बढ़कर 4.91 फीसदी हुई

Highlights

  • मुद्रास्फीति नवंबर महीने में मामूली बढ़कर 4.91 प्रतिशत पर पहुंच गयी
  • इस साल अक्टूबर में 4.48 प्रतिशत और नवंबर, 2020 में 6.93 प्रतिशत थी
  • इस साल नवंबर महीने में खाद्य मुद्रास्फीति 1.87 प्रतिशत रही

नयी दिल्ली। बीते महीने सरकार ने एक्साइज ड्यूटी घटाकर आम लोगों को बड़ा तोहफा दिया था। इससे महंगाई में कुछ कमी आने की उम्मीद थी। लेकिन खाने पीने की वस्तुओं की महंगाई ने इस पर पानी फेर दिया है। खाद्य उत्पाद महंगा होने से खुदरा मुद्रास्फीति नवंबर महीने में मामूली बढ़कर 4.91 प्रतिशत पर पहुंच गयी। सोमवार को जारी सरकारी आंकड़ों में यह जानकारी दी गई है। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति इस साल अक्टूबर में 4.48 प्रतिशत और नवंबर, 2020 में 6.93 प्रतिशत थी। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के आंकड़ों के अनुसार, इस साल नवंबर महीने में खाद्य मुद्रास्फीति 1.87 प्रतिशत रही जो इससे पिछले महीने में 0.85 प्रतिशत थी। 

कहां कितनी बढ़ी महंगाई 

पेट्रोल डीजल की कीमतों में कटौती के चलने ट्रांसपोर्ट और कम्युनिकेशन की मद में 0.6 की गिरावट देखने को मिली है। लेकिन खाने पी​ने की चीजों की महंगाई ने इस पर पानी फेरा है। खाने की चीजों की रिटेल महंगाई नवंबर में बढ़कर 1.87 फीसदी हो गई है। वहीं, सब्जियों की रिटेल महंगाई की बात करें, तो यह -13.62 फीसदी पर रही है। दूसरी तरफ, दालों की रिटेल महंगाई 3.18 फीसदी पर रही है। कपड़ों और जूतों की रिटेल महंगाई 7.94 फीसदी पर रही है।वहीं, तेल और ऊर्जा की रिटेल महंगाई नवंबर में 13.35 फीसदी पर पहुंच गई है। दूसरी तरफ, घरों की रिटेल महंगाई 3.66 फीसदी पर रही है।

RBI को महंगाई ज्यादा बने रहने की उम्मीद

भारतीय रिजर्व बैंक द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा तय करते समय मुख्य रूप से खुदरा महंगाई दर पर गौर करता है। उसका मानना है कि मुद्रास्फीति का आंकड़ा चालू वित्त वर्ष की बची हुई अवधि में ऊंचा रहेगा क्योंकि तुलनात्मक आधार का प्रभाव अब प्रतिकूल हो गया है। रिजर्व बैंक के अनुसार, मुख्य मुद्रास्फीति चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में उच्चस्तर पर रहेगी। उसके बाद इसमें नरमी आएगी। 

CPI आधारित महंगाई क्या है?

आपको बता दें कि जब हम महंगाई दर की बात करते हैं, तो यहां हम कंज्यूमर प्राइस इंडैक्स (CPI) पर आधारित महंगाई की बात कर रहे हैं। सीपीआई सामान और सेवाओं की खुदरा कीमतों में बदलाव को ट्रैक करती है, जिन्हें परिवार अपने रोजाना के इस्तेमाल के लिए खरीदते हैं। महंगाई को मापने के लिए, हम अनुमान लगाते हैं कि पिछले साल की समान अवधि के दौरान सीपीआई  में कितने फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। आरबीआई अर्थव्यवस्था में कीमतों में स्थिरता रखने के लिए इस आंकड़े पर नजर रखता है। 

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