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Hindi News एजुकेशन एक पेड़ ऐसा भी जो पर्यावरण का है दुश्मन, आखिर क्या है इसकी वजह

एक पेड़ ऐसा भी जो पर्यावरण का है दुश्मन, आखिर क्या है इसकी वजह

पेड़-पौधे लगाओ पर्यावरण बचाओ, ये बात तो सभी ने सुनी ही होगी। लेकिन इससे परेय क्या आपको ये पता है कि एक पेड़ ऐसा भी है जिसे पर्यावरण का दुश्मन भी कहा जाता है? अगर आप नहीं जानते हैं तो कोई बात नहीं, आज हम इस खबर के जरिए आपको इसी पेड़ के बारे में बताएंगे।

सांकेतिक फोटो- India TV Hindi Image Source : FILE सांकेतिक फोटो

पेड़-पौधे लगाओ पर्यावरण बचाओ, ये बात तो सभी ने सुनी ही होगी। इस पृथ्वी पर पेड़ पौधे हमारे जीवन जीने के लिए अहम रोल अदा करते हैं। पेड़-पौधों के बिना तो जीवन की कल्पना भी नामुमकिन सी है। धरती पर मौजूद पेड़-पौधों से ही हमें सांस लेने के लिए वायु मिलती है। पेड़-पौधे पर्यावरण को मेनेटेन रखने में भी अहम किरदार निभाते हैं। इसीलिए ये कहा जाता है कि पेड़ पौधों को ज्यादा से ज्यादा मात्रा मे लगाओ और पर्यावरण बचाओ। लेकिन इससे परेय क्या आपको ये पता है कि एक पेड़ ऐसा भी है जिसे पर्यावरण का दुश्मन भी कहा जाता है? क्या आप जानते हैं कि उसे पर्यावरण का दुश्मन क्यों कहा जाता है। अगर आप नहीं जानते हैं तो कोई बात नहीं, आज हम इस खबर के जरिए आपको इसी पेड़ के बारे में बताएंगे। 

क्या है इस पेड़ का नाम और क्यों है ये पर्यावरण का दुश्मन? 
आप सभी लोगों ने पेड़-पौधों के कई फायदों के बारे में पढ़ा होगा; लेकिन कोई पेड़ पर्यावरण का दुश्मन भी हो सकता, ऐसा आप में से कई लोगों ने नहीं सुना होगा। इस पेड़ को हम सभी यूकेलिप्टस(Eucalyptus) के नाम से जानते हैं। कई जगहों पर इसे सफेदा नाम से भी जाना जाता है। अब सवाल ये है कि आखिर यूकेलिप्टस को पर्यावरण का दुश्मन क्यों कहा जाता है? दरअसल, ये पेड़ जमीन से बहुत ज्यादा मात्रा में पानी को कंज्यूम करता है। इसीलिए इस पेड़ को जहां पर भी लगया जाता है वहां इसके आस पास कोई भी दूसरा पेड़ नहीं पनप पाता। यहां तक कि हरी घास भी इन सफेदा के पेड़ों के कारण नहीं पनप पाती। यही कारण है कि इसे पर्यावरण का दुश्मन कहा जाता है। 

आपको जानतकारी के लिए बता दें कि सफेदा के पेड़ दलदली जमीन के लिए ही सर्वाधिक उपयुक्त होते हैं। दरअसल, कभी दलदली जमीन को सूखी धरा में बदलने के लिए अंग्रेजों के जमाने में यूकेलिप्टस भारत लाया गया था। लेकिन आज के समय में ये पेड़ पर्यावरण के लिए मुसीबतों का सबब बनता जा रहा है। 

 

 

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