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निठारी कांड: लड़कियों-बच्चों के साथ हैवानियत की वो दास्तां, जिसे सुनकर आंखों में उतर आएगा खून

करीब 17 साल पहले नोएडा के सेक्टर-31 में निठारी गांव की D-5 कोठी, जिसमें लड़कियों और बच्चों के साथ हैवानियत की ऐसी घटना सामने आई थी जिसे जानकर आज भी आपकी रूह कांप उठेगी। जानिए क्या थी ये घटना जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था।

Nithari Case- India TV Hindi Image Source : FILE PHOTO निठारी कांड के दोषियों को हाईकोर्ट ने फांसी की सजा से किया मुक्त

Nithari Case: नोएडा के निठारी गांव की कोठी D-5, जो मोनिंदर सिंह पंढ़ेर की थी और उसके साथ उसका नौकर सुरेंद्र कोली रहता था। वह कोठी एक ऐसे कांड, ऐसी हैवानियत की गवाह है, जिसे सुनकर आज भी आपकी आंखों  में खून उतर आएगा। साल 2006 में निठारी के कोठी नंबर D-5 के बगल वाले नाले से एक-एक कर कई नरकंकाल मिले थे। इस कांड ने ऐसा खुलासा किया था  जिसे सुनकर पूरे देश में खलबली मच गई थी। पंढेर के नौकर सुरेंद्र कोली पर आरोप लगा था कि वह कोठी पर लड़कियों को लाता था औऱ उनसे रेप करता था और फिर उनकी  हत्या कर लाश के टुकड़े खाता था और हड्डियां बाहर नाले में फेंक देता था। यह खुलासा तब हुआ था जब निठारी गांव की दर्जनों लड़कियां गायब हो गईं और उनका कुछ पता नहीं चल सका था। 

साल-2005 और 2006 में 19 बच्चियों, युवतियों और महिलाओं की रेप के बाद हत्या का खुलासा हुआ था और हैवानियत की ये बात सामने आई थी कि उनकी हत्या कर हत्यारों ने खा लिया। खुलासे के बाद इस केस में कुल 19 मुकदमे दर्ज हुए थे।  इस जुर्म में निचली अदालत ने सुरेंद्र कोली को फांसी की सजा सुनाई थी। इसमें तीन मुकदमों में पुलिस ने साक्ष्य के अभाव में क्लोजर रिपोर्ट लगा दी। 16 मुकदमों में CBI कोर्ट गाजियाबाद का फैसला आ चुका है। 13 मुकदमों में सुरेंद्र कोली को सजा-ए-मौत सुनाई और तीन में बरी किया गया।

जानिए कौन हैं मोनिंदर पंढ़ेर और सुरेंद्र कोली

मोनिंदर सिंह मूल रूप से पंजाब का रहने वाला था और साल 2000 में  दिल्‍ली आया था। वहीं, सुरेंद्र कोली, जो उत्तराखंड के अल्‍मोड़ा के एक गांव का रहने वाला था दि्ली में एक ब्रिगेडियर के घर पर खाना बनाने का काम करता था। कहा जाता है कि कोली खाना बेहतरीन बनाता था। साल 2003 में वह पंढे़र से मिला और उसके घर पर नौकर बनकर का काम करने लगा। सुरेंद्र कोली के आने के बाद मोनिंदर सिंह की फैमिली उसे छोड़कर पंजाब चली गई। तब से वह कोली के साथ रहने लगा। मोनिंदर सिंह अक्सर इस कोठी पर कॉलगर्ल बुलाता रहता था। एक बार उसके नौकर सुरेंद्र कोली ने वहां आई एक कॉलगर्ल से रिलेशन बनाने को कहा तो कॉलगर्ल ने उससे ऐसा कुछ कह दिया कि सुरेंद्र नाराज हो गया और उसने गला दबाकर उसकी हत्या कर दी और लाश को कोठी के पासवाले नाले में फेंक दिया। यह निठारी गांव की D-5 कोठी में पहला मर्डर था।

लड़कियों-बच्चों से रेप के बाद कर देता था हत्या

इसके बाद ऊधमसिंह नगर (उत्तराखंड) से आई एक लड़की दीपिका उर्फ पायल नौकरी की तलाश में 7 मई 2006 को मोनिंदर सिंह पंढेर के पास गई थी, वो भी कोठी में जाते ही गायब हो गई थी। पायल के गायब होने के बाद 24 अगस्त 2006 को नोएडा पुलिस ने अपहरण का केस दर्ज कर जांच शुरू की तो दीपिका का मोबाइल सुरेंद्र कोली के पास से मिला।उसके बाद कोठी में काम करने वाली 25 साल की आनंदा देवी गायब हो गई थी। इस तरह से कई लड़कियां-महिलाएं और बच्चे गायब हो गए थे। पायल के गायब होने के केस में पुलिस ने जब कोली और पंढे़र से सख्ती से पूछताछ की तो उन्होंने दीपिका उर्फ पायल की रेप के बाद हत्या कर लाश कोठी के बराबर में नाले में फेंकने की बात कुबूल ली। उसके बाद 29 और 30 दिसंबर 2006 को नोएडा पुलिस ने कोठी के पास के नाले से बड़ी संख्या में मानव कंकाल बरामद किए, जो सिर्फ लड़कियों के थे।

हुआ था चौंकाने वाला खुलासा

इसके बाद जो खुलासा हुआ वो काफी चौंकाने वाला था। पुलिस को पता चला कि मोनिंदर पंधेर और सुरेंदर कोली कोठी पर लड़कियों को किसी बहाने से बुलाते थे और रेप के बाद हत्या करके उनकी लाश इस नाले में फेंक देते थे। लोगों का यह भी कहना था कि निठीरी की पंढेर की कोठी से मानव अंगों का व्यापार होता था। इतना ही नहीं हत्या के बाद शव के टुकड़ों को पका कर खाने की भी बात सामने आई थी। कहा जाता है कि मामले का आरोपी सुरेंद्र कोली नेक्रोफीलिया नामक मानसिक बीमारी से ग्रसित था और वह बच्चों के प्रति आकर्षित होने लगा था।  वह कोठी से गुजरने वाले बच्चों को पकड़ कर उनके साथ कुकर्म करता और फिर उनकी हत्या कर देता था।

सुनाई गई थी फांसी की सजा

पुलिस ने मोनिंदर और सुरेंद्र के खिलाफ रेप और हत्या के कुल 19 मामले दर्ज किए। इस केस में CBI ने सुरेंद्र कोली को हत्या, अपहरण, रेप और सबूत मिटाने के केस में आरोपी बनाया था. जबकि, मनिंदर को मानव तस्करी का भी आरोपी बनाया था। सीबीआई ने 46 गवाहों को पेश करके उनके बयान दर्ज कराए थे जबकि बचाव पक्ष की तरफ से महज 3 गवाह पेश किए गए। आरोप तय होने के बाद दोनों दोषी करार दिए गए और इस जघन्य अपराध के मामले में कोली और मोनिंदर को फांसी की सजा सुनाई गई थी। लेकिन अब उनको सजा से बरी कर दिया गया है। बचे हुए मामलों में केस जारी रहेगा।