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Hindi News हरियाणा खट्टर सरकार की बढ़ सकती है मुश्किलें, भूपेंद्र सिंह हुड्डा पेश करेंगे अविश्वास प्रस्ताव

खट्टर सरकार की बढ़ सकती है मुश्किलें, भूपेंद्र सिंह हुड्डा पेश करेंगे अविश्वास प्रस्ताव

हरियाणा सरकार फरवरी में ही राज्य का बजट विधानसभा में पेश करेगी। 23 फरवरी को मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर बजट पेश करेंगे। इसी सत्र में विपक्ष सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश करने वाली है।

भूपेंद्र सिंह हुड्डा- India TV Hindi Image Source : SOCIAL MEDIA भूपेंद्र सिंह हुड्डा

राज्य का बजट सत्र 20 फरवरी से राज्यपाल के अभिभाषण से शुरू होगा। वहीं 23 फरवरी को हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर विधानसभा में आम बजट पेश करेंगे। मगर यह सत्र सरकार के लिए थोड़ी मुश्किलें ला सकती है। क्योंकि विपक्ष सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी कर चुकी है। सीएम मनोहर लाल खट्टर के इस कार्यकाल में यह दूसरी बार ऐसा मौका होगा जब विपक्ष विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव पेश करेगी।

भूपेंद्र सिंह हुड्डा लाएंगे अविश्वास प्रस्ताव

हरियाणा विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा सरकार के खिलाफ बजट सत्र के दौरान अविश्वास प्रस्ताव पेश करेंगे। कांग्रेस ने इसकी लगभग पूरी तैयारी कर ली है। नेता प्रतिपक्ष और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने बेरोजगारी, राज्य की कानून व्यवस्था समेत कई मुद्दों पर विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव पेश करने की बात कही है।

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने बताया, 'अभी भले ही अविश्वास प्रस्ताव पास कराने जितनी विधायकों की संख्या उनके पास नहीं है मगर उम्मीद है कि राज्य के हालात को देखते हुए सत्ता पक्ष के विधायक भी इस प्रस्ताव में उनका समर्थन करेंगे ताकि हरियाणा की भलाई हो सके।'

बता दें कि विधानसभा में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पास कराने के लिए विपक्ष के पास 15 विधायकों का समर्थन होना जरूरी है। ये 15 विधायक अगर सदन में खड़े होकर अविश्वास प्रस्ताव कर समर्थन करेंगे तभी यह प्रस्ताव मंजूर होगा।

पहले भी विपक्ष ला चुकी है अविश्वास प्रस्ताव

इस साल के बजट सत्र में अगर विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव पेश करती है तो यह दूसरी बार होगा जब सदन में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया गया। 10 मार्च 2021 को भी विधानसभा में भाजपा-JJP सरकार के खिलाफ पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा अविश्वास प्रस्ताव लाए थे। मगर तब 90 सदस्यों की विधानसभा में सरकार को 55 विधायकों का समर्थन मिला और उनकी सरकार सत्ता में बनी रही।

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