Vedanta का डीमर्जर मार्च तक होने की उम्मीद, अनिल अग्रवाल ने पांच कंपनियों को लेकर कही ये बात
वेदांता समूह के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने कहा कि एसेट बिक्री या अन्य पुनर्गठन विकल्पों की बजाय डीमर्जर का रास्ता इसलिए चुना, ताकि जिंक, एल्युमिनियम, ऑयल एंड गैस, पावर, आयरन ओर और स्टील जैसे सभी कारोबार अपनी पूरी ग्रोथ क्षमता के साथ आगे बढ़ सकें।

तेल से लेकर धातुओं तक कारोबार करने वाली दिग्गज कंपनी Vedanta Ltd अपने प्रस्तावित डीमर्जर को मार्च 2026 तक पूरा करने की तैयारी में है। डीमर्जर के बाद कंपनी पांच अलग-अलग, स्वतंत्र रूप से सूचीबद्ध और प्योर-प्ले कंपनियों में बंट जाएगी। कंपनी के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने बुधवार को कहा कि इन सभी इकाइयों में मौजूदा Vedanta के बराबर तक बढ़ने की पूरी क्षमता है। मंगलवार को नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) ने वेदांता के डीमर्जर प्लान को मंजूरी दे दी। इसके तहत बेस मेटल्स का कारोबार वेदांता लिमिटेड के पास रहेगा, जबकि अन्य चार लिस्टेड इकाइयों में वेदांता एल्युमीनियम, तलवंडी साबो पावर, वेदांता स्टील और आयरन और माल्को एनर्जी शामिल होंगी।
डीमर्जर का रास्ता क्यों चुना
खबर के मुताबिक, अनिल अग्रवाल ने बताया कि एसेट बिक्री या अन्य पुनर्गठन विकल्पों की बजाय डीमर्जर का रास्ता इसलिए चुना गया, ताकि जिंक, एल्युमिनियम, ऑयल एंड गैस, पावर, आयरन ओर और स्टील जैसे सभी कारोबार अपनी पूरी ग्रोथ क्षमता के साथ आगे बढ़ सकें, खासकर ऐसे समय में जब भारत में इन सेक्टर्स की मांग तेजी से बढ़ रही है। उन्होंने वेदांता की तुलना बरगद के पेड़ से करते हुए कहा कि वेदांता एक विशाल बरगद की तरह है। इसके हर कारोबार में अपार संभावनाएं हैं और हर एक अपने आप में एक स्वतंत्र बरगद का पेड़ बन सकता है।”
डीमर्जर की प्रक्रिया अगले 3–4 महीनों में पूरी होने की उम्मीद
अग्रवाल ने कहा कि मेरा विजन है कि हर नई कंपनी रेवेन्यू के लिहाज से वेदांता जितनी बड़ी बने। असल में हम पांच नई वेदांता तैयार कर रहे हैं, जिससे हमारे शेयरधारकों को सबसे ज्यादा फायदा होगा।उन्होंने बताया कि डीमर्जर की प्रक्रिया अगले 3–4 महीनों में पूरी होने की उम्मीद है, जबकि मार्च 2026 को अंतिम लक्ष्य रखा गया है। डीमर्जर के बाद वेदांता के मौजूदा शेयरधारकों को उनके हर एक शेयर के बदले नई बनी प्रत्येक कंपनी का एक-एक शेयर मिलेगा।
नियमित डिविडेंड भुगतान होता रहेगा
डीमर्जर के औचित्य को समझाते हुए अग्रवाल ने कहा कि वैश्विक स्तर पर बड़ी रिसोर्स कंपनियां आमतौर पर प्योर-प्ले मॉडल पर काम करती हैं, यानी वे केवल एक ही सेक्टर पर फोकस रखती हैं। वेदांता का यह पुनर्गठन भी इसी अंतरराष्ट्रीय मॉडल के अनुरूप है। कर्ज को लेकर उन्होंने स्पष्ट किया कि कंपनी पर मौजूद करीब ₹48,000 करोड़ का कर्ज डीमर्ज की गई इकाइयों में उनकी कैश फ्लो क्षमता और बैलेंस शीट की मजबूती के आधार पर बांटा जाएगा, न कि समान रूप से। हर नई कंपनी का स्वतंत्र बोर्ड और पेशेवर प्रबंधन होगा। प्रमोटर्स की हिस्सेदारी करीब 50 फीसदी रहेगी, लेकिन वे रोजमर्रा के संचालन में शामिल नहीं होंगे। डीमर्जर के बाद भी आक्रामक पूंजीगत निवेश (कैपेक्स) और नियमित डिविडेंड भुगतान जारी रहेगा।
चांदी का उत्पादन 3,000 टन करने की योजना
अग्रवाल ने यह भी कहा कि वे सभी नई कंपनियों के चेयरमैन नहीं हो सकते। उन्होंने हिन्दुस्तान जिंक का उदाहरण देते हुए कहा कि उनकी बेटी प्रिया अग्रवाल के नेतृत्व में वहां स्वतंत्र प्रबंधन ने बेहतर नतीजे दिए हैं। भविष्य की योजनाओं पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि वेदांता का लक्ष्य जिंक उत्पादन बढ़ाकर खुद को दुनिया के शीर्ष उत्पादकों में शामिल करना है। वहीं, चांदी का उत्पादन 700 टन से बढ़ाकर 3,000 टन करने की योजना है, ताकि घरेलू मांग को पूरा किया जा सके। लेड उत्पादन में भी बड़ा विस्तार किया जाएगा। एल्युमिनियम सेक्टर में कंपनी मौजूदा 3 मिलियन टन क्षमता को दोगुना करने की दिशा में काम कर रही है। इसके अलावा राजस्थान में एक बड़ा DAP फर्टिलाइजर प्लांट भी स्थापित किया जा रहा है।
'डिविडेंड मेरे खून में है'
ऑयल एंड गैस कारोबार में सरकार की नीतियों में बदलाव से निवेश माहौल बेहतर हुआ है। वेदांता का लक्ष्य निकट भविष्य में 3 लाख बैरल प्रतिदिन उत्पादन और अगले 4–5 वर्षों में इसे 10 लाख बैरल प्रतिदिन तक बढ़ाने का है। आयरन ओर और स्टील कारोबार में कंपनी ग्रीन स्टील पर फोकस करेगी, जिसकी प्रस्तावित क्षमता 10–15 मिलियन टन होगी। वहीं, पावर बिजनेस में 20,000 मेगावाट क्षमता हासिल करने का लक्ष्य रखा गया है। कैपेक्स और डिविडेंड पर जोर देते हुए अग्रवाल ने कहा कि भारत में मैन्युफैक्चरिंग ग्रोथ के लिए कैपेक्स बेहद जरूरी है, और डिविडेंड मेरे खून में है-डिविडेंड हमेशा मिलता रहेगा।
कर्ज को लेकर भरोसा जताते हुए उन्होंने कहा कि वेदांता का ₹48,000 करोड़ का नेट डेट स्तर पूरी तरह मैनेजेबल है और यह वैश्विक स्तर पर कम लीवरेज वाली कंपनियों में शामिल है। कंपनी आगे भी अपने बैलेंस शीट को मजबूत और संतुलित बनाए रखने पर काम करती रहेगी।