न्यूलीजैंड के इस पहाड़ को मिला इंसान का दर्जा, देखें तस्वीरें; जानें पूरा किस्सा

Published : Jan 31, 2025 03:43 pm IST, Updated : Jan 31, 2025 03:43 pm IST
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    न्यूजीलैंड का एक पहाड़ दुनिया भर में चर्चा का विषय बन गया है। यहां के मूल निवासी माओरी समुदाय इस पर्वत को अपना पूर्वज मानते हैं। पहाड़ को लेकर लोगों का जुड़ाव किस कदर है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि एक नए कानून के तहत इसे कानूनी रूप से इंसान का दर्जा दिया गया है। इस कानून के तहत अब इस पर्वत को इंसान जितने सभी अधिकार प्राप्त होंगे।

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    न्यूजीलैंड के इस पहाड़ का नाम तारानाकी पर्वत है जिसे अब उसके माओरी नाम 'तारानाकी मौंगा' से जाना जाएगा। इससे पहले, न्यूजीलैंड में एक नदी और एक पवित्र भूमि क्षेत्र को भी यह दर्जा दिया जा चुका है।

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    तारानाकी पर्वत 2,518 मीटर (8,261 फीट) ऊंचा निष्क्रिय ज्वालामुखी पर्वत है। यह पर्यटकों, पर्वतारोहियों और स्नो स्पोर्ट्स प्रेमियों के बीच काफी लोकप्रिय है। इसे कानूनी पहचान देने की वजह न्यूजीलैंड में उपनिवेशवाद के दौरान माओरी समुदाय से इस पर्वत को जबरन छीनने की ऐतिहासिक घटना को स्वीकार करना है। यह सरकार द्वारा माओरी समुदाय को हुई क्षति की भरपाई और न्याय देने के प्रयासों का हिस्सा है।

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    पर्वत को कानूनी व्यक्ति का दर्जा देने वाला यह विधेयक न्यूजीलैंड की संसद में 123 सांसदों द्वारा सर्वसम्मति से पारित किया गया। इस मौके पर संसद में उपस्थित माओरी समुदाय के लोगों ने अपनी खुशी का इजहार पारंपरिक वाइता (माओरी गीत) गाकर किया।

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    नए कानून के तहत अब एक संस्था बनाई जाएगी, जो पर्वत की 'आवाज और चेहरा' होगी। इसमें स्थानीय माओरी समुदायों के चार सदस्य और न्यूजीलैंड के संरक्षण मंत्री द्वारा नियुक्त चार अन्य सदस्य शामिल होंगे।

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    न्यूजीलैंड के मूल निवासी माओरी लोग तारानाकी पर्वत को अपने पूर्वज के रूप में पूजते हैं और इसे सांस्कृतिक, आध्यात्मिक तथा भौतिक जीवन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मानते हैं। ब्रिटेन ने 18वीं और 19वीं शताब्दी में न्यूजीलैंड पर कब्जा किया, तो पहले उन्होंने इस पर्वत का नाम बदलकर 'माउंट एगमॉन्ट' रखा और फिर इसे जबरन छीन लिया।

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    माओरी समुदाय के लोगों का कहना है कि हमारा पूर्वज तारानाकी मौंगा अन्याय, अज्ञानता और नफरत की बेड़ियों से मुक्त हुआ है। उन्होंने कहा कि इस कानूनी पहचान से पर्वत की सुरक्षा और पारंपरिक उपयोग को बहाल करने में मदद मिलेगी. इसकी पारंपरिक माओरी मान्यताओं के अनुरूप देखभाल की जाएगी और यहां के प्राकृतिक वन्यजीवों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी। पर्वत पर आम जनता का प्रवेश पूर्व की तरह जारी रहेगा।