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Hindi News Explainers Explainer: नौकरी की संभावना पर कैसे असर डालता है नाम? नई स्टडी में पता चलीं चौंकाने वाली बातें

Explainer: नौकरी की संभावना पर कैसे असर डालता है नाम? नई स्टडी में पता चलीं चौंकाने वाली बातें

एक नई स्टडी ने यह साबित किया कि नामों का लहजा, यानी साउंड सिम्बॉलिज्म, नौकरी के चयन पर असर डाल सकता है। नरम और सौम्य नामों को लोग दयालु और सहानुभूतिपूर्ण मानते हैं, जबकि तेज नाम अक्खड़ व्यक्तित्व से जुड़े होते हैं।

name impact, job recruitment, sound symbolism- India TV Hindi Image Source : PIXABAY REPRESENTATIONAL स्टडी बताती है कि नाम में बहुत कुछ रखा है।

ओटावा: क्या आपने कभी सोचा है कि किसी का नाम उसके बारे में हमारी सोच को कैसे प्रभावित करता है? एक नई स्टडी बताती है कि नाम का लहजा यानी कि साउंड भी किसी नौकरी में भर्ती के फैसलों को प्रभावित कर सकता है। अगर आपको 2 उम्मीदवारों, रेनी और ग्रेटा में से किसी एक को नौकरी के लिए चुनना हो, जो काम को गंभीरता से लेने वाला और लोगों की इज्जत करने वाला होना चाहिए, तो आप किसे चुनेंगे? स्टडी के मुताबिक, ज्यादातर लोग रेनी को चुनेंगे क्योंकि उसका नाम सुनने में ज्यादा नरम और सौम्य लगता है।

साउंड सिम्बॉलिज्म का क्या होता है असर?

कनाडा में हुई इस रिसर्च में पता चला कि नामों का लहजा, यानी उनकी ध्वनि, लोगों के दिमाग में खास छवि बनाता है। इसे साउंड सिम्बॉलिज्म कहते हैं। उदाहरण के लिए, बूबा/कीकी इफेक्ट में लोग 'बूबा' को गोल आकार और 'कीकी' को नुकीले आकार से जोड़ते हैं। ऐसा क्यों होता है, इस पर अभी बहस जारी है। कुछ का मानना है कि शब्द बोलते समय मुंह की हरकत या ध्वनि की बनावट इसका कारण हो सकती है।

इस स्टडी में शोधकर्ताओं ने असली नामों पर भी यह टेस्ट किया। उन्होंने पाया कि लियाम या नोएल जैसे सुनने में आसान लगने वाले नामों को लोग दयालु और भावुक स्वभाव से जोड़ते हैं, जबकि टेट या क्रिस्टा जैसे तेज नामों को अक्खड़ व्यक्तित्व से। मजे की बात यह है कि असल जिंदगी में इन नामों वाले लोगों का स्वभाव ऐसा होना जरूरी नहीं है। फिर भी, लोग नामों के आधार पर धारणाएं बना लेते हैं।

नौकरी पर क्या पड़ता है नाम का असर?

शोधकर्ताओं ने यह भी देखा कि नामों का लहजा नौकरी में भर्ती के फैसलों को कैसे प्रभावित करता है। कई बार कंपनियां उम्मीदवारों को सिर्फ उनके नामों के आधार पर छांटते हैं। इस स्टडी में 6 तरह की पर्सनैलिटी के आधार पर जॉब ऐड बनाए गए, जैसे ईमानदारी, भावुकता, उत्साह, सहनशीलता, मेहनत, और नए अनुभवों के लिए खुलापन। लोगों को दो नामों में से चुनना था, जैसे लियाम और टेट। नतीजे दिखाते हैं कि नरम नाम, जैसे लियाम और नोएल, को लोग उन नौकरियों के लिए ज्यादा मुफीद समझते हैं, जहां ईमानदारी, भावुकता, सहनशीलता या खुलेपन की जरूरत हो।

Image Source : Pixabay Representationalनौकरियों में नाम के आधार पर पक्षपात हो सकता है।

तस्वीर और वीडियो कैसे डालते हैं असर?

रिसर्च में यह भी देखा गया कि अगर उम्मीदवार की तस्वीर या वीडियो देखने को मिले तो क्या होता है। जब लोगों को उम्मीदवार की तस्वीर दिखाई गई, तो नाम के लहजे का असर कम हुआ। और जब वीडियो इंटरव्यू देखा, तो नाम का लहजा बिल्कुल बेअसर हो गया। यानी, ज्यादा जानकारी मिलने पर लोग नामों के बजाय दूसरी चीजों पर ध्यान देते हैं। एक और रोचक बात सामने आई, अगर लोगों को लगा कि उम्मीदवार का नाम उसकी शख्सियत से मेल खाता है, तो उसे ज्यादा गर्मजोशी और काबिलियत वाला समझा गया। हालांकि, यह अभी साफ नहीं है कि कुछ लोगों के नाम उन पर ज्यादा सूट क्यों करते हैं।

नौकरी देने वालों को क्या करना चाहिए?

यह स्टडी बताती है कि नामों का लहजा भर्ती में अनजाने में ही पक्षपात की भावना को ला सकता है। खासकर तब, जब नौकरी देने वाले के पास उम्मीदवार के बारे में सीमित जानकारी हो। शोधकर्ताओं का कहना है कि नौकरी देने वाले को चाहिए कि वे सिर्फ नामों पर भरोसा न करें और उम्मीदवारों की पूरी प्रोफाइल देखें। तो अगली बार जब आप किसी का नाम सुनें, तो जरा सोचें कि आपका दिमाग उस नाम के लहजे के आधार पर कोई धारणा तो नहीं बना रहा? क्योंकि सच तो यही है कि नाम में बहुत कुछ रखा है! (PTI-The Conversation)