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आरएसएस यानी राष्ट्रीय शिया समाज

नजरों से आरएसएस शब्द गुजरते ही जेहन में हिन्दूवादी संगठन राष्टीय स्वयंसेवक संघ (RSS) का नाम आता है लेकिन अब राष्ट्रीय शिया समाज नाम से नया अवतार सामने आया है। राष्ट्रीय शिया समाज की एक होर्डिंग हज कमेटी के कार्यालय के बाहर लगायी गयी है, जिस पर लिखा ह

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लखनऊ: नजरों से आरएसएस शब्द गुजरते ही जेहन में हिन्दूवादी संगठन राष्टीय स्वयंसेवक संघ (RSS) का नाम आता है लेकिन अब राष्ट्रीय शिया समाज नाम से नया अवतार सामने आया है। राष्ट्रीय शिया समाज की एक होर्डिंग हज कमेटी के कार्यालय के बाहर लगायी गयी है, जिस पर लिखा है प्रेम की पीड़ा भारत के अब कोने-कोने में हो, चोट लगे राम को, तो दर्द रहीम के सीने में हो। यह होर्डिंग भाजपा कार्यालय से बमुश्किल 100 मीटर दूर लगायी गयी है।

संगठन के अध्यक्ष सपा विधानपरिषद सदस्य बुक्कल नवाब ने अपनी तन्जीम के नाम का लघु रूप आरएसएस पर आधारित करने के विचार के बारे में बताया कि उनका मुख्य मकसद शिया समाज की बेहतरी तथा कल्याण करना है। साथ ही हिन्दुओं और मुसलमानों के बीच भाईचारा विकसित करना है।

यह पूछे जाने पर कि क्या वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से प्रभावित हैं, नवाब ने कहा हमारा संगठन संघ से कतई प्रभावित नहीं है। राष्ट्रीय शिया समाज के गठन के बाद संघ के किसी भी सदस्य ने एतराज नहीं किया।

सपा के विधानपरिषद सदस्य नवाब ने अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण की पुरजोर वकालत की और कहा मेरा मानना है कि अयोध्या में राम मंदिर बनना चाहिये। आखिरकार राम अयोध्या में पैदा हुए थे, पाकिस्तान में नहीं।

हालांकि ऑल इण्डिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड ने राष्टीय शिया समाज के गठन पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। बोर्ड के प्रवक्ता मौलाना यासूब अब्बास ने कहा, बुक्कल नवाब अपने स्वार्थ के लिये कोई भी संगठन बना सकते हैं। हमें इस पर कोई एतराज नहीं है।

उन्होंने कहा, लेकिन, अगर निजी हित साधने के लिये शिया समुदाय की आड़ ली जाएगी, तो हमें निश्चित रूप से आपत्ति होगी। इसे प्रचार का हथकंडा कहना ज्यादा बेहतर होगा। मालूम हो कि बुक्कल नवाब पर भवन निर्माण में अनियमितता करने और दूसरे की जमीन हथियाने जैसे गम्भीर आरोप हैं।

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