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Hindi News भारत राष्ट्रीय Amritsar Train Accident: क्या हुआ उस रात, हादसे की कहानी चश्मदीदों की जुबानी

Amritsar Train Accident: क्या हुआ उस रात, हादसे की कहानी चश्मदीदों की जुबानी

अमृतसर के रहने वाले नारा भी उसी रेलवे ट्रेक के पास खड़े थे जब ट्रेन इनके सामने ही और लोगों के साथ इनके दो भाइयों को कुचलती हुई निकल गई।

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नई दिल्ली: पंजाब के अमृतसर में शुक्रवार की शाम महज तीन सेकेंड में ट्रेन साठ से ज्यादा ज़िंदगियों को रौंदती चली गई। इस दर्दनाक हादसे के शिकार बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग भी थे। इस हादसे में बहुत से लोग ऐसे भी थे जो ज़िंदा बच तो गए लेकिन बुरी तरह से जख्मी हो गए जिन्हें अमृतसर के अलग अलग अस्पतालों में इलाज के लिए ले जाया गया। इस हादसे के सैकड़ों गवाह हैं जिनके सामने ये दर्दनाक हादसा हुआ। चश्मदीद लोगों के मुताबिक ऐसा भयानक मंजर था जो उनकी आंखों के आगे ज़िंदगी भर घूमता रहेगा।

अस्पताल में जख्मी हालात में इलाज करा रहे राजकुमार भी रावण दहन देखने के लिए उसी पटरी पर मौजूद थे। जहां रावण दहन हो रहा था वहां से कुछ दूरी पर इनकी दुकान है। गनीमत रही कि ये वक्त रहते ट्रैक से कूद गए जिसकी वजह से इनकी जान बच गई लेकिन हाथ की हड्डी टूट गई।

ज़रा सोचिए, घर से खुशी-खुशी बच्चों के साथ रावण दहन देखने गए लेकिन चंद सेकेंड में ही जो साथ खड़े थे वो ज़मीन पर लहुलहूान हो कर तड़प रहे थे। अमृतसर के रहने वाले नारा भी उसी रेलवे ट्रेक के पास खड़े थे जब ट्रेन इनके सामने ही और लोगों के साथ इनके दो भाइयों को कुचलती हुई निकल गई। नारा ने बताया, ‘’मेरे दो भाई नहीं रहे, दो तीन लड़के थे। एक की गर्दन कट गई। गाडी इतनी तेजी से आई कि 40-45 लोग उसकी चपेट में आ गए। मेरा भाई, भतीजा सब उस ट्रेन से कट गए।‘’

राज नाम का युवक भी हादसे का वो चश्मदीद है जो इस दर्दनाक मंजर को कभी भुला नहीं पाएगा। ये ट्रेन की पटरी से महज चंद कदमों की दूरी पर खड़ा था तभी ये खौफनाक हादसा हुआ। उसने बताया, ‘’इधर रावण में आग लगी थी और उधर से ट्रेन आई है। ट्रेन ने कोई हॉर्न नहीं दिया, कोई  सिग्नल नहीं दिया। इधर 100-150 बंदे खड़े थे सीधी चली गई एक मिनट भी नहीं रुकी, ब्रेक भी नहीं मारे।‘’

चश्मदीद बताते हैं कि महज चंद सेकेंड में ट्रेन तो गुजर गई लेकिन उसके बाद जो तस्वीर रेलवे ट्रैक के आस पास थी उसके बारे में सोच कर भी रूह कांप जाती है। अमृतसर में रहने रहे यूपी के कुछ लड़के एक साथ रावण दहन के कार्यक्रम में मौजूद थे। सभी ट्रैक के पास खड़े होकर रावण दहन देख रहे थे लेकिन इस हादसे के बाद से उनका भी कुछ पता नहीं। चश्मदीद बताते हैं, ‘’यूपी’-बिहार से आए थे। पता भी नहीं लग रहा वो कहां हैं। छोटे छोटे बच्चे भी हमारे साथ थे। ये रेलवे मंत्री को पता करना चाहिए था कि यहां रावण जल रहा है।‘’

ट्रेन हादसे के घंटों बाद भी कुछ लोग ऐसे थे जो अपने रिश्तेदारों की, अपने बच्चों की तलाश में रात भर भटकते रहे। अमृतसर के अस्पतालों से लेकर रेलवे ट्रेक के आस पास लोगों को फोटो दिखाकर अपनों को तलाशते रहे। ये ऐसा हादसा है जिसे कोई नहीं भूल सकता। नरसंहार की ये ऐसी तस्वीरें हैं जो बरसों तक इंसानों का कलेजा दहलाते रहेंगे।

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