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कोरोना के इलाज में कैसे सहायक बनेगी नई दवा Itolizumab, जानिए इसके बारे में सब कुछ

बायोकॉन की बायोजॉलिक दवा इटोलिजूमैब (Itolizumab) का प्रयोग कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के इलाज में किया जाएगा। जानिए इस एंटीबॉडी के बारे में सबकुछ।

coronavirus, corona antibody, Itolizumab- India TV Hindi Image Source : BIOCON कोरोना के इलाज में कैसे सहायक बनेगी नई दवा Itolizumab, जानिए इसके बारे में सब कुछ

जैव प्रौद्योगिकी कंपनी बायोकॉन की बायोजॉलिक दवा इटोलिजूमैब (Itolizumab) का प्रयोग कोविड-19 के मरीजों के इलाज में करने की भारतीय औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) से मंजूरी मिल गयी है। 

कंपनी ने बीएसई को बताया कि डीसीजीआई ने कोविड-19 के कारण श्वसन संबंधी गंभीर समस्याओं से जूझ रहे मरीजों के इलाज में इटोलिजूमैब इंजेक्शन (25 मिलीग्राम/पांच मिलीलीटर) का आपातकालीन प्रयोग करने की मंजूरी दी है। कंपनी ने कहा कि मुंबई और नयी दिल्ली के कई अस्पतालों में नियंत्रित क्लीनिक परीक्षण के परिणामों के बाद इटोलिजूमैब के प्रयोग की मंजूरी मिली है। 

क्या है इटोलिजूमैब?

इटोलिज़ुमाब क्यूबा के सेंटर फॉर मॉलिक्यूलर इम्यूनोलॉजी (CIM) के सहयोग से बैंगलोर स्थित बायोफार्मास्युटिकल कंपनी, बायोकॉन द्वारा विकसित एक 'मानवकृत मोनोक्लोनल एंटीबॉडी' है।   

मोनोक्लोनल एंटीबॉडी इम्यून सेल्स द्वारा उत्पादित एंटीबॉडी हैं जो एक पैरेंट्स की इम्यून सेल्स  से क्लोन किए जाते हैं। इन एंटीबॉडी को एक विशिष्ट प्रकार के प्रोटीन से बांधने के लिए डिज़ाइन किया गया है। 

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इटोलिजूमैब की बात करें तो यह चुनिंदा रूप से सीडी 6 को टारगेट करता है, जो टी-सेल के बाहरी झिल्ली में पाया जाने वाला एक प्रोटीन है। टी-सेल एक प्रकार की व्हाइट ब्लड सेल्स है जो शरीर की इम्यूनिटी सिस्टम के रिस्पॉस में सेंट्रल का रोल निभाती  है। जब शरीर किसी बाहरी संक्रमण का सामना करता है तो टी-सेल्स की निरंतर गतिविधि के लिए प्रोटीन सीडी6  बहुत ही जरूरी है।

आपको बता दें कि इसका इस्तेमाल सोरायसिस  के इलाज में किया जाता है। इस एंटीबॉडी को लेने से स्किन की कोशिकाएं बननी है।

कैसे होगा कोरोना में कारगर

इसका इस्तेमाल कोरोना वायरस से संक्रमित व्यक्ति पर किया जा सकता है। मेडिकल टर्म एआरडीएस के मरीजों को फेफड़ों में समस्या होती है। जिसके कारण सांस लेना मुश्किल हो जाता है और कई बार बहुत तेज जलन भी होती है।  कोरोना वायर संक्रमण की बात करें तो इससमें कभी-कभी इम्यूनिटी सिस्टम एक ओवरड्राइव में चली जाती है। जिसे साइटोकिन्स तूफान के रूप में जाना जाता जिससे सूजन और  शरीर के अंगर को नुकसान पहुंचता है। ऐसे में जब इटोलिजूमैब दिया जाता है तो यह सीडी 6 को बनाकर टी-सेल्स को  एक्टिव करता है। जिससे यह शरीर में उठ रहे तूफान को कम करने में मदद करता है।

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कोरोना से संक्रमित व्यक्ति को कितना दिया जाएगा डोज

बीएसई को बताया कि डीसीजीआई ने कोविड-19 के कारण श्वसन संबंधी गंभीर समस्याओं से जूझ रहे मरीजों के इलाज में इटोलिजूमैब इंजेक्शन (25 मिलीग्राम/पांच मिलीलीटर) का आपातकालीन प्रयोग करने की मंजूरी दी है। 

कहां किए गए है कोरोना को लेकर इसके परीक्षण

बायोकॉन कंपनी ने इस बारे में कहा कि मुंबई और नयी दिल्ली , बेंगलुरु के कई अस्पतालों में नियंत्रित क्लीनिक परीक्षण के परिणामों के बाद इटोलिजूमैब के प्रयोग की मंजूरी मिली है। 

साल 2006 में कंपनी ने भारत में बनाना शुरू किया था एंटीबॉडी

बायोकॉन ने सेंटर फॉर मॉलिक्यूलर इम्यूनोलॉजी (CIM) के साथ मिलकर अणु का विकास शुरू किया था। कंपनी की वैज्ञानिक टीम ने 2006 में भारत में ऑटो-इम्यून बीमारियों के लिए एंटीबॉडी विकसित करना शुरू किया।  

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