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Hindi News पैसा बिज़नेस एक ट्वीट से ‘रॉकस्टार’ बने वेदांता के चेयरमैन अनिल अग्रवाल, Bollywood से फिल्म के लिए मिल रहे ऑफर

एक ट्वीट से ‘रॉकस्टार’ बने वेदांता के चेयरमैन अनिल अग्रवाल, Bollywood से फिल्म के लिए मिल रहे ऑफर

अग्रवाल ने कहा, मैं कोई स्टार नहीं हूं। मैं बहुत पढ़ा-लिखा नहीं हूं। मैं एक फिल्म अभिनेता नहीं हूं। लेकिन मुझे जो प्रतिक्रिया मिली है (मेरी यात्रा के बारे में ट्वीट के लिए), वह जबर्दस्त है।

<p>Anil Agrwal </p>- India TV Paisa Image Source : FILE Anil Agrwal 

Highlights

  • ‘बायोपिक’ बनाने के लिए बड़े-बड़े निर्माताओं की ओर से ‘ऑफर’ मिल रहे
  • इस साल फरवरी में अग्रवाल ने पहले बिहार से मुंबई की यात्रा के बारे में ट्वीट किया था
  • अग्रवाल ने कहा, मैं कोई स्टार नहीं हूं। मैं बहुत पढ़ा-लिखा नहीं हूं

Inspirational Story: वेदांता ग्रुप के चेयरमैन अनिल अग्रवाल एक ट्वीट से ‘रॉकस्टार’ बन गए हैं। दरअसल, खनन क्षेत्र के दिग्गज कारोबारी अनिल अग्रवाल ने सोशल मीडिया पर कबाड़-धातु कारोबार से शुरुआत कर इतना बड़ा साम्राज्य स्थापित करने की अपनी कहानी बताई थी। उसके बाद उनको किताब लिखने से लेकर उनकी ‘बायोपिक’ बनाने के लिए बड़े-बड़े निर्माताओं की ओर से ‘ऑफर’ मिल रहे हैं। इस साल फरवरी में 68 वर्षीय अग्रवाल ने पहले बिहार से मुंबई की अपनी यात्रा के बारे में ट्वीट किया। फिर उन्होंने अपनी लंदन यात्रा के बारे में बताया जहां उन्होंने वैश्विक स्तर पर एक बड़ी प्राकृतिक संसाधन कंपनी की अगुवाई की। यह कंपनी जस्ता-सीसा-चांदी, लौह अयस्क, इस्पात, तांबा, एल्युमीनियम, बिजली, तेल और गैस क्षेत्रों में कारोबार करती है। 

'मैं कोई स्टार नहीं हूं'

अग्रवाल ने कहा, मैं कोई स्टार नहीं हूं। मैं बहुत पढ़ा-लिखा नहीं हूं। मैं एक फिल्म अभिनेता नहीं हूं। लेकिन मुझे जो प्रतिक्रिया मिली है (मेरी यात्रा के बारे में ट्वीट के लिए), वह जबर्दस्त है। मेरे एक ट्वीट पर 20 लाख प्रतिक्रियाएं मिली हैं। मैं खुद हैरान हूं। वेदांता के चेयरमैन अनिल अग्रवाल का जन्म 24 जनवरी, 1954 को पटना, बिहार में निम्न-मध्यम वर्गीय मारवाड़ी परिवार में हुआ था। उनके पिता द्वारका प्रसाद अग्रवाल का एल्युमीनियम कंडक्टर का छोटा सा कारोबार था। उन्होंने अपने पिता के कारोबार में मदद के लिए 15 साल की उम्र में पढ़ाई छोड़ दी और 19 साल की आयु में सिर्फ एक टिफिन बॉक्स, बिस्तर और सपने लेकर मुंबई चले गए। अग्रवाल ने कहा, जब मैं अपनी कहानी लिखता हूं, तो मैं हमेशा इस बात का ध्यान रखता हूं कि कहीं मैं खुद को महिमामंडित तो नहीं कर रहा हूं। मैं केवल इतना कह रहा हूं कि कृपया विफलता से डरो मत। कभी छोटा मत सोचो या छोटे सपने मत देखो। अगर मैं यह कर सकता हूं, तो आप कर सकते हैं। आप मुझसे ज्यादा सक्षम हैं। यह मेरा संदेश है।

कई बड़े फिल्मी निर्माताओं ने संपर्क किया

जहां उनका सोशल मीडिया पोस्ट ‘हिट’ हो गया है, वहीं अग्रवाल कहते हैं कि प्रकाशक लगातार उनके लोगों से पुस्तक अधिकार के लिए संपर्क कर रहे हैं। फिल्मों के ऑफर भी उनके पास आए हैं। उन्होंने किसी का नाम लिए बिना कहा, कोई एक फिल्म कंपनी नहीं है जिसने संपर्क किया हो। सभी बड़े निर्माताओं ने संपर्क किया है। वे मुझे ‘बायोपिक’ के लिए पैसे देना चाहते हैं। अग्रवाल ने कहा कि अभी उन्होंने मन नहीं बनाया है। वह अपने सहयोगियों और पुत्री प्रिया से बात करने के बाद इस पर कोई फैसला करेंगे। उन्होंने कहा, मैं कोई रॉकस्टार नहीं हूं। 

मुझे अपनी ‘जड़ों’ पर गर्व है

मैं पटना का रहने वाला हूं और मुझे अपनी ‘जड़ों’ पर गर्व है। मुझे कहा गया है कि मैं पटना से आता हूं, मुझे यह नहीं बताना चाहिए क्योंकि इससे मेरा नाम खराब होगा। मैंने उनसे कहा है कि मैं इसे रोकूंगा नहीं। मेरी शुरुआत वहीं से हुई है। उनका यह बयान उनकी बेबाक छवि से मेल खाता है। उन्होंने तीन दशक में जो हासिल किया है उसके पीछे वजह उनके द्वारा किए गए साहसिक सौदे हैं। अनिल अग्रवाल ने 1976 में तांबा कंपनी के रूप में स्टरलाइट इंडस्ट्रीज की स्थापना की थी। बाद में उन्होंने दूरसंचार कंपनियों के लिए तांबा केबल के क्षेत्र में भी उतरने का फैसला किया। वह 2001 में उस समय चर्चा में आए थे जब उनकी कंपनी ने सरकारी एल्युमीनियम कंपनी बाल्को का अधिग्रहण किया था। दो साल बाद वेदांता लंदन स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध होने वाली पहली भारतीय कंपनी बनी। कई सप्ताह तक ट्वीट की श्रृंखला में अग्रवाल ने अपनी शुरुआती यात्रा, अपने मुश्किल वर्ष, अपने संघर्ष और ‘डिप्रेशन’ का जिक्र किया है। उनकी पहली कंपनी ‘शमशेर स्टर्लिंग केबल कंपनी’ थी। आज वह दुनिया की बहुराष्ट्रीय खनन कंपनी के मालिक हैं। हालांकि, उनकी यह यात्रा आसान नहीं रही है। 

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