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Hindi News दिल्ली दिल्ली में वायु गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में पहुंची, पिछले दिसंबर से अब तक का सबसे खराब स्तर

दिल्ली में वायु गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में पहुंची, पिछले दिसंबर से अब तक का सबसे खराब स्तर

पराली जलाने के मामलों में वृद्धि और हवा की गति कम होने के कारण राष्ट्रीय राजधानी में बृहस्पतिवार सुबह प्रदूषण पिछले एक साल में सबसे खराब स्तर पर पहुंच गया। पराली जलने की हिस्सेदारी प्रदूषण में 42 फीसदी तक पहुंच गई।

Delhi's air quality dips to worst level since December last year- India TV Hindi Image Source : PTI Delhi's air quality dips to worst level since December last year

नयी दिल्ली: पराली जलाने के मामलों में वृद्धि और हवा की गति कम होने के कारण राष्ट्रीय राजधानी में बृहस्पतिवार सुबह प्रदूषण पिछले एक साल में सबसे खराब स्तर पर पहुंच गया। पराली जलने की हिस्सेदारी प्रदूषण में 42 फीसदी तक पहुंच गई। विशेषज्ञों ने बताया कि हवा की कम गति, तापमान में गिरावट जैसी मौसम की प्रतिकूल स्थिति और पड़ोसी राज्यों से पराली जलने का धुआं आने से बुधवार रात वायु गुणवत्ता सूचकांक गंभीर श्रेणी में रहा। बृहस्पतिवार को हालांकि हवा की तेज गति की वजह से प्रदूषक तत्वों का बिखराव हुआ और धुंध में कमी आई। हालांकि, पिछले 24 घंटे में औसत वायु गुणवत्ता 450 दर्ज की गयी, जो कि पिछले साल 30 दिसंबर के 446 से अब तक का सबसे ज्यादा है।

दिल्ली में सभी 36 निगरानी केन्द्रों ने वायु गुणवत्ता को गंभीर श्रेणी में ही रखा। पड़ोसी शहरों फरीदाबाद, गाजियाबाद, ग्रेटर नोएडा, गुड़गांव और नोएडा में भी प्रदूषण का स्तर गंभीर ही दर्ज किया गया। उल्लेखनीय है कि 0 और 50 के बीच एक्यूआई को 'अच्छा', 51 और 100 के बीच 'संतोषजनक', 101 और 200 के बीच 'मध्यम', 201 और 300 के बीच 'खराब', 301 और 400 के बीच 'बेहद खराब' और 401 से 500 के बीच 'गंभीर' माना जाता है।

केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के अनुसार दिल्ली-एनसीआर में पीएम 10 का स्तर सुबह 10 बजे 563 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर रहा, जो कि पिछले साल 15 नवम्बर के बाद से सर्वाधिक है, जब यह 637 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर दर्ज किया गया था। हालांकि शाम में यह कम होकर 497 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर दर्ज किया गया। वहीं पीएम2.5 का स्तर दोपहर में 360 माइक्रोगाम प्रति क्यूबिक मीटर दर्ज किया गया।

बता दें कि 60 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर तक पीएम 2.5 को सुरक्षित माना जाता है। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के हवा गुणवत्ता निगरानी केंद्र सफर ने बताया कि पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पड़ोसी राज्यों में पराली जलाए जाने की घटनाओं में वृद्धि हुई और यह संख्या बुधवार को 4,135 थी, जो कि इस मौसम में सबसे ज्यादा है। विशेषज्ञों ने बताया कि हवा की गति कम रहने, तापमान में गिरावट जैसी मौसम की प्रतिकूल स्थिति और पड़ोसी राज्यों से पराली जलने का धुआं आने से बुधवार रात वायु गुणवत्ता सूचकांक ‘गंभीर’ श्रेणी में रहा।

दिल्ली-एनसीआर में कई लोगों द्वारा करवाचौथ त्यौहार पर पटाखे फोड़े जाने को भी इसके लिए जिम्मेदार माना जा रहा है। सर गंगा राम अस्पताल के एक डॉक्टर ने बताया कि प्रदूषित हवा में सांस के रूप में 22 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर का शरीर में जाना एक सिगरेट पीने के बराबर है। राजीव गांधी सुपर स्पेशियेलियी अस्पताल के कोविड-19 नोडल अधिकारी अजीत जैन ने बताया कि वायु प्रदूषण महामारी को और खतरनाक बना रहा है।