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Hindi News दिल्ली नोएडा के ट्विन टावर की तरह गिराई जा सकती है दिल्ली की ये बिल्डिंग, जानिए क्या है इसके पीछे की वजह

नोएडा के ट्विन टावर की तरह गिराई जा सकती है दिल्ली की ये बिल्डिंग, जानिए क्या है इसके पीछे की वजह

इस बिल्डिंग को लेकर आईआईटी दिल्ली ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि यह बिल्डिंग रहने के लायक नहीं है। इस अपार्टमेंट का निर्माण दिल्ली विकास प्राधिकरण का साल 2010 में कराया गया था।

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नई दिल्ली: नोएडा के ट्विन टावरों को ढहे हुए एक साल से ज्यादा का समय बीत चुका है। इस अवैध बिल्डिंग को गिराने में विदेशी कंपनी की भी मदद ली गई थी। इस ध्वस्तीकरण ने पूरे देश में सुर्खियां बनाई थीं। अब इसके बाद देश की राजधानी दिल्ली की भी एक बिल्डिंग ठीक उसी तरह गिराई जा सकती है। जानकारी के अनुसार, दिल्ली के मुखर्जी नगर में बना सिग्नेचर व्यू अपार्टमेंट को गिराया जा सकता है। इस बिल्डिंग में बने 12 टावर्स को असुरक्षित करार दिया गया है और अब इसे भी मिटटी में मिलाने की तैयारी चल रही है।

'नियंत्रित विस्फोट ही इसे गिराने का एकमात्र सुरक्षित तरीका'

दिल्ली विकास प्राधिकरण के अनुसार, मुखर्जी नगर में सिग्नेचर व्यू अपार्टमेंट के 12 टावरों को गिराने के लिए नोएडा वाले तरीके को अपनाया जाएगा। DDA के एक अधिकारी ने बताया कि नियंत्रित विस्फोट ही इसे गिराने का एकमात्र सुरक्षित तरीका है। हालांकि अभी इस पर अंतिम मोहर नहीं लगी है और इसके लिए जानकारों से राय ली जा रही है। अभी मौके पर निरीक्षण और डिटेल सर्वे चल रहा है। इस सर्वे की रिपोर्ट के बाद ही कोई अंतिम फैसला लिया जाएगा।

बिल्डिंग के मकानों में रहने वाले परिवारों को इसे खाली करने को कह दिया गया

2010 में बने इस अपार्टमेंट के कई फ्लैट पूरी तरह से बर्बाद हो चुके हैं। मकानों की छतें टूटकर गिर रही हैं। बीते जुलाई में इसी बिल्डिंग के मकान नंबर D303 की छत गिरी थी, जिसके कई वीडियो और फोटो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुए थे। बताया जा रहा है कि इस बिल्डिंग के मकानों में रहने वाले परिवारों को इसे खाली करने को कह दिया गया है। वहीं आईआईटी दिल्ली ने भी अपनी एक रिपोर्ट में इस भवन बिल्डिंग को असुरक्षित बताया है। जिसके बाद डीडीए ने अपार्टमेंट को ध्वस्त करने की योजना बनाई है।

मकान मालिकों को दिया गया दो महीने का समय 

बिल्डिंग गिराने से पहले मकान मालिकों की सहमति ली गई है और उन्हें दो महीने का समय दिया गया है। इन टावर्स को गिराने के बाद यहीं दोबारा निर्माण कराया जाएगा। इसम लगभग तीन साल का वक्त लगेगा। इस दौरान फ्लेट मालिक किराए के मकानों में रहेंगे और उन्हें किराए के तौर पर डीडीए राशि का भुगतान भी करेगा। इसके अलावा फ्लैट मालिकों को डीडीए मौजूदा बाजार भाव के बराबर फ्लैट की कीमत देने का भी ऑप्शन दे रहा है। 

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