A
Hindi News एजुकेशन Big Alert! बदलने जा रहे PhD के ये नियम, जॉब करने वालों को होगा सबसे ज्यादा फायदा! जानें पूरी एडमिशन प्रक्र‍िया

Big Alert! बदलने जा रहे PhD के ये नियम, जॉब करने वालों को होगा सबसे ज्यादा फायदा! जानें पूरी एडमिशन प्रक्र‍िया

पीएचडी प्रोग्रामों में एडमिशन के लिए बड़ा बदलाव होने जा रहा है। नियमों में बदलाव होने से सबसे ज्यादा फायदा नौकरी करने वालों को होगा, क्योंकि यूजीसी ने पार्ट टाइम पीएचडी की अनुमति दे दी है।

UGC- India TV Hindi Image Source : FILE यूजीसी

 नई राष्ट्रीय श‍िक्षा नीति लागू होने के साथ ही हायर एजुकेशन में कई बदलाव देखने को मिलेंगे। यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (UGC) की ओर से कॉलेज डिग्री और पीएचडी सहित हायर एजुकेशन के लिए एडमिशन प्रक्रिया के क्राइटेरिया संशोधित किए हैं। ये बदलाव और संशोधन, जो 2022 में नोटिफाइड किए गए थे, जो साल 2023 से पूरी तरह से लागू होगे सभी हायर एजुकेशनल इंस्टिट्यूट्स को निर्देश दिया गया है कि वे यूजीसी के संशोधित दिशानिर्देशों के मुताबिक नामांकन करें और डिग्री दें। आइए जानें कि पीएचडी के एडमिशन प्रोसेस में क्या नए बदलाव होने वाले हैं।

क्राइटेरिया में बड़ा बदलाव 

पीएचडी प्रोग्रामों में एडमिशन के लिए पहला बड़ा बदलाव अनिवार्य क्राइटेरिया के रूप में मास्टर ऑफ फिलॉसफी (एम.फिल) को बंद करना है। इसे ऐसे जानें कि अब छात्र 1 साल के मास्टर डिग्री और 4 साल के अंडरग्रेजुएट (यूजी) प्रोग्राम या 2 साल के मास्टर डिग्री और 3 साल के यूजी को पूरा करने के बाद डॉक्टरेट की डिग्री के लिए सीधे आवेदन कर सकते हैं। वहीं, यूजीसी ने पीएचडी थीसिस जमा करने से पहले पीयर रिव्यूड जर्नल्स में रिसर्च के अनिवार्य पब्लिशिंग की बाध्यता में भी छूट दे दी है। यूजीसी का मानना है कि इससे रिसर्चर्स को अपने पेपर्स को 'कई' पत्रिकाओं में पब्लिश कराने के लिए भुगतान करने की नहीं होगी। बता दें कि ऐसी तमाम पत्रिकाएं हैं जो पैसे के लिए रिसर्च पब्लिश करती हैं।

पार्टटाइम पीएचडी का मौका

यूजीसी ने अंशकालिक यानी पार्टटाइम पीएचडी को भी अनुमति दे दी है। ये प्रैक्ट‍िस साल 2009 और 2016 के नियमों के तहत बंद कर दी गई थी। लेकिन नए नियमों के मुताबिक, छात्र या प्रोफेशनल्स पार्ट टाइम बेस में पीएचडी कर सकते हैं, बस उनके पास अपने कंपनी से नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC) हो।

कोर्स ड्यूरेशन में बदलाव

इस साल पीएचडी कोर्स ड्यूरेशन में भी बदलाव हो रहा है, जो कि अब न्यूनतम 2 साल से अधिकतम 6 साल होगी। वहीं, महिलाओं और दिव्यांग उम्मीदवारों को डिग्री पूरी करने के लिए दो साल की छूट मिलेगी। इसके अतिरिक्त, महिला अभ्यर्थियों को 240 दिनों तक के लिए मैटरनल छुट्टी और बाल देखभाल छुट्टी मिलेगी।

ऐसे भरेंगी सीटें 

यूजीसी ने सीटें भरने के लिए अपने नियम में और कई सारे बदलाव किए हैं। अब, 40% सीटों के अलॉटमेंट के लिए कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट होगा। जबकि 60% उन आवेदकों के लिए रिजर्व होंगी, जिन्होंने राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (NET) या जूनियर रिसर्च फेलोशिप (JRF) पास की है। एंट्रेंस टेस्ट पास करने वाले अभ्यर्थियों का मूल्यांकन 70:30 के अनुपात में किया जाएगा, जिसमें 70% वेटेज एंट्रेंस टेस्ट के नंबरों और 30% इंटरव्यू या वाइवा-वॉयस में दिया जाएगा। दूसरी ओर, NET/JRF पास छात्रों का सेलेक्शन इंटरव्यू/वाइवा-वॉयस पर बेस्ड होगा। दोनों कैटेगरी की मेरिट लिस्ट अलग-अलग जारी होगी। ध्यान दें कि रिटायर होने वाले यानी तीन साल से कम सर्विस वाले संकाय सदस्यों को संशोधित मानदंडों के तहत नए शोध विद्वानों की निगरानी करने की अनुमति नहीं मिलेगी।

Latest Education News