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Hindi News मनोरंजन बॉलीवुड Classics Review Katha: चूसे हुए आम की मानिंद है 'कथा' का आम आदमी, दिखा है फारूख शेख, नसीर साहब और दीप्ति नवल का शानदार काम

Classics Review Katha: चूसे हुए आम की मानिंद है 'कथा' का आम आदमी, दिखा है फारूख शेख, नसीर साहब और दीप्ति नवल का शानदार काम

सत्तर और अस्सी के दशक की खास फिल्मों को इंडिया टीवी हर शुक्रवार आपकी नजर करेगा। एक से एक नायाब हीरे हैं बॉलीवुड की झोली में, जिन्हें लोग भूल चुके हैं। ऐसी ही शानदार फिल्मों की समीक्षा हम करेंगे और आपको यकीन दिलाएंगे कि बॉलीवुड के उस स्वर्णिम को फिर से जिए जाने की जरूरत है। आज बारी है फिल्म 'कथा' की!

Katha Review- India TV Hindi Image Source : INDIA TV नरीरुद्दीन शाह, दीप्ती नवल और फारूक शेख की क्लासिक फिल्म 'कथा'

फितरत वो चीज है जो अच्छी से अच्छी शै को बदल डालती है। कछुए और खरगोश की कहानी तो सुनी होगी आपने, नए जमाने में इसका न केवल क्लाईमेक्स बदला है बल्कि मायने भी बदल गए हैं। सीधे सच्चे और सरल आम आदमी की औकात टिश्यू पेपर सरीखी हो चली है। शातिर लोग ऐसे सीधे लोगों की जिंदगी में दखल देकर सारा रस चूस लेते हैं हैं और आम आदमी चूसे हुए आम की मानिंद रह जाता है। 

ठहरिए ये हम नहीं कह रहे, और न ही ये आज कहा गया है। ये अस्सी के दशक की बेहद यथार्थवाली फिल्म 'कथा' में समझाया गया है और वो भी बेहद बारीकी से। हिंदी सिनेमा की सशक्त महिला फिल्मकारों में गिनी जाने वाली संई पराजपे की ये पहली फिल्म थी और भारत में एक आम और अदना से इंसान की जिंदगी को दिखाने में वो सौ फीसदी कामयाब रहीं।

Image Source : Amazon Prime Video फिल्म 'कथा' का दृश्य

ये फिल्म आपको यूं तो अमेजन प्राइम या हॉटस्टार डिज्नी पर मिल जाएगी मगर इसे देखकर आप कतई महसूस नहीं करेंगे कि ये पुरानी है। माहौल और लबादे भले ही पुराने लगे लेकिन फिल्म का कथानक वर्तमान के हालात बयां करता है। वहीं कथानक जिसमें आम आदमी कैसे उल्लू बनाया जाता है।

Image Source : Amazon Prime Videoफिल्म 'कथा' का दृश्य

सई परांजपे फिल्म के निर्देशन के साथ कथानक में जान डाली थी। हंसाकर अगर किसी की दुखद कहानी कही जा सकती है तो वो है 'राजा राम' यानी फिल्म का आम हीरो।

प्रतिभाशाली महिला निर्देशक, साई परांजपे ने अपनी पहली फिल्म 'कथा' के माध्यम से खुद की अलग जगह बनाई। कथा एक बेहद ही संवेदनशील फिल्म थी, जिसे हिंदी सिनेमा में एक ऐतिहासिक कल्ट फिल्मों में से एक माना सकता है। अपने काम से उन्होंने वास्तव में, आज की संस्कृति, सामाजिक व्यवस्था और मूल्यों (विशेष रूप से भारत में) पर एक व्यंग्यपूर्ण टिप्पणी की है।

Image Source : Amazon Prime Videoफिल्म 'कथा' का दृश्य

'कथा' की पृष्ठभूमि मुंबई का एक चॉल है, जहां बाशू (फारूक शेख) अपने पुराने साथी राजा राम (नसीरुद्दीन शाह) के साथ रहने के लिए आता है, जिसे अपनी पडोसन- संध्या (दीप्ती नवल) से प्यार है लेकिन वह अपनी भावनाओं को बोलने में हमेशा संकोच करता है। अपने अति आत्मविश्वास और स्मार्टनेस की बदौलत बाशु हर जगह राजा राम से बेहतर साबित होता है, मसलन - उसी के ऑफिस में बेहतर पद की नौकरी में, संध्या का प्यार पाने के लिए राजा राम से पहले बाजी मार लेना इत्यादि। स्मार्ट टॉकर बाशू, जो वास्तव में, एक ब्लफ़मास्टर है, ने हमेशा अपनी स्मार्टनेस दिखाई और छालावे और दिखावे को अपनी जिंदगी का आधार बना कर सब कुछ हासिल करने की राह पर निकल पड़ता है। मगर जब बाशू की सच्चाई का पता चलता है तो वह ऑफिस, चॉल और संध्या की जिंदगी से रफू चक्कर हो जाता है। संध्या की शादी बाशू से होनी रहती है लेकिन वह उसे बीच में ही छोड़ कर चला जाता है। फिर आदर्श की दूसरी मूरत राजा राम, संध्या से शादी करता है। संध्या और बाशू के बीच अंतरंग संबंध स्थापित हो चुके हैं, यह मालूम होने के बावजूद राजा राम, संध्या को अपना लेता है।   

Image Source : Amazon Prime Video फिल्म 'कथा' का दृश्य

'कथा' पूरी फिल्म में दर्शकों को हंसाने का काम करती है लेकिन याद रखें, यह कॉमेडी नहीं बल्कि व्यंग्य है। इसलिए हंसी के साथ, यहां गंभीर संदेश देने की सूक्ष्म कोशिश की गई है। फिल्म की कहानी में खामियां ढूंढना बहुत मुश्किल है। खरगोश (फारूक) और कछुआ (नसीरुद्दीन) के बीच की दौड़ के अलावा कई सीन्स दिखाए गए हैं, जो इस तथ्य को रेखांकित करते हैं कि आज की दुनिया में स्मार्टनेस को परिश्रम या आदर्श गुणों से अधिक महत्व दिया जाता है। फिल्म में इस अंतर को काफी बेहतर ढ़ंग से बताने की कोशिश की गई हैं कि आज का दौर अपनी झूठी उपलब्धियों का दावा करने वालों और चापलूसी करने वालों का है। एक लो प्रोफ़ाइल, सिंपल, सच्चे दिल वालों के लिए के दुनिया कितनी मुश्किल हो गई है।

Image Source : Amazon Prime Video फिल्म 'कथा' का दृश्य

'कथा' अपने समय के कई मायनों को आगे रखती है। खास तौर देखें तो उस वक्त भारत में 'बाबू युग' की शुरुआत हो गई थी। हेड क्लर्क की नौकरी को मिडिल क्लास परिवारों में सम्मान के रूप में देखा जाने लगा था। फैंसी, रंगीन पैकेजिंग वाले पॉडक्ट्स को अधिक तरजीह मिलना शुरू हुआ। क्षमता और परफॉर्मेंस की तुलना में स्मार्टनेस मायने रखता है, यही बात आज के भारत के वर्क कल्चर पर भी लागू होती है।  

Image Source : Amazon Prime Video फिल्म 'कथा' का दृश्य

फिल्म में कलाकरों के प्रदर्शन शानदार हैं। फिल्म एक पुरुष प्रधान है और यह फारूक और दीप्ति की एकमात्र फिल्म है, जिसमें दीप्ति को अंत में किसी दूसरे मर्द के साथ जिंदगी गुजारनी पड़ती है। बाशू के तौर पर ग्रे शेड वाले अपनी जिंदगी की एकमात्र भूमिका में फारूक शेख ने एक शानदार प्रदर्शन दिया है और नसीरुद्दीन शाह भी लो प्रोफाइल शख्स में काफी बेहतर लगे। साथ ही सहायक कलाकारों - मल्लिका साराभाई, लीला मिश्रा जैसे लोगों ने भी फिल्म में अपने अभिनय की छाप छोड़ी। यदि फिल्म का सबसे छोटा किरदार भी अपनी मौजूदगी का असर डालता है तो यही एक अच्छी फिल्म की पहचान होती है, और 'कथा' में हर किरदारों ने अपनी मौजूदगी का मतलब दर्ज कराया है।

Image Source : Amazon Prime Videoफिल्म 'कथा' का दृश्य

फिल्म का म्यूजिक, फिल्म के मूड के अनुसार है। सिनेमौटोग्राफी और आर्ट डायरेक्शन तीन दशक पहले मुंबई (बॉम्बे) के चॉल वाले जीवन की एक सच्ची झलक पेश करने में सक्षम रहे हैं। वास्तव में, यह एक उत्कृष्ट फिल्म है जहां सब कुछ अपने सही परिप्रेक्ष्य में रखा गया है और फिल्म का मिजाज कहीं से भी परेशान नहीं करता है।

Image Source : Amazon Prime Video फिल्म 'कथा' का दृश्य

'कथा' हर तरह के दर्शक को बेहतर ढंग से ट्रीट करती है। फिल्म में मनोरंजन के अलावा कई संदेश हैं। यह भारतीय सिनेमा में उत्कृष्टता का एक शानदार उदाहरण है। मूल अवधारणा और वास्तविक परिदृश्य पर बनी ऐसी विशुद्ध भारतीय फिल्में हमेशा याद की जानी चाहिए, क्योंकि 'कथा' निश्चित रूप से एक कालातीत क्लासिक है।

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