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Hindi News पैसा गैजेट कैसे काम करती है झूठ पकड़ने वाली Lie Detector मशीन, क्या हर बार सही होता है टेस्ट? जानें इसके स्टेप्स

कैसे काम करती है झूठ पकड़ने वाली Lie Detector मशीन, क्या हर बार सही होता है टेस्ट? जानें इसके स्टेप्स

लाई डिटेक्टर मशीन का उपयोग यह जानने के लिए किया जाता है कि कोई व्यक्ति झूठ बोल रहा है या फिर सच। आपने इस मशीन के बारे में जरूर सुना होगा। आज हम आपको बताने वाले हैं कि इस मशीन से झूठ पकड़ने के लिए पॉलीग्राफ टेस्ट कैसे किया जाता है और यह टेस्ट कितना एक्यूरेट होता है।

Polygraph machines, lie detector tests,physiological responses,accuracy of polygraph tests,limitatio- India TV Paisa Image Source : फाइल फोटो लाई डिटेक्टर मशीन का हर कोई उपयोग नहीं कर सकता।

How Accurate is a Polygraph Test: लाई डिटेक्टर मशीन को टेक्निकल भाषा में पॉलीग्राफ मशीन (Polygraph Machine) के नाम से भी जाना जाता है। इस मशीन का उपयोग यह जानने के लिए किया जाता है कि कोई व्यक्ति सच बोल रहा है या फिर झूठ। इसके काम को देखकर कई जगहों पर इसे झूठ पकड़ने वाली मशीन के नाम से भी बुलाते हैं। हर किसी को इसके इस्तेमाल की इजाजत नहीं है। ज्यादातर कानून एजेंसी और दूसरे संगठन इसका उपयोग करते हैं। इस मशीन से टेस्ट कराने के लिए कोर्ट से इजाजत लेनी पड़ती है और मामले की गंभीरत के अनुसार कोर्ट इसकी अनुमति देता है। 

 इस मशीन की खोज करीब 100 साल पहले जॉन अगस्तस लार्सन ने की थी।  इस मशीन को लेकर अक्सर इस तरह के सवाल मन में आते हैं ये कैसे किसी के झूठ को पकड़ती हैं और यह कैसे और कितना एक्यूरेट रिजल्ट देती होंगी। आज हम आपको बताने वाले हैं कि यह कैसे किसी के झूठ को पकड़ती है और इसका टेस्ट कितना सही होता है...

पॉलीग्राफ मशीन यानी लाई डिटेक्टर में कई तरह के कंपोनेट होते हैं और यह व्यक्ति के शारीरिक रिस्पॉन्स को ट्रैक करती है और उसी के अनुसार यह डिसाइड करती है कि कोई सच बोल रहा है या फिर झूठ आइए इसके सभी स्टेप्स के बारे में जानते हैं।

लाई डिटेक्टर मशीन में होते हैं ये कंपोनेंट

  1. लाई डिटेक्टर में न्यूमोग्राफ टेस्ट होता है। यह कंपोनेंट व्यक्ति के सांस के पैटर्न को ट्रैक करती है और सांस लेने की गति में बदलाव का पता लगाती है।
  2. पॉलीग्राफी टेस्ट कार्डियोवैस्कुलर रिकॉर्डर होता है। यह कंपोनेंट व्यक्ति के दिल की गति और ब्लड प्रेशर को रिकॉर्ड करता है। 
  3. गैल्वेनोमीटर स्किन में होने वाली इलेक्ट्रिकल गति को मापती है। यह पसीने की ग्रंथि में होने वाले बदलाव को नोटिस करती है। 
  4. एक दूसरी रिकॉर्डिंग डिवाइस का भी उपयोग पॉलीग्राफ टेस्ट में होता है। यह मशीन दूसरी सभी मशीन से लिए गए डेटा को रिकॉर्ड करती है। 

जब किसी व्यक्ति का पॉलीग्राफ टेस्ट होता है तो उससे की तरह के सवाल पूछे जाते हैं और उन सवालों का वह किस तरह से जवाब दे रहा है और उसके शरीर में क्या बदलाव आ रहे हैं उसे मशीन रिकॉर्ड करती है। ज्यादातर सवाल हां या नहीं उत्तर वाले होते हैं। बता दें कि पॉलीग्राफ टेस्ट हमेशा सही नहीं होता। कई बार मशीन में यह शो होता है कि व्यक्ति झूठ बोल रहा है लेकिन ऐसा होता नहीं है। व्यक्ति में घबराहट की वजह से भी की तरह के शारीरिक बदलाव आने लगते हैं। 

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