A
Hindi News एजुकेशन पढ़ने के लिए बच्चों को दिया मोबाइल अब वापस लेना मुश्किल? जानिए क्या कहते हैं एक्स्पर्ट्स

पढ़ने के लिए बच्चों को दिया मोबाइल अब वापस लेना मुश्किल? जानिए क्या कहते हैं एक्स्पर्ट्स

देश की राजधानी दिल्ली के प्राइवेट स्कूलों में नर्सरी एडमिशन की लिस्ट आज जारी होगी। आज दूसरी लिस्ट जारी की जाएगी। कोविड के लंबे दौर के बाद अब स्कूल फिर खुल रहे हैं।

School Classroom - India TV Hindi Image Source : PTI School Classroom 

Highlights

  • बच्चों को अब मोबाइल की तमीज और तहजीब बताने का आ गया समय
  • एक्स्ट्रा करिक्यूलर एक्टिविटी में फोकस रखने से ही वापस मिलेगी पुरानी रिद्म
  • स्कूल में ऐहतियात के बारे में पेरेंट्स बार—बार बच्चों को बताएं

नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली के प्राइवेट स्कूलों में नर्सरी एडमिशन की लिस्ट आज जारी होगी। आज दूसरी लिस्ट जारी की जाएगी। कोविड के लंबे दौर के बाद अब स्कूल फिर खुल रहे हैं। बात सिर्फ नर्सरी एडमिशन की ही नहीं, सवाल यह भी है कि इतने लंबे समय के बाद स्कूल खोलने से पिछले दो साल से घर बैठे बच्चे अब किस तरह महसूस करेंगे। उनकी लर्निंग प्रोसेस पर कितना प्रभाव पड़ेगा। ​जानिए क्या कहते हैं मनोचिकित्सक और टीचर्स। 

पढ़ने के लिए बच्चों को दिया मोबाइल अब वापस लेना मुश्किल

वरिष्ठ मनोवैज्ञानिक और मनोविज्ञान के प्राध्यापक विनय मिश्रा कहते हैं कि अब तक हम मनोवैज्ञानिक यही कहा करते थे कि छोटे बच्चों को मोबाइल नहीं देना चाहिए। लेकिन कोरोना महामारी के बाद अब हम ही अपनी बात से उलट बोल रहे हैं कि बच्चों को दो साल पढ़ाई के लिए मोबाइल हाथ में दिया, लेकिन अब उनसे वापस लेना मुश्किल है। ऐसे में जबकि स्कूल खुल गए हैं, अब यह जरूरी है कि बच्चों को मोबाइल के उपयोग की तमीज और तहजीब सिखाएं।

'2024 तक ही पहले जैसी स्थिति में आ पाएंगे बच्चे'
जितना समय बच्चों ने कोरोना काल में घर में बिताया। इतना ही समय इन्हें पूरी तरह उबरने में लगेगा। मैें यह कह सकता हूं कि आॅनलाइन पढ़ने वाले इन बच्चों में 2024 तक ही न्यूट्रालिटी आएगी। वहीं टीचर्स और पेरेंट्स के लिए यह जरूरी है कि बच्चों को प्रेरित करें उनसे बात करें, उन्हें खेलने, स्टेज परफॉर्म करने के लिए प्रेरित करें। बच्चों को बताएं कि वे क्लास में प्रजेंटेशन करें। इससे वे फोकस्ड होंगे। इस चीज में ढीलापन छोड़ दिया तो बच्चों को पहले जैसी रिद्म पाने में बहुत मुश्किल हो जाएगी। अहम बात यह है कि पेरेंट्स को बच्चों को सैनेटाइजर, टिफिन शेयरिंग न करना और किसी की बॉटल से पानी नहीं पीना है, इन प्रिकॉशंस को बार—बार बताना है। हालांकि स्कूल भी बहुत ध्यान रख रहे हैं। 

अपनी उम्र के बच्चों से इंटरेक्ट करने से होगा बच्चें को फायदा
वहीं कुछ स्कूल टीचर्स और मनोचिकित्सकों का कहना है कि बच्चों को अपनी उम्र के बच्चों के साथ मिलना और बात करना सहज लगता है। लंबे समय से वे घरों में कैद थे, खासतौर पर छोटे बच्चे। अब स्कूल खुलने पर वे अपनी उम्र के दूसरे बच्चों से इंटरेक्ट करेंगे तो उनमें काफी सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिलेगा। साथ ही स्वस्थ कॉम्पीटिशन की भावना भी बच्चों में आती है। फिर टीचर्स जब आमने-सामने बैठकर बच्चों को पढ़ाते हैं तो उसका प्रभाव भी साफ नजर आता है। कमजोर बच्चे को क्लासरूम आसानी से आइडेंटिफाई किया जा सकता है और उसे अतिरिक्त मोरल सपोर्ट और एजुकेट किया जा सकता है। ये सभी बातें अब स्कूल खुलने के बाद पेरेंट्स और टीचर्स दोनों के लिए समझने वाली होंगी।

Latest Education News