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Hindi News चुनाव 2024 झारखण्ड विधान सभा चुनाव 2019 कांग्रेस मुख्‍यालय में हुई आतिशबाजी, भाजपा के 'अबकी बार 65 पार' नारे पर फ‍िरता दिख रहा है पानी

कांग्रेस मुख्‍यालय में हुई आतिशबाजी, भाजपा के 'अबकी बार 65 पार' नारे पर फ‍िरता दिख रहा है पानी

रघुबर दास ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा है कि अभी मतगणना चल रही है और हमें पूरी उम्मीद है कि भाजपा जीतेगी और राज्य में सरकार भी बनाएगी।

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नई दिल्‍ली। झारखंड विधानसभा चुनाव के अब तक मिले रुझानों में कांग्रेस-झामुमो-राजद गठबंधन को बहुमत मिलने के स्पष्ट संकेत के बाद सोमवार को कांग्रेस मुख्यालय में पार्टी कार्यकर्ताओं ने जमकर आतिशबाजी की। पार्टी मुख्यालय के बाहर आतिशबाजी के साथ ही कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने नारेबाजी भी की। कांग्रेस गठबंधन के उम्‍मीदवार 40 सीटों पर बढ़त बनाए हुए हैं, वहीं भाजपा के 29 उम्‍मीदवार आगे चल रहे हैं। अबकी बार 65 पार पर पूछे गए सवाल पर रघुबर दास ने प्रेस कॉन्‍फ्रेंस में कहा है कि अभी मतगणना चल रही है और हमें पूरी उम्‍मीद है कि भाजपा जीतेगी और राज्‍य में सरकार भी बनाएगी।

कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव प्रणव झा ने कहा कि यह तय था क्योंकि भाजपा सरकार ने झारखंड और वहां की जनता के साथ अन्याय किया था। आदिवासियों की जमीन छीन ली गई। लोगों ने पहले ही मन बना लिया था कि इस सरकार को हटाना है।

झारखंड में गठबंधन की जीत प्रबल संभावना नजर आने के साथ ही कांग्रेस के कई नेताओं और कार्यकर्ताओं ने मिठाइयां भी बांटी।

झारखंड में सत्ता गंवा सकती है भाजपा

झारखंड विधानसभा चुनाव की जारी मतगणना के शुरुआती रुझानों के अनुसार सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) राज्य में सत्ता गंवाती दिख रही है। इसके पहले साल भर के भीतर चार प्रमुख राज्यों में भाजपा सत्ता गंवा चुकी है। शुरुआती रुझान में भाजपा 29 सीटों, जबकि झारखंड मुक्ति मोर्चा-कांग्रेस-राजद गठबंधन को 40 सीटों पर आगे चल रहा है। बहुमत के लिए 42 सीटें चाहिए।

हालांकि, ये अभी शुरुआती रुझान हैं, लेकिन अगर यह जारी रहा, तो झारखंड भी महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, राजस्थान, मध्य प्रदेश की सूची में शामिल हो जाएगा, जहां भाजपा ने पिछले 12 महीनों में सत्ता खो दी है।

हाल ही में हुए चुनाव में हालांकि भाजपा महाराष्ट्र गंवा बैठी, लेकिन हरियाणा में दुष्यंत चौटाला और निर्दलीयों के समर्थन से मुश्किल से सरकार बनाने में कामयाब रही। भाजपा न केवल राज्य में पांच साल के कार्यकाल के दौरान विरोधी लहर से लड़ाई लड़ रही है, बल्कि अपने मुख्यमंत्री चेहरे रघुबर दास के साथ बढ़ती असहमति से भी जूझ रही है।