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Health Insurance प्लान पोर्ट करना है कितनी समझदारी? जानिए इसके नफा-नुकसान

हेल्थ इंश्योरेंस पोर्टेबिलिटी एक अच्छा विकल्प हो सकता है, खासकर जब आप बेहतर कवरेज या सेवा की तलाश में हैं। लेकिन इसे अपनाने से पहले इसके नियम, संभावित बढ़ी हुई लागत और नई शर्तों को समझ लेना जरूरी है।

पोर्टेबिलिटी में आपको पहले से मौजूद बीमारियों के लिए फिर से वेटिंग पीरियड से नहीं गुजरना पड़ता है।- India TV Paisa Image Source : FREEPIK पोर्टेबिलिटी में आपको पहले से मौजूद बीमारियों के लिए फिर से वेटिंग पीरियड से नहीं गुजरना पड़ता है।

हेल्थ इंश्योरेंस आज के दौर में सिर्फ एक विकल्प नहीं, बल्कि जरूरत बन चुका है। लेकिन अगर आपका मौजूदा प्लान आपकी उम्मीदों पर खरा नहीं उतर रहा, तो क्या उसे पोर्ट करना समझदारी होगी? यह सवाल आपके मन में तैर सकता है। कई बार हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसीहोल्डर बेहतर कवरेज, कम प्रीमियम या बेहतर क्लेम सर्विस की तलाश में अपना हेल्थ इंश्योरेंस प्लान पोर्ट करने का विचार करते हैं। हालांकि, यह फैसला लेने से पहले इसके फायदे और नुकसान को अच्छे से समझना जरूरी है। आइए, यहां हम इन्हीं बातों पर चर्चा करते जानिए, ताकि आप ले सकें एक सही और सूझबूझ भरा निर्णय।

हेल्थ इंश्योरेंस पोर्टेबिलिटी को समझ लीजिए

हेल्थ इंश्योरेंस पोर्टेबिलिटी एक अहम सुविधा है जो बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) द्वारा प्रदान की जाती है। इसका सीधा मतलब है कि अगर आप अपनी मौजूदा हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी को किसी दूसरी बीमा कंपनी में ट्रांसफर करना चाहते हैं, तो आप बिना अपने बेनिफिट्स को गंवाए ऐसा कर सकते हैं। पोर्टेबिलिटी में आपको पहले से मौजूद बीमारियों के लिए फिर से वेटिंग पीरियड से नहीं गुजरना पड़ेगा। यानी जो वेटिंग पीरियड आपने पुरानी कंपनी के साथ पूरा कर लिया है, वो नई पॉलिसी में भी मान्य रहेगा।

लोग आखिर क्यों पोर्ट करते हैं प्लान

hdfcergo के मुताबिक, कई बार लोग अपनी बदलती स्वास्थ्य जरूरतों को पूरा करने के लिए ऐसा करते हैं। इसके अलावा, अधिक कवरेज और कम प्रीमियम के साथ बेहतर बेनिफिट्स पाने के लिए भी लोग प्लान पोर्ट करा लेते हैं। एक वजह नेटवर्क अस्पतालों की नजदीकी के चलते या फिर किसी नए शहर या स्थान पर शिफ्ट होने के कारण भी प्लान पोर्ट करा लेते हैं। एक और अहम वजह यह भी है कि वह मौजूदा बीमा कंपनी की ग्राहक सेवा से असंतुष्ट होते हैं और पोर्ट का फैसला लेते हैं। अगर आप भी अपनी पॉलिसी पोर्ट करने का विचार कर रहे हैं, तो इससे जुड़े नियमों और लाभों की पूरी जानकारी लेकर ही कदम बढ़ाएं।

हेल्थ इंश्योरेंस पोर्टेबिलिटी के फायदे

पहले वाले बेनिफिट्स आगे भी जारी रहते हैं
हेल्थ इंश्योरेंस पोर्टेबिलिटी का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इससे आपके पहले वाले बेनिफिट्स आगे भी जारी रहते हैं। जैसे अगर आपने अपनी पुरानी पॉलिसी में पहले से मौजूद बीमारियों  के लिए वेटिंग पीरियड पूरा कर लिया है, तो वही लाभ नई बीमा कंपनी में भी मान्य रहेगा। यानी नई पॉलिसी में ये बीमारियां पहले दिन से ही कवर होंगी।

बेहतर कवरेज
अगर आपकी स्वास्थ्य संबंधी जरूरतें बदल गई हैं या परिवार बड़ा हो गया है, तो आप अपनी जरूरतों के अनुसार किसी बेहतर पॉलिसी में पोर्ट कर सकते हैं।

बेहतर कस्टमर सर्विस
अगर आप मौजूदा बीमा कंपनी की सेवाओं से संतुष्ट नहीं हैं, तो आप बिना अपने लाभ खोए किसी दूसरी कंपनी में पॉलिसी पोर्ट कर सकते हैं।

नो-क्लेम बोनस बना रहता है
अगर आपने पुरानी पॉलिसी में कोई क्लेम नहीं किया है और नो-क्लेम बोनस हासिल किया है, तो वह बोनस नई पॉलिसी में भी ट्रांसफर हो जाता है।

अब जान लीजिए पोर्टेबिलिटी के नुकसान

पोर्टिंग के नियम
आप अपनी हेल्थ पॉलिसी को केवल पॉलिसी के नवीनीकरण (रिन्युअल) के समय ही पोर्ट कर सकते हैं। बीच में कभी भी पोर्ट करना संभव नहीं है।

बढ़ सकता है प्रीमियम 
नई पॉलिसी में प्रीमियम बढ़ सकता है। यह आपकी उम्र, वर्तमान स्वास्थ्य स्थिति, शहर, और अतिरिक्त कवरेज जैसे फैक्टर पर निर्भर करता है।

नई शर्तों को समझना पड़ेगा
नई बीमा कंपनी में जाने से आपकी पॉलिसी की शर्तें और नियम बदल सकते हैं। इसलिए, आपको नई पॉलिसी को फिर से समझना और पढ़ना जरूरी होगा।

कब और कैसे करें पोर्ट?

आपको अपनी पॉलिसी की एक्सपायरी डेट से 45 से 60 दिन पहले पोर्टेबिलिटी के लिए आवेदन करना चाहिए। यह सबसे अच्छा समय है ताकि प्रक्रिया आसानी से पूरी हो सके।

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