Hindi News Entertainment Movie Review Jersey Movie Review: इमोशनल स्पोर्ट ड्रामा फिल्म देखने का बना रहे हैं मन तो 'जर्सी' है परफेक्ट ऑप्शन

Jersey Movie Review: इमोशनल स्पोर्ट ड्रामा फिल्म देखने का बना रहे हैं मन तो 'जर्सी' है परफेक्ट ऑप्शन

यह तेलुगु स्पोर्ट्स ड्रामा की रीमेक है, जिसमें नानी और श्रद्धा श्रीनाथ नजर आए थे। फिल्म में आपको लव, रोमांस, जुनून और एक पिता का अपने बेटे के प्रति प्यार सब देखने को मिलेगा।

shweta bajpai 22 Apr 2022, 7:41:10 IST
मूवी रिव्यू:: Jersey Movie Review: इमोशनल स्पोर्ट ड्रामा फिल्म देखने का बना रहे हैं मन तो 'जर्सी' है परफेक्ट ऑप्शन
Critics Rating: 3.5 / 5
पर्दे पर: april 22,2022
कलाकार: शाहिद कपूर
डायरेक्टर: गौतम तिन्ननुरी
शैली: fiction
संगीत: सचेत-परंपरा

2019 में 'कबीर सिंह' को मिली अपार सफलता के बाद शाहिद के फैंस 'जर्सी' का इंतजार कर रहे थे। आखिरकार शाहिद कपूर और मृणाल ठाकुर स्टारर फिल्म 'जर्सी' 22 अप्रैल यानी आज सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है। यह तेलुगु स्पोर्ट्स ड्रामा की रीमेक है, जिसमें नानी और श्रद्धा श्रीनाथ नजर आए थे। इस फिल्म ने दो राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी जीते, पहला सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म- तेलुगु और दूसरा सर्वश्रेष्ठ संपादन। अक्सर ऐसा देखा जाता है कि जो फिल्में किसी खेल पर आधारित होती हैं वो अक्सर फिल्म के दूसरे हिस्सों से अछूती रह जाती हैं, लेकिन इस फिल्म ने सभी हिस्सों पर काम किया है। फिल्म में आपको लव, रोमांस, जुनून और एक पिता का अपने बेटे के प्रति प्यार सब देखने को मिलेगा तो अगर आप फिल्म देखने का मन बना रहे हैं तो सबसे पहले फिल्म का रिव्यू पढ़ लें।

Image Source : twitterJersey Movie Review

कहानी-
जर्सी एक पिता और बेटे के आपसी दुलार की कहानी है। इसमें शाहिद एक स्टार बल्लेबाज रह चुके अर्जुन तलवार की भूमिका निभाते हैं। अर्जुन तलवार इंडियन टीम में सिलेक्शन न होने की वजह से 26 साल की उम्र में अपने क्रिकेट के टॉप करियर को छोड़ने का फैसला लेते हैं। इसके बाद वो सरकारी क्षेत्र में कदम रखते हैं और नौकरी हासिल करते हैं, लेकिन भ्रष्टाचार के झूठे आरोप के चलते वो अपनी नौकरी से हाथ धो बैठते हैं। अब घर की सारी जिम्मेदारी विद्या पर है, जो एक होटल में रिसेप्शनिस्ट का काम करती हैं। इसके बाद शुरू होता है अर्जुन का संघर्ष का दौर। उसकी जिंदगी में मोड़ तब आता है, जब उसका बेटा 500 रुपये की जर्सी बर्थडे पर मांग लेता है और वो उसे ये जर्सी नहीं दिला पाते हैं। इसके बाद क्या था अपने बेटे और पत्नी की नजरों में इज्जत बनाए रखने के लिए अर्जुन 36 साल की उम्र में कमबैक करने की ठान लेता है, लेकिन उम्र के इस पड़ाव में ये आसान नहीं होता है।  वह संघर्ष करता है हाथ से निकल चुकी उस शोहरत को हासिल करने की कोशिश करता है। अर्जुन के इसी संघर्ष और लक्ष्य के इर्द-गिर्द जर्सी की कहानी घूमती है।

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अभिनय- 
कबीर सिंह की सफलता के बाद सभी को शाहिद से खासा उम्मीद थी जिसे उन्होंने बरकरार रखा। फिल्म में शाहिद की एक्टिंग शानदार है। किरदार कोई भी हो शाहिद उसे अपनी एक्टिंग से जिंदा कर ही देते हैं ये इस फिल्म में देखने को भी मिला। हां फिल्म में कई बार उनकी कबीर सिंह वाली इमेज की झलक मिलती है। कुल मिलाकर वो अपने किरदार में एक दम फिट बैठे हैं। कोच माधव शर्मा के रूप में पंकज कपूर ने भी रोल के साथ न्याय किया है। पंकज कपूर काफी सहज लगे हैं। बात करें विद्या के किरदार में मृणाल ठाकुर की तो उन्होंने भी अच्छा काम किया है। दक्षिण भारतीय लड़की के किरदार से लेकर अकेले घर चलाने वाली पत्नी और मां तक के किरदार को उन्होंने बखूबी जिया है। फिल्म में  अर्जुन और विद्या के बेटे बने रोनित कामरा का भी जवाब नहीं। इतनी छोटी उम्र में बी वो मंझे हुए कलाकार से नजर आते हैं।

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डायरेक्शन-
गौतम तिन्ननुरी ने ही नानी-स्टारर जर्सी बनाई थी और अब रीमेक फिल्म का जिम्मा भी उनके सिर था। फिल्म का डायरेक्शन और सिनेमेटोग्राफी काफी अच्छी है। गौतम तिन्ननुरी फिल्म को बखूबी दर्शकों तक परोसा है। अनिल मेहता की सिनेमैटोग्राफी में उनका तीन दशक का अनुभव साफ दिखता है ।फिल्म की शुरुआती रफ्तार थोड़ी धीमी लगती है। हालांकि किरदारों के हिसाब से कलाकारों का चयन परफेक्ट है। गौतम ने फिल्म में हर हिस्से को अच्छे से दिखाया है फिर वो क्रिकेट हो, रोमांस हो या फिर इमोशन्स सभी के साथ अच्छा खेला है। 

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गाने-
फिल्म के गाने शानदार हैं। फिल्म देखने का बाद भी ये आपके जेहन में रहेंगे। फिल्म के गाने सोने पर सुहागा हैं। 'मेहरम' और 'है बलाकी' जैसे गाने पहले से हिट हो चुके हैं। दोनों ही गाने सबके मुंह पर रटे हुए हैं। 

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कमियां-
वैसे तो फिल्म शानदार है, लेकिन फिल्म में कुछ चीजें खटकती हैं जैसे इसकी लंबाई। एडिटिंग पर और काम किया जा सकता था। फिल्म का फर्स्ट हाफ टेस्ट मैच की तरह ठुक-ठुक करके आगे बढ़ता है, जिससे ऊबन होती है। फिल्म की शुरुआती रफ्तार थोड़ी धीमी लगती है, सेकंड हाफ में स्पीड में आती है। फिल्म में खेल से ज्यादा रिश्ते और भावनात्मक पहलुओं पर ज्यादा जोर दिया गया है जो अच्छा भी है बुरा भी क्योंकि अगर आप क्रिकेट लवर हैं और इसे स्पोर्ट्स के लिहाज से देखने जा रहे हैं, तो निराशा हाथ लग सकती है।

देखें या नहीं-
इसमें कोई दो राय नहीं है कि फिल्म देखने लायक है। ये फिल्म आप परिवार के साथ आराम से देख सकते हैं। हां अगर आप इसे क्रिकेट के लिहाज से देखने जा रहे हैं तो ये आपके लिए सही ऑप्शन नहीं है। हां फिल्म की कहानी और कलाकारों की एक्टिंग आपको इससे बांधे रखती है तो आप ये फिल्म देखने जा सकते हैं।