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Hindi News भारत राष्ट्रीय 3 साल से फ्रीजर में बंद हैं आशुतोष महाराज, भक्तों को है गुरु के लौटने की आस

3 साल से फ्रीजर में बंद हैं आशुतोष महाराज, भक्तों को है गुरु के लौटने की आस

मूल रूप से बिहार के मिथिलांचल क्षेत्र से आने वाले आशुतोष महाराज ने पंजाब को अपनी कर्मभूमि बनाई, जब पंजाब आतंकवाद की आग में जल रहा था। ज्ञान की तलाश में कई गुरुओं का साक्षात्कार कर आशुतोष महाराज ने पाया कि वर्तमान में कोई भी गुरु पूर्ण नहीं हैं। अच्छे

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जालंधर: जालंधर जिले के नूरमहल इलाके में स्थित दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के संस्थापक आशुतोष महाराज को 'क्लिनिकली डेड' घोषित किए जाने के बाद उन्हें 3 साल से संस्थान के एक कमरे में फ्रीजर में रखा गया है। हालांकि, उनके अनुयायियों का मानना है कि वह समाधि में हैं और एक दिन जरूर जागृत होकर लोगों के सामने आएंगे। संस्थान के संस्थापक आशुतोष महाराज की मौत के बारे में ठीक 3 साल पहले चर्चा हुई थी। इसके बाद नूरमहल स्थित आश्रम में श्रद्धालुओं और अनुयायिओं के आने जाने का तांता लग गया था। श्रद्धालुओं का मानना है कि महाराज समाधि में हैं और वह एक दिन आकर अपने भक्तों को जरूर दर्शन देंगे।

यह मामला पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में भी पहुंच चुका है जहां अदालत ने आशुतोष महाराज के पार्थिव शरीर को संरक्षित करने को अपनी मंजूरी दे दी। उन्हें जनवरी 2014 में नैदानिक तौर पर मृत घोषित कर दिया गया था। इससे पहले अदालत की एकल पीठ ने पंजाब सरकार को आशुतोष महाराज का अंतिम संस्कार करने का आदेश दिया था। बाद में हालांकि, अदालत ने एकल पीठ के आदेश पर रोक लगा दी। इसके बाद पिछले साल सितंबर में अदालत ने मौखिक तौर पर कहा कि इस मामले में सभी पक्षों को मिल बैठकर अंतिम फैसला करना चाहिए, क्योंकि मेडिकल रिपोर्ट में महाराज को क्लिनिकली डेड बताया गया है। मामले में अगली सुनवायी फरवरी में होनी है।

दिव्य ज्योति जागृति संस्थान का भी यही कहना है। संस्थान का दावा है कि महाराज समाधि में लीन हैं और वह वापस आएंगे। संस्थान के प्रवक्ता स्वामी विशालानंद ने कहा, 'महाराज समाधि में हैं। वह उठ कर सामने आएंगे। अपने अनुयायियों को दर्शन भी देंगे, लेकिन कब आएंगे इस बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता है।' विशालानंद ने दावा किया, 'महाराज ने समाधि में जाने से पहले बताया था कि वह लंबी समाधि में जा रहे हैं। इसके बाद वह जागृत अवस्था में आएंगे। हालांकि, आने के बारे में उन्होंने कुछ नहीं कहा था। ऐसे भी इस तरह की समाधि कोई नई बात नहीं है। रामकृष्ण परमहंस और आदि गुरू शंकराचार्य भी समाधि में जा कर वापस आए हैं।'

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