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बॉलीवुड एक्टर, जिसकी क्रिकेट वर्ल्डकप देखते-देखते गई जान, भारत की हार का सदमा नहीं कर पाया था बर्दाश्त

बॉलीवुड के इस एक्टर की किस्मत शशि कपूर की फिल्म से खुली और फिर दूरदर्शन के एक धारावाहिक ने इन्हें घर-घर में पहचान दिलाई। अपनी सादगी और जबरदस्त अभिनय से दर्शकों का दिल जीतने वाले इस अभिनेता के निधन ने भी सबको चौंका दिया था।

Shafi Inamdar- India TV Hindi Image Source : FACEBOOK/TIMELESS INDIAN MELODIES शफी इनामदार।

बॉलीवुड में ऐसे कई कलाकार हैं जो क्रिकेट के दीवाने हैं, इनमें वरुण धवन से लेकर रणबीर कपूर, आमिर खान, शाहरुख खान, रणवीर सिंह और अमिताभ बच्चन जैसे स्टार्स के नाम शुमार हैं। लेकि, क्या आप बॉलीवुड के उस अभिनेता को पहचानते हैं, जो क्रिकेट का ऐसा दीवाना था कि वर्ल्डकप में भारत की हार के सदमे में जिसकी जान चली गई। हम बात कर रहे हैं 80-90 के दशक के मशहूर अभिनेता शफी इनामदार की, जिनकी क्रिकेट वर्ल्डकप 1996 सेमी फिनाले देखते-देखते जान चली गई थी। आपने 80 और 90 के दशक की कई फिल्मों में इन्हें देखा होगा। उन्होंने फिल्मों में ज्यादातर साइड रोल ही निभाए, लेकिन इसके बाद भी नाम कमाने में मशहूर रहे।

क्रिकेट मैच देखते-देखते आया हार्ट अटैक

शफी अहम क्रिकेट के डाई हार्ड फैन थे। उन्हें क्रिकेट से ऐसा प्यार था कि अक्सर फिल्म या अपने किसी शो की शूटिंग करते वक्त भी क्रू मेंबर्स और साथियों से स्कोर पूछते रहते थे और ब्रेक मिलते ही क्रिकेट देखने बैठ जाते थे और इसी क्रिकेट प्रेम के चलते उन्होंने एक दिन इस दुनिया को भी अलविदा कह दिया। शफी इनामदार का 13 मार्च 1996 को निधन हो गया था। ये वही दिन था, जब क्रिकेट वर्ल्डकप का सेमीफाइनल चल रहा था और भारतीय टीम और श्रीलंका के बीच मुकाबला चल रहा था। कहते हैं मैच में टीम इंडिया की हार शफी इनामदार बर्दाश्त नहीं कर सके, इसी दौरान उन्हें हार्ट अटैक आया और उनका निधन हो गया।

शफी इनामदार के बारे में खास बातें

शफी इनामदार मूलतः कोंकणी थे। उनका जन्म रत्नागिरी के दापोली में हुआ और फिर वह मुंबई आ गए। मुंबई से ही उनकी सारी पढ़ाई हुई। इसी दौरान उन्होंने थिएटर का भी रुख किया, जो आगे चलकर उनकी जिंदगी का अहम हिस्सा बन गया। गुजराती और मराठी थिएटर से अपना करियर शुरू करने शफी बहुभाषी प्रतिभा वाले कलाकार थे। वह हर किरदार को पहले गहराई से समझते और दर्शकों के सामने उसे जीवंत कर देते। उन्होंने अपने नाटकों में सामाजिक मुद्दों को भी प्रभावशाली ढंग से पेश किया। अपने थिएटर करियर में उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय थिएटर और इंडियन पीपल्स थिएटर एसोसिएशन जैसे प्रतिष्ठित मंचों के साथ भी काम किया।

बॉलीवुड में एंट्री

शफी इनामदार ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत शशि कपूर की 'विजेता' (1982) से की, जिसके निर्देशक गोविंद निहलानी थे। इसके बाद वह 1983 में 'अर्धसत्य' में नजर आए, जिसमें उन्होंने इंस्पेक्टर हैदर अली की भूमिका निभाई। उन्होंने अपने करियर में 'अनोखा रिश्ता', 'सदा सुहागन', 'नजराना' और 'अमृत' जैसी फिल्मों में काम किया लेकिन, शफी को सबसे बड़ी सफलता दूरदर्शन के शो 'ये जो है जिंदगी' ने दिलाई, जिसके साथ वह घर-घर में मशहूर हो गए। इस शो में शफी का किरदार इतना स्वाभाविक था कि इसके साथ वह लोगों के दिलों में बस गए। ये जो है जिंदगी के अलावा शफी ने 'आधा सच आधा झूठ', 'गालिब' और 'बादशाह जहांगीर' जैसे धारावाहिकों में भी काम किया।

निर्देशक के रूप में भी मिली सफलता

शफी एक बेहतरीन अभिनेता होने के साथ-साथ शानदार निर्देशक भी थे। उन्होंने 1995 में निर्देशन की दुनिया में कदम रखा और नाना पाटेकर, ऋषि कपूर और पूजा भट्ट स्टारर 'हम दोनों' का निर्देशन किया, जो दर्शकों को पसंद आई और शफी के निर्देशन की भी जमकर तारीफ हुई।

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