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Hindi News दिल्ली कोरोना मरीजों के लिए दिल्ली सरकार ने लॉन्च की 'जीवन सेवा' ऐप, मिलेगी ये सुविधा

कोरोना मरीजों के लिए दिल्ली सरकार ने लॉन्च की 'जीवन सेवा' ऐप, मिलेगी ये सुविधा

दिल्ली सरकार ने गुरुवार से 'जीवन सेवा' मोबाइल ऐप शुरू कर दी है, यह ऐप घर में आइसोलेट हुए कोरोना मरीजों को इलेक्ट्रिक एंबुलेंस मुहैया कराएगी।

कोरोना मरीजों के लिए दिल्ली सरकार ने लॉन्च की 'जीवन सेवा' ऐप, मिलेगी ये सुविधा- India TV Hindi Image Source : ANI कोरोना मरीजों के लिए दिल्ली सरकार ने लॉन्च की 'जीवन सेवा' ऐप, मिलेगी ये सुविधा

नई दिल्ली: दिल्ली सरकार ने गुरुवार से 'जीवन सेवा' मोबाइल ऐप शुरू कर दी है, यह ऐप घर में आइसोलेट हुए कोरोना मरीजों को इलेक्ट्रिक एंबुलेंस मुहैया कराएगी। दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने इसकी जानकारी दी है। सत्येंद्र जैन ने बताया कि 'जीवन सेवा' मोबाइल ऐप के जरिए बुकिंग करने वाले होम आइसोलेशन में रह रहे मरीजों को मुफ्त ई-वाहन मुहैया कराया जाएगा। इससे वह अस्पताल जा सकेंगे।

दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा, "दिल्ली सरकार ने आज जीवन सेवा ऐप लॉन्च की, इस ऐप का उपयोग होम आइसोलेशन में रह रहे कोरोना के मरीज़ अस्पताल जाने के लिए कर सकते हैं। उन्हें बस इस ऐप से बुक करना होगा और फिर उनके पास एक ई-वाहन आएगी (जो मुफ्त में होगा) जो उन्हें अस्पताल पहुंचा देगी।"

इस ऐप के जरिए कम गंभीर मामलों में मरीजों को निःशुल्क अस्पताल पहुंचाने के लिए एंबुलेंस के तौर पर इलेक्ट्रिक वाहनों का उपयोग किया जाएगा। स्वास्थ्य मंत्री सतेंद्र जैन ने कहा कि होम आइसोलेशन में जो लोग रह रहे हैं, उनको अगर किसी भी तरह की जरूरत पड़ती है, तो वह इस ऐप को डाउनलोड कर सकते हैं और अपने नजदीकी चिकित्सा सुविधा केंद्र तक जा सकते हैं। इस ऐप को मरीजों के अटेंडेंट भी डाउनलोड कर सकते हैं।

ऐप लॉन्च के अवसर पर प्रकृति ई-मोबिलिटी प्रा. लिमिटेड (ईवीईआरए) के सह-संस्थापक और सीईओ निमिश त्रिवेदी ने कहा संस्था के सहयोग से बनाई गई यह जीवन सेवा ऐप कोरोना मरीजों के लिए अपनी तरह की एक अनूठी पहल है, जो मरीजों को इलेक्ट्रिक वाहनों के माध्यम से अस्पतालों तक पहुंचाने में मदद करेगी और साथ ही शून्य उत्सर्जन को सुनिश्चित कर प्रदूषण कम करने में भी योगदान देगी।

दिल्ली में कोरोना पॉजिटिव आए हर मरीज को एसएमएस और क्यूआर कोड के जरिए लिंक भेजा जाएगा। जिसके माध्यम से मरीज इस ऐप को डाउनलोड कर सकते हैं। ओटीपी के माध्यम से रजिस्टर करने के बाद ऐप से कैब बुक कर सकते हैं। इसके लिए मरीज को अपनी पिक-अप और ड्रॉप लोकेशन डालनी होगी। जिसके बाद नजदीकी कैब उनकी सेवा के लिए पहुंच जाएगी। यह सेवा 24 घण्टे उपलब्ध रहेगी। 

ड्राइवर को ऐप के माध्यम से जानकारी मिलेगी। वे ऐप पर पिक-अप लोकेशन प्राप्त होते ही तुरंत मरीज तक पहुंच जाएंगे। रियल टाइम जीपीएस ट्रैकिंग के द्वारा निगरानी को भी सुनिश्चित किया जा सकेगा। इसके लिए नियुक्त सुपरवाइजर 24 घण्टे स्थिति पर नजर रखेंगे। प्रशिक्षित ड्राइवरों को कोरोना से सुरक्षा के लिए सभी निर्देश दिए जाएंगे, जैसे- पीपीई किट पहनना, सैनिटाइजर का इस्तेमाल करना आदि। ड्राइवर के केबिन को भी इन्सुलेट किया जाएगा।

यह ऐप समय पर मरीजों को एंबुलेंस मुहैया कराकर दिल्ली की इमरजेंसी परिवहन सेवा को सक्षम बनाएगा। मरीज को पिक-अप टाइम के बारे में जानकारी दी जाएगी और वह सिर्फ ऐप के जरिए ड्राइवर से संपर्क कर सकते हैं, जिससे कैब एंबुलेंस पहुंचने के बारे में मरीज की चिंता कम होगी। यह प्रक्रिया पूरी तरह से डिजिटल है और मरीजों को संपर्क मुक्त सुविधाजनक ड्राइव का अनुभव प्रदान करेगी।

गौरतलब है कि दिल्ली में कोरोना का तीसरा पीक (उच्च स्तर) चल रहा है। ऐसे में दिल्ली उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी में कोविड-19 के बढ़ते मामलों को लेकर चिंता जाहिर करते हुए बृहस्पतिवार को ‘‘सब गतिविधियों को खोलने’’ के लिए आप सरकार पर सवाल भी उठाए। उच्च न्यायालय ने कहा कि दिल्ली सरकार को लोगों की जिंदगी से खेलने नहीं दिया जा सकता और राज्य नागरिकों के स्वास्थ्य के लिए जिम्मेदार है, जिसके लिए, निजी अस्पतालों सहित दूसरों को साथ लेना होगा।

न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की एक पीठ ने कहा कि दिल्ली सरकार को मौजूदा स्थिति के मद्देनजर अधिक चौकन्ना रहने की जरूरत है। उच्च न्यायालय, दिल्ली सरकार की उस याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें उसने आग्रह किया था कि कोविड- 19 के बढ़ते मामलों के मद्देनजर उसे कम से कम 15 दिन के लिए 33 निजी अस्पतालों में 80 प्रतिशत आईसीयू बेड कोविड-19 मरीजों के लिए आरक्षित करने का अधिकार दिया जाए। 

दिल्ली में बुधवार को कोविड-19 के सर्वाधिक 8,593 नए मामले सामने आने के बाद राष्ट्रीय राजधानी में संक्रमण के मामले बढ़कर 4.59 लाख के पार चले गए थे। वहीं 85 और लोगों की मौत के बाद मृतक संख्या बढ़कर 7,228 हो गई।