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Hindi News Explainers Explainer: RJD और INDI अलायंस से तनाव या कोई बड़ा प्लान! आखिर नीतीश के मन में क्या है?

Explainer: RJD और INDI अलायंस से तनाव या कोई बड़ा प्लान! आखिर नीतीश के मन में क्या है?

नीतीश कुमार बीजेपी के साथ आगे भी बने रहेंगे, इस बात की कोई गारंटी नहीं है क्योंकि नीतीश पहले भी अपने बयानों से कई बार पलट चुके हैं। हालांकि, जानकार ये भी कहते हैं कि नीतीश के पास अब ज्यादा विकल्प नहीं बचे हैं।

नीतीश के मन में क्या है?- India TV Hindi Image Source : PTI नीतीश के मन में क्या है?

बिहार की राजनीति में एक बार फिर से उलटफेर करते हुए नीतीश कुमार ने एनडीए के साथ मिलकर नई सरकार का गठन कर लिया है। इसके साथ ही नीतीश ने नौवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है। राजनीतिक गलियारों में कोई इसे नीतीश का मास्टरस्ट्रोक बता रहा है तो वहीं कई लोग इस मुद्दे पर नीतीश कुमार की आलोचना कर रहे हैं। हालांकि, लोकसभा चुनाव से ठीक पहले नीतीश के इस कदम से सबसे बड़ा झटका विपक्षी दलों के गठबंधन INDI अलायंस पर पड़ा है। आज बिहार समेत देश के विभिन्न राज्यों के लोग इस बात पर चर्चा कर रहे हैं कि आखिर नीतीश ने इतना बड़ा फैसला क्यों किया? क्या इस कदम से नीतीश कुमार बहुत आगे का गेम खेल रहे हैं? आखिर नीतीश कुमार के मन में है क्या? आइए जानते हैं इन सभी सवालों के जवाब हमारे इस एक्सप्लेनर के माध्यम से।

Image Source : PTIनीतीश कुमार।

INDI अलायंस के कर्ता ही अलग हुए

नीतीश कुमार औपचारिक न सही लेकिन असल मायने में विपक्षी दलों के INDI अलायंस के संस्थापक थे। उन्होंने ही बीते लंबे समय से देश के विभिन्न राज्यों में यात्रा कर के विपक्षी दलों को एकजुट कर के एक साथ केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ चुनाव लड़ने की रुपरेखा तैयार की। माना जा रहा था कि INDI अलायंस आगामी लोकसभा चुनाव में जीत भले न हासिल कर पाए लेकिन भाजपा नीत गठबंधन एनडीए को थोड़ी टक्कर तो दे ही पाएगा। हालांकि, अब नीतीश कुमार खुद ही गठबंधन से अलग होकर भाजपा के साथ चले गए हैं। 

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संयोजक न बनाए जाने से नाराज हुए नीतीश?

साल 2010 के बाद से ही नीतीश कुमार के समर्थकों की ओर से उन्हें पीएम मटेरियल का नेता कह कर संबोधित करना शुरू कर दिया गया था। 2013 में वर्तमान पीएम नरेंद्र मोदी को एनडीए का चेहरा बनाए जाने के बाद नीतीश खुलकर इसके विरोध में आए और एनडीए को अलविदा कह दिया। हालांकि, नीतीश पर इसका उलटा असर हुआ और वह कभी भी पीएम उम्मीदवार तक नहीं बन सके। जानकार बताते हैं कि INDI अलायंस को शुरू करने के बाद नीतीश के मन में उम्मीद थी कि उन्हें इसके प्रमुख का पद दिया जाएगा। हालांकि, दिल्ली में हुए विपक्षी दलों की बैठक में नीतीश के बजाए कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे का नाम पीएम पद के उम्मीदवार के तौर पर सामने रखा गया। इसके बाद से ही नीतीश के नाराज होने की खबरें सामने आने लगी। गठबंधन से अलग होने के बाद जदयू नेताओं ने भी कांग्रेस पर गठबंधन को हाइजैक करने का आरोप लगाया है। 

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पार्टी के ही नेता थे INDI अलायंस के खिलाफ

माना जा रहा है कि नीतीश की पार्टी जदयू के ही नेता INDI अलायंस के खिलाफ थे। 2019 के लोकसभा चुनाव में एनडीए गठबंधन की ओर से जदयू ने 17 में से 16 सीटों पर जीत हासिल की थी। हालांकि, इस जीत में बड़ी भूमिका पीएम मोदी के चेहरे की थी। इस कारण आगामी लोकसभा चुनाव में पार्टी के मौजूदा सांसदों के जीत की संभावना कम ही नजर आ रही थी। जानकारी के मुताबिक, जदयू के इंटरनल सर्वे में भी सामने आ रहा था कि एनडीए के बैनर तले उनके जीत की संभावना कहीं ज्यादा है। नीतीश भी इन बातों को भांप रहे थे। कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने के लिए पीएम मोदी को धन्यवाद देकर और परिवारवाद पर निशाना साध कर नीतीश ने कुछ दिनों पहले से ही अपनी मंशा जाहिर कर दी थी। 

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जदयू के खत्म होने का डर तो नहीं?

साल 2022 में जदयू ने एनडीए से अलग होकर लालू प्रसाद यादव की पार्टी राजद का हाथ थामा और नई सरकार बनाई। हालांकि, इस नई सरकार में सीएम नीतीश के बजाए तेजस्वी यादव की वाहवाही ज्यादा देखने को मिली। चाहे शिक्षक भर्ती हो या राज्य के लिए अन्य फैसले, इनमें नीतीश के बजाए तेजस्वी का भार ज्यादा दिखा। माना ये भी जा रहा था कि जदयू का वोटबैंक राजद की ओर भी शिफ्ट होने लगा है। राजद के मंत्रियों और नेताओं की बयानबाजियों के कारण नीतीश की छवि को भी नुकसान पहुंच रहा था। इसके अलावा नीतीश को तेजस्वी और पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह की नजदीकी भी रास नहीं आ रही थी। ऐसे में नीतीश को जदयू के ही दो धड़ों में बंटने की संभावना का भान हो गया। उन्होंने सबसे पहले राजीव रंजन सिंह उर्फ लल्लन सिंह को अध्यक्ष पद से हटाया और पार्टी की कमान अपने हाथों में लेकर फैसले लेने शुरू किए।

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नीतीश के मन में क्या है?

नीतीश कुमार बीजेपी के साथ आगे भी बने रहेंगे, इस बात की कोई गारंटी नहीं है क्योंकि नीतीश पहले भी अपने बयानों से कई बार पलट चुके हैं। हालांकि, मौजूदा राजनीतिक हालातों से ये भी तय है कि नीतीश के पास बीजेपी के अलावा कोई और विकल्प बचा नहीं है। आरजेडी से वह पहले ही कई बार नाता जोड़-तोड़ चुके हैं, वहीं बीजेपी को भी गच्चा दे चुके हैं। इंडी अलायंस के साथ भी उनका दोस्ताना नहीं चल पाया। ऐसे में नीतीश एक ऐसी राह पर चल निकले हैं, जहां अब उनके पास सरकार चलाने और पार्टी बचाने के लिए करो या मरो वाली स्थिति है।

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