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सच हुई फकीर की भविष्यवाणी, मोहम्मद रफी ने दिए ये बेहतरीन गानें

मोहम्मद रफी ने अपनी आवाज का जादू दुनियाभर में फैलाया है। उन्होंने अपने जीवनकाल में इतने बेहतरी आने गाने गाए हैं, जिनके कारण आज भी वह अपने फैंस के दिलों में जिंदा हैं। मोहम्मद रफी के गाए गीत 'तुम मुझे यूं भुला ना पाओगे' को सच में कोई नहीं भूल पाया है.

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नई दिल्ली: मशहूर दिवंगत गायक मोहम्मद रफी ने अपनी आवाज का जादू दुनियाभर में फैलाया है। उन्होंने अपने जीवनकाल में इतने बेहतरी आने गाने गाए हैं, जिनके कारण आज भी वह अपने फैंस के दिलों में जिंदा हैं। मोहम्मद रफी के गाए गीत 'तुम मुझे यूं भुला ना पाओगे' को सच में कोई नहीं भूल पाया है और ना ही गायक को कोई भुला पाया है। वह भारतीय सिनेमा के ऐसे दिग्गज गायक हैं, जिन्होंने अपनी सुरीली गीतों से सबका मन मोह लिया। उनके गाए गीत आज भी बड़े चाव से सुने जाते हैं। रफी छह बार सर्वश्रेष्ठ गायक के रूप में फिल्मफेयर पुरस्कार से नवाजे जा चुके हैं। वह आज भी करोड़ों लोगों के दिलों में जिंदा हैं।

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रफी का जन्म 24 दिसंबर, 1924 को अमृतसर के पास कोटला सुल्तान सिंह में हुआ था। जब वह छोटे थे, तभी उनका परिवार लाहौर से अमृतसर आ गया था। रफी के बड़े भाई की नाई की दुकान थी। रफी ज्यादा समय वहीं बिताया करते थे। उस दुकान से होकर एक फकीर गाते हुए गुजरा करते थे। 7 साल के रफी उनका पीछा किया करते थे और फकीर के गीतों को गुनगुनाते रहते थे। एक दिन फकीर ने रफी को गाते हुए सुन लिया। उनकी सुरीली आवाज से प्रभावित होकर फकीर ने रफी को बहुत बड़ा गायक बनने का आशीर्वाद दिया, जो आगे चलकर फलीभूत भी हुआ।

इनके बड़े भाई मोहम्मद हमीद ने गायन में इनकी दिलचस्पी को देखते हुए उस्ताद अब्दुल वाहिद खान से शिक्षा प्राप्त करने की सलाह दी। एक बार प्रख्यात गायक कुंदन लाल सहगल आकाशवाणी (ऑल इंडिया रेडियो लाहौर) के लिए खुले मंच पर गीत गाने आए, लेकिन बिजली गुल हो जाने से सहगल ने गाने से मना कर दिया। लोगों का गुस्सा शांत कराने के लिए रफी के भाई ने आयोजकों से रफी को गाने देने का अनुरोध किया, इस तरह 13 साल की उम्र में रफी ने पहली बार आमंत्रित श्रोताओं के सामने प्रस्तुति दी।

अगली स्लाइड में देखिए रफी के बेहतरीन गानें:-

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