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Hindi News क्राइम जानें झारखंड के इस पर्वत को क्यों कहते हैं बूढ़ा पहाड़, जो नक्सलियों के लिए है सबसे सुरक्षित जगह

जानें झारखंड के इस पर्वत को क्यों कहते हैं बूढ़ा पहाड़, जो नक्सलियों के लिए है सबसे सुरक्षित जगह

120 IEDs Recovered from Budha Pahar Jharkhand:क्या आप जानते हैं कि झारखंड के इस पहाड़ को बूढ़ा पहाड़ क्यों कहते हैं, आखिर बूढ़ा पहाड़ नक्सलियों का सबसे बढ़ा गढ़ क्यों है, जहां नक्सली चिंतामुक्त होकर शासन-प्रशासन के लिए चुनौती पेश करते हैं। झारखंड पुलिस ने अब इसी पहाड़ से नक्सिलयों की ओर से लगाए गए 120 आइईडी बरामद किया।

झारखंड में सर्च ऑपरेशन चलाते सुरक्षा बल (प्रतीकात्मक फोटो)- India TV Hindi Image Source : PTI झारखंड में सर्च ऑपरेशन चलाते सुरक्षा बल (प्रतीकात्मक फोटो)

120 IEDs Recovered from Budha Pahar Jharkhand:क्या आप जानते हैं कि झारखंड के इस पहाड़ को बूढ़ा पहाड़ क्यों कहते हैं, आखिर बूढ़ा पहाड़ नक्सलियों का सबसे बढ़ा गढ़ क्यों है, जहां नक्सली चिंतामुक्त होकर शासन-प्रशासन के लिए चुनौती पेश करते हैं। झारखंड पुलिस ने अब इसी पहाड़ से नक्सिलयों की ओर से लगाए गए 120 आइईडी बम बरामद किया है।

दरअसल पुलिस झारखंड के बूढ़ा पहाड़ पर नक्सल विरोधी अभियान चला रही है। इस ऑपरेशन ऑक्टोपस के तहत शनिवार को केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) को एक बार फिर बड़ी सफलता हाथ लगी है। सीआरपीएफ और पुलिस के संयुक्त अभियान में बूढ़ा पहाड़ के जंगलों में नक्सलियों द्वारा लगाए गए करीब 120 आइईडी बरामद किए गए हैं। सीआरपीएफ ने बताया कि नक्सलियों के कभी गढ़ रहे और अब सुरक्षा बलों के कब्जे में आए बूढ़ा पहाड़ के जोकपानी के जंगल से एक गुप्त सूचना के आधार पर शनिवार को सीआरपीएफ की कोबरा बटालियन और जिला पुलिस के संयुक्त अभियान के दौरान जंगल में नक्सलियों द्वारा लगाए गए 120 आइईडी बम सहित नक्सली साहित्य और वायरलेस सेट बरामद किए गए हैं।

नक्सलियों के लिए मुफीद जगह है बूढ़ा पहाड़
झारखंड के जंगल में यह सबसे पुराना और बड़ा पहाड़ है। इसीलिए इसे बूढ़ा पहाड़ कहते हैं। यह नक्सलियों के लिए सबसे सुरक्षित जगह मानी जाती है। यह काफी वीहड़ और दुर्गम क्षेत्र में स्थित है। इसलिए यहां नक्सली आसानी से रहते हैं। यह क्षेत्र कभी नक्सलियों का सबसे बड़ा गढ़ था। यहां नक्सली आइईडी बम लगाकर रखते हैं। ताकि सुरक्षा बल आते ही विस्फोट में मारे जाएं। जानकारी के मुताबिक यहां से बरामद किए गए सभी आइईडी को मौके पर ही डिफ्यूज कर दिया गया। इसके बाद आगे भी जंगलों में तलाशी अभियान चलाया जा रहा है। पूरी कार्यवाही को सीआरपीएफ की 172 बटालियन और 203 कोबरा बटालियन सहित झारखंड पुलिस के साथ मिलकर अंजाम दिया गया।

ऑक्टोपस अभियान में मिले थे 200 बम
गौरतलब है कि इसके पहले भी इसी इलाके से करीब 200 आइईडी बरामद किए गए थे। दरअसल पिछले महीने बूढ़ा पहाड़ को नक्सल मुक्त करने के लिए चलाए गए ऑक्टोपस नामक अभियान के दौरान जब से बूढ़ा पहाड़ पर सीआरपीएफ की बटालियन ने अस्थाई कैंप स्थापित किया है, तब से नक्सली अपने इस सुरक्षित ठिकाने को छोड़कर भाग खड़े हुए हैं। यही वजह है कि जवानों द्वारा काफी बड़े इलाके में फैले इस जंगल के क्षेत्रों में लगातार सर्च अभियान चलाकर विस्फोटक सामग्री बरामद की जा रही है।

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