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Sye Raa Narasimha Reddy Review: चिरंजीवी और अमिताभ की बिदांस जोड़ी, जबरदस्त एक्शन के बीच कहानी दिखीं कमजोर

Sye Raa Narasimha Reddy Movie Review फिल्म सायै रा नरसिम्हा रेड्डी में चिरंजीवी ने शानदार प्रदर्शन किया वहीं फिल्म में भव्य सेट्स और एक्शन आपकी आंखे चौड़ी कर सकता है।

Shivani Singh 03 Oct 2019, 8:07:37 IST
मूवी रिव्यू:: सई रा नरसिम्हा रेड्डी
Critics Rating: 3 / 5
पर्दे पर: 2 अक्टूबर 2019
कलाकार: तमन्ना भाटिया, अमिताभ बच्चन
डायरेक्टर: सुरेंद्र रेड्डी
शैली: ड्रामा-एक्शन
संगीत: अमित द्विवेदी, Julius Packiam

भारत के स्वतंत्रता संग्राम को लेकर अनगिनत फिल्में बनी हैं। कई योद्धाओं और नेताओं के कारनामे और जीवनियां पढ़ी होंगी लेकिन कई ऐसे योद्धा भी है जिनके बारे में शायद ही हमने सुना हो। ऐसे ही एक योद्धा के ऊपर बनी फिल्म सई रा नरसिम्हा रेड्डी आज सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है।

यूं तो  फिल्म नरसिम्हा रेड्डी के जीवन पर आधारित है, जिन्होंने 1857 की क्रांति के 10 साल पहले अपने राज्य 'उयालपाड़ा' से आजादी का बिगुल बजाया था। फिल्म कथानक से भटकती नहीं है और कलाकारों का अभिनय इसे बेहतरीन बनाता है। फिल्म में भव्य सेट्स और एक्शन आपकी धड़कनें तेज कर सकते है। आमतौर पर इस विषय पर बनी फिल्में अच्छी रही हैं और चिरंजीवी और अमिताभ बच्चन की ये फिल्म भी दर्शकों के दिल में उतरने के सफल हो सकती है।

निर्देशक सुरेंद्र रेड्डी की इस फिल्म स्क्रिप्ट की बात करें तो कुछ लंबी जरूर है लेकिन विषय से भटकती नहीं है। हालांकि कहीं कहीं रिदम टूटता है और फिल्म थोड़ी धीमी महसूस होती है। अविश्वसनीय एक्शन और चिरंजीवी, बिग बी और सुदीप किच्चा जैसे मेगा स्टार्स की मौजूदगी शायद हिंदी दर्शकों को लुभाने में कामयाब हो सकती है। वहीं दूसरी ओर तमन्ना भाटिया और नयनतारा अपने-अपने किरदार से एक-दूसरे को टक्कर देती हुई नजर आती हैं। अगर आप भी सई रा नरसिम्हा रेड्डी देखने की सोच रहे है तो पहले ही जान लें इस फिल्म का रिव्यू

कहानी
कहानी है भारत की आजादी की उस लड़ाई की जिसे किताबों में जगह नहीं मिल पाई है। दौर वो है जब भारत को 'सोने की चिड़ियां' कहा जाता था। ब्रिटिश सरकार भारत की संपन्नता का फायदा उठाने के लिए ईस्ट इंडिया कंपनी को पहले व्यापार और फिर राज करने के लिए भारत भेजती है। गुलामी की कहानी सब जानत हैं, इसके बाद 1857 के राष्ट्रीय आंदोलन के करीब 10 साल पहले बजता है, उय्यलवाडा का पालेदार नरसिम्हा रेड्डी (चिरंजीवी) अपनी प्रजा और धरती मां की रक्षा के लिए ये बिगुल बजाता है। वह बचपन से ही अपने गुरु जी (अमिताभ बच्चन) के दिखाए हुए रास्ते में चलकर एक शूरवीर बनता हैं। शूरवीर की अपनी एक प्रेम कहानी है। एक नृतकी का  प्रेम उसे जीवंत करता है औऱ दूसरी ओर बचपन में देश हित में की गई उसकी शादी उसे मर्यादाओं से बांधती है। ईस्ट इंडिया कंपनी के अत्याचारों और गलत तरीके से लगान वसूल करने की नीतियों से क्रोधित होकर नरसिम्हा अधिकारियों को लगान देने से मना कर देता है। नरसिम्हा की बगावत जल्द ही आजादी की जंग में बदल जाती है और फिर देश को अंग्रेजों के खिलाफ एक सामूहिक आंदोलन में बांध देती है। इस आंदोलन में अवकु राजू(सुदीप किच्चा) और राजा पाड़ी (विजय सेतुपति जैसे साथी है तो घर का भेदी रवि किशन है। अब इस फिल्म में आगे क्या है इसके लिए आपको फिल्म देखनी होगी।

अभिनय
एक्टिंग की बात करें तो चिरंजीवी ने 64 साल की उम्र में इतना अच्छा अभिनय किया कि आप हैरान रह जाएंगे कि वास्तव में उनकी इतनी उम्र है। वह अपने किरदार पर पूरी तरह से छा गए।  वह नरसिम्हा रेड्डी के किरदार को इस तरह निभा रहे हैं मानों वह स्वयं ही यह किरदार है। वहीं महानायक अमिताभ बच्चन भी अपने किरदार में एकदम जीवंत नजर आ रहे हैं। उनके डॉयलॉग्स से लेकर एक्टिंग तक शानदार रहीं।

नयनतारा और तमन्ना भाटिया अपने-अपने किरदार से एक-दूसरे को कॉम्पिटशन देती हुई नजर आ रही हैं। तमन्ना की बात करें तो उन्होंने बहुत ही बिदांस एक्टिंग की है। वह स्क्रीन पर अपनी छाप छोड़ने में कामयाब हो गई हैं। वह फिल्म में बहुत ही ज्यादा खूबसूरत नजर आई खासकर उनकी आंखें। वहीं आग की आहुति वाला उनका नृत्य यादगार बन पड़ा है। इसके अलावा किच्छा सुदीप, विजय सेतुपति, जगपथी बाबू, रवि किशन, जैसे कलाकार ने भी अपनी एक्टिंग में कोई कसर नहीं छोड़ी है।

संगीत
चुूकि ये फिल्म स्वतंत्रता संग्राम को लेकर बनी है जिसके कारण इसमें म्यूजिक का काम ज्यादा नहीं था। लेकिन बीच में भगवान नरसिम्हा की पूजा-अर्चना के लिए एक गाना फिल्माया गया है। जो काफी अच्छा था। वहीं हालांकि बैकग्राउंड साउंड बेहतरीन था। कहां पर किस तरह का साउंड देना है इस फिल्म एक अच्छा उदाहरण है।

डायरेक्शन
सई रा नरसिम्हा रेड्डी का निर्देशन सुरेंद्र रेड्डी ने किया है। इस फिल्म में 1857 के दौर को दर्शाने में निर्देशक ने जिन भव्य सेट्स का इस्तेमाल किया है, वे अपने आप में काबिले तारीफ हैं। वहीं एक्शन देखकर आपकी आंखें चौड़ी हुए बिना नहीं रह पाती।  यह फिल्म पूरे 2 घंटा 50 मिनट की है जो काफी लंबी है। अगर इसकी लंबाई को थोड़ा कम कर दिया जाता तो शायद यह बीत में उबाऊ नहीं लगती है। यह फिल्म देशभक्ति की होते हुए भी आपके रोंगटे खड़े करने में कामयाब नहीं हो पाई।

फिल्म में अच्छी चीज
जहां एक ओर चिरंजीवी अपनी एक्शन और एक्टिंग से आपको अपना फैन बना सकते है। वहीं तमन्ना का आग की आहुति वाला सीन आपको रुला सकता है।

देखे या नहीं
अगर आप चिरंजीवी, अमिताभ बच्चन, तमन्ना, नयनतारा के बहुत बड़े फैन है तो आपको यह फिल्म जरूर देखना चाहिए।

इंडिया टीवी इस फिल्म को शानदार एक्टिंग, भव्य सेट्स और एक्शन के कारण 5 में से 3 स्टार देती है।