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Hindi News हेल्थ वात, पित्त और कफ रोग से रहते हैं परेशान? स्वामी रामदेव से जानिए इसे जड़ से खत्म करने का रामबाण इलाज

वात, पित्त और कफ रोग से रहते हैं परेशान? स्वामी रामदेव से जानिए इसे जड़ से खत्म करने का रामबाण इलाज

स्वामी रामदेव के अनुसार वात पित्त और कफ को त्रिदोष कहते हैं। इनके असतुंलन होने से क्रोनिक डिजीज की समस्याएं हो जाती है।

वात, पित्त और कफ हमारे शरीर का नेचर तय करते है। हम जिस अंदरूनी एनर्जी की बात करते हैं तो वह यह तीनों है। वात, पित्त और कफ हमारे शरीर को स्पीड देने का काम  करते है। इसलिए इसका संतुलन रहना बहुत ही जरूरी है। अगर जरा सा भी इनका संतुलन बिगड़ा तो कई खतरनाक रोगों के आप शिकार हो सकते हैं। 

स्वामी रामदेव के अनुसार वात पित्त और कफ को त्रिदोष कहते हैं। इनके असतुंलन होने से क्रोनिक डिजीज की समस्याओं हो जाती है।  आयुर्वेद के अनुसार कफ दोष में 28 रोग, पित्त रोग में 40 रोग और वात दोष में 80 प्रकार के रोग होते हैं। जहां कफ की समस्या चेस्ट के ऊपरी हिस्से में होती है। वहीं पित्त की समस्या चेस्ट के नीचे और कमर में होती है। इसके अलावा वात की समस्या कमर के नीचे हिस्से और हाथों में होती है।  इस त्रिदोष की समस्या को योगसन, प्राणायाम और घरेलू उपायों से ठीक किया जा सकता है। 

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त्रिदोष से होने वाले रोग

कफ रोग

  • मोटापा होना
  • थायराइड होना
  • सर्दी, खांसी-जुकाम
  • आंखों में मोतियाबिंद होना।
  • कम सुनाई देना।
  • आंखों का लाल होना।
  • डार्क सर्कल होना।

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पित्त रोग

  • हिचकियां आना।
  • जॉन्डिस की समस्या होना। 
  • स्किन , नाखून और आंखों का रंग पीला होना।
  • अधिक गुस्सा आना।
  • शरीर में तेज जलन या गर्मी लगना
  • मुंह, गला आदि का पकना।
  • बेहोशी या चक्कर आना।

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वात रोग

  • हड्डियों में ढीलापन।
  • हड्डियों का सखिसकना या टूटना।
  • कब्ज की समस्या
  • मुंह का स्वाद कड़वा होना। 
  • अंगों का ठंडा और सुन्न होना।
  • शरीर में अधिक रूखापन होना।
  • सुई के चुभने जैसा दर्द
  • हाथों और पैरों की अंगुलियों में अचानक दर्द 
  • शरीर में अकड़न

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त्रिदोष से निजात पाने योगासन

सूक्ष्म व्यायाम- इस व्यायाम को करने से हर तरह से वात रोग से निजात मिल जाता है। इसके अलावा पित्त और कफ में भी कारगर साबित होगा।  

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योगमुद्रासन- इस आसन को करने से वात रोग के साथ-साथ पित्त और कफ रोग की समस्याओं से निजात मिलता है। इससे पेट की चर्बी कम होने के साथ-साथ रीढ़ की हड्डी मजबूत होती है। 

बद्ध कोणासन
जांघ और हिप्स को लचीला बनाता है। इस आसन के किए सबसे पहले बिल्कुल सीधे खड़े हो जाएं और दोनों पैरों के बीच थोड़ा सा अंतर रखें। इसके बाद लंबी सांस लेते हुए अपनी गर्दन को मोड़े और अपने शरीर को दाएं ओर में झुकाएं। बांए हाथ को बगल की ओर ऊपर लाएं और दांए हाथ को दांए टखने पर धीरे–धीरे नीचे ले जाए। इसके बाद दोनों हाथों की स्पीड और शरीर को बैलेंस करें। कुछ देर इस आसन को करके दूसरे ओर से करें। अगर कमर दर्द है तो वह आगे ज्यादा न झुकें वहीं अगर हार्निया है तो पीछे ज्यादा झुकने से बचें।

मंडूकासन
 इस आसन के लिए व्रजासन या पद्मासन में बैठ जाएं। इसके बाद गहरी सांस लें और अपने दोनों हाथ के उंगलियों को मोड़कर मुट्ठी बनाएं। अब दोनों हाथ की मुट्ठी को नाभि के दोनों तरफ रखें और सांस छोड़ते हुए आगे की ओर झुकेंगे। इस आसन में थोड़ी देर रहने के बाद फिर आराम से  सांस छोड़ते हुए सीधे हो जाए।  इस आसन को 5-6 बार करें। इस आसन को करने से  मधुमेह वालों के लिए फायदेमंद। पैंक्रियाज में इंसुलिन रिलीज करने के साथ ही इम्यूनिटी को बढ़ाने में मदद करें।

उष्ट्रासन
सबसे पहले योग मैट पर घुटनों के बल बैठ जाएं और आराम से अपने हाथ अपने हिप्स पर रख लें। इसके बाद पैरों के तलवे छत की तरफ रहें। सांस अंदर लेते हुए रीढ़ की निचली हड्डी को आगे की तरफ आने  का दबाव डालें। अब कमर को पीछे की तरफ मोड़ें। धीरे से हथेलियों की पकड़ पैरों पर ही  मजबूत बनाएं। बिल्कुल भी तनाव न लें। इस आसन में कुछ देर रहने के बाद आराम से पुरानी अवस्था में आ जाएं। इस योग को करने से पाचन और प्रजनन प्रणाली ठीक से काम करती है। पीठ दर्द, थायरॉयड आदि से निजात मिलता है। 

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भुंजगासन
 इस आसन को दो तरह से किया जाता है। इस आसन के लिए योग मैट में आराम से पेट के बल ले जाएं। इसके बाद दोनों हाथों को अपने मुंह के सामने लाकर एक दूसरे के पास रखकर पान का आकार दें। इसके बाद  लंबी-लंबी सांस लेते हुए कमर के ऊपरी हिस्से को धीमे-धीमे उठाएं और फिर मुंह से अपने हथेलियों को छुए और फिर ऊपर जाएं। इस प्रक्रिया को 50 से 100 बार करना चाहिए।  इस आसन को करने से लंबाई बढ़ती है। इसके साथ ही शरीर की थकावट कम होती है। पेट की चर्बा से भी दिलाएं निजात। 

मर्कटासन
मर्कटासन कई तरीके से किया जाता है। इसके लिए पीठ के बंल आराम से लेट जाए। इसके बाद कंधों के बराबर अपने हाथों को फैलाएं। फिर दोनों पैरों को घुटनों से मोड़ लें। अब दोनों पैरों को मिलाकर पहले दाएं ओर करें। इसके साथ ही गर्दन को बाएं ओर मोड़े। फिर इस तरह दोबरा करें। इस आसन को करने से  पीठ दर्द से निजात, रीढ़ की हड्डी संबंधी हर समस्या से निजात, सर्वाइकल, गैस्ट्रिक, गुर्दे के लिए फायदेमंद। 

उत्तानपादासन
यह आसन बिल्कुल शलभासन के तरह होता है। बस इसमें पेट के बेल नहीं बल्कि पीठ के बल लेटकर किया जाता है। इस आसन को करने से छाती और मांसपेशियों में खिंचाव, पीठ के दर्द से निजात के साथ ही रीढ़ की हड्डी से सबंधी हर समस्या से निजात मिलता है। इसके साथ ही डायबिटीज कंट्रोल होने के साथ गर्दन और मांसपेशियों में खिंचाव होता है। 

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त्रिदोष से निजात पाने के लिए प्राणायाम

भस्त्रिका- इस प्राणायाम को तेजी के साथ करें। इससे आपको सर्दी-जुकाम सहित हर समस्याओं से निजात मिल जाएगा। 

अनुलोम विलोम
सबसे पहले पद्मासन की मुद्रा में बैठ जाएं। अब दाएं हाथ की अनामिका और सबसे छोटी उंगली को मिलाकर बाएं नाक पर रखें और अंगूठे को दाएं वाले नाक पर लगा लें। तर्जनी और मध्यमा को मिलाकर मोड़ लें। अब बाएं नाक की ओर से सांस भरें और उसे अनामिका और सबसे छोटी उंगली को मिलाकर बंद कर लें। इसके बाद दाएं नाक की ओर से अंगूठे को हटाकर सांस बाहर निकाल दें। इस आसन को 5 मिनट से लेकर आधा घंटा कर सकते हैं। इस आसन को करने से त्वचा संबंधी, दमकती त्वचा, डायबिटीज, ब्रेन संबंधी हर समस्या, तनाव, दिमाग को शांत रखें, ब्लड सर्कुलेशन ठीक रखने के साथ पाचन तंत्र को फिट रखने में मदद करता है।

कपालभाति
इस प्राणायाम को 5 से 10  मिनट करें। हर 5 मिनट के बाद 1 मिनट आराम करें। सामान्य व्यक्ति 3 बार 5-5 मिनट करें। इस आसन को हाइपरटेंशन, अस्थमा, खून की कमी, बीपी, हार्ट के ब्लॉकेज वाले लोग 2 सेकंड में एक स्ट्रोक करें।   अगर आपको पित्त की समस्या है तो धीमे-धीमे करें।

उज्जयी प्राणायाम
गले से सांस अंदर भरकर जितनी देर रोक सके उतनी देर रोके। इसके बाद दाएं नाक को बंद करके बाएं नाक के छिद्र से छोड़े। इस आसन को करने से मन शांत रहता है, अस्थमा, टीबी, माइग्रेम, अनिद्रा आदि समस्याओं से दिलाएं निजात। 

भ्रामरी प्राणायाम
इस प्राणायाम को करने के लिए पहले सुखासन या पद्मासन की अवस्था में बैठ जाएं। अब अंदर गहरी सांस भरते हैं। सांस भरकर पहले अपनी अंगूलियों को ललाट में रखते हैं। जिसमें 3 अंगुलियों से आंखों को बंद करते हैं। अंगूठे से कान को बंद कते हैं। मुंह को बंदकर 'ऊं' का नाद करते हैं। इस प्राणायाम को 3-21 बार किया जा सकता है।  इस आसन को करने से तनाव से मुक्ति के साथ मन शांत रहेगा। ​​

उद्गीथ प्राणायाम 
इस प्राणायाम को करने के लिए पद्मासन या सुखासन में बैठ जाएं और शांत मन से 'ऊं' के उच्चारण करते हैं।  इस प्राणायाम को करने से पित्त रोग, धातु रोग, उच्च रक्तताप जैसे रोगो से निजात मिलता है।

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शीतली प्राणायाम
सबसे पहले आराम से रीढ़ की हड्डी सीधी करके बैठ जाएं। इसके बाद जीभ को बाहर निकालकर सांस लेते रहें। इसके बाद दाएं नाक से हवा को बार  निकालें। इस प्राणायाम को 5 से 10 मिनट तक कर सकते हैं। पित्त रोग में काफी कारगर।

शीतकारी प्राणायाम
इस प्राणायाम में होंठ खुले, दांत बंद करें। दांत के पीछे जीभ लगाकर, दांतो से धीमे से सांस सांस अंदर लें और मुंह बंद करें। थोड़ी देर रोकने के बाद दाएं नाक से हवा बाहर निकाल लें और बाएं से हवा अंदर लें। पित्त रोग संबंधी समस्या है तो इस प्राणायाम को जरूर करें।

नाड़ी शुद्धि प्राणायाम
यह प्राणाायाम भी अनुलोम -विलोम की तरह होता है। लेकिन इसमें सांस को थोड़ी रोककर रख सकते हैं। इसके बाद दाएं नाक से हवा बाहर निकालें और बाएं नाक से हवा अंदर भरें। इससे शरीर के अंदर अधिक मात्रा में ऑक्सीजन अंदर जाती है। इस प्राणायाम को करने से वात रोग की समस्या खत्म हो जाती गै। 

त्रिदोष से ग्रसित लोगों को नहीं खानी चाहिए ऐसी चीजों का सेवन

स्वामी रामदेव के अनुसार वात, पित्त और कफ तीनों रोगों में अलग-अलग ऐसी चीजें है जिनका सेवन करने से बचना चाहिए। 

कफ रोग- इस प्रवृत्ति वाले लोगों को  चिकनी यानी घी, बटरआदि के अलावा खट्टी  और ठंडी चीजें खाने से बचना चाहिए। 
वात रोग- इस प्रवृत्ति के लोगों को खट्टी चीजों  के अलावा ठंडी चीजे और भिंडी, आलू, मटर, फुल गोभी, नींबू आदि का सेवन नहीं करना चाहिए।
पित्त रोग- इस प्रवृत्ति वाले लोगों को  ज्यादा गर्म चीजे नहीं खानी चाहिए। इसके अलावा ऑयली चीजें नहीं खाना चाहिए।

त्रिदोष रोगों से निजात पाने के घरेलू उपाय

वात रोगों के लिए घरेलू उपाय

  • हरसिंगार, पारिजात , निरगुंडी और  एलोवेरा का जूस पीने से मिलेगा लाभ। 
  • हल्दी मेथी और सौंठ का पाउडर  बनाकर पिएं।
  • लहसुन वात नाशक होता है। रोजाना खाल पेट 1-2 कली खाएं।
  • लौकी का जूस पिएं
  • पीडांतक, अश्वशीला और चंद्रप्रभा खाएं।
  • नाशपती का सेवन करने से पेट की सभी समस्याओं से निजात।
  • वात से ग्रसित लोग रात को दही और छाछ न खाएं। दोपहर में दही खा सकते हैं।

कफ रोग

  • श्वासारि का सेवन करें। इससे सर्दी-जुकाम की समस्या से निजात मिलेगा।  
  • दूध में छोटी पिपली डालकर पिएं।
  • दूध के साथ हल्दी और शीलाजीत पिएं।
  • त्रिकुटा का चूर्ण का सेवन कारगर साबित हो सकता है। 

पित्त

  • एसिडिटी की समस्या है तो लहसुन को छोटे-छोटे टुकड़ों  में करके घी से फ्राई करके इसका सेवन करें।
  • हल्दी मेथी और सौंठ का पाउडर दरदरा पानी पिएं। इससे पित्त की समस्या से छुटकारा मिलेगा। 
  • एलोवेरा , लौकी का जूस, व्हीटग्रास पित्त के लिए सबसे बेस्ट।
  • अवपतिकर चूर्ण और मुक्ताशुक्ति पाउडर का करें सेवन।
  • सुक्धा वटी सुबह-शाम 1-1 गोली लें। 

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