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2500 साल बाद आयुर्वेदिक डॉक्टर कर सकेंगे सर्जरी, एलोपैथी के डॉक्टरों ने जताई नाराजगी

भारत सरकार की तरफ से एक फैसला हुआ है जिसमें आयुर्वेदिक डॉक्टरों को 58 तरह की सर्जरी करने के अधिकार दिये गये हैं, इसके लिए सरकार की तरफ से एक नोटिफिकेशन भी जारी किया गया है।

2500 साल बाद आयुर्वेदिक डॉक्टर कर सकेंगे सर्जरी, एलौपैथी के डॉक्टरों ने जताई नाराजगी- India TV Hindi Image Source : INDIA TV 2500 साल बाद आयुर्वेदिक डॉक्टर कर सकेंगे सर्जरी, एलौपैथी के डॉक्टरों ने जताई नाराजगी

नई दिल्ली। आजकल अस्पतालों में डॉक्टरों और मरीजों के बीच एक चर्चा चल रही है कि अब आयुर्वेदिक डॉक्टर भी ऑपरेशन थियेटर में जाकर मरीजों की सर्जरी कर सकेंगे। इस चर्चा की सबसे बड़ी वजह ये है कि भारत सरकार ने एक आदेश जारी किया है। इस पर हमने एक रिपोर्ट तैयार की है जिसमें हमने सरकार से बात की है, आयुर्वेद डॉक्टरों से बात की और एलोपैथिक डॉक्टरों से भी बात की है। अब आयुर्वेदिक डॉक्टर भी ऑपरेशन थियेटर में जाकर 58 तरह की सर्जरी कर सकते हैं, ये फैसला भारत सरकार ने लिया है। अब तक आयुर्वेद में हर्बल मेडिसिन और जड़ी बूंटियों से इलाज करने की बात कही जाती थी लेकिन सरकार के एक फैसले से आयुर्वेद के पोस्ट ग्रेजुएट डॉक्टरों को सर्जरी करने की परमिशन मिल गई है लेकिन इससे एलोपैथी डाक्टर बहुत नाराज हैं लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि इस पूरे फैसले से आपको कितना फायदा होगा।

जानिए आयुर्वेदिक डॉक्टरों को किन ऑपरेशन की परमिशन दी गई है

...क्या हिंदुस्तान में ट्यूमर की सर्जरी अब आयुर्वेदिक डॉक्टर करेंगे, ...क्या अब आंख कान गले का ऑपरेशन करने के लिए आयुर्वेदिक डॉक्टर करेंगे। क्योंकि भारत सरकार की तरफ से एक फैसला हुआ है जिसमें आयुर्वेदिक डॉक्टरों को 58 तरह की सर्जरी करने के अधिकार दिये गये हैं, इसके लिए सरकार की तरफ से एक नोटिफिकेशन भी जारी किया गया है। सबसे पहले आप ये समझ लीजिये कि सरकार ने आयुर्वेदिक डॉक्टरों को इन 58 सर्जरी में किस तरह की सर्जरी करने की इजाजत दी है । आपको बता दें कि हड्डी की सर्जरी, आंखों की सर्जरी, कान-गला, दांत की सर्जरी, स्किन ग्राफ्टिंग, ट्यूमर की सर्जरी, हाइड्रोसील, अल्सर, पेट की सर्जरी के लिए आयुर्वेद में ऑपरेशन की परमिशन दी गई है। 

आयुर्वेदिक डॉक्टरों को सर्जरी के अधिकार का IMA कर रहा विरोध 

देश में सर्जरी के मरीज़ो की बढ़ती संख्या को देखकर सरकार के इस ऐतिहासिक फैसले के बाद इसके विरोध में भी चर्चा शुरू हो गई है। ऐलोपैथिक डॉक्टरों के संगठन आईएमए ने आयुर्वेदिक डॉक्टरों को सर्जरी के अधिकार का विरोध करना शुरू कर दिया है। आईएमए की दलील है कि सरकार इस फैसले से ऐलोपैथी की मॉर्डन सर्जरी को आयुर्वेद के साथ जोड़ना ठीक नहीं है। इसके लिए आयुर्वेद को अपनी अलग से सर्जरी का तरीका तैयार करना चाहिए। IMA ने अपील की है कि CCIM यानी Central Council of Indian Medicine खुद के प्राचीन लेखों से सर्जरी की अलग शिक्षण प्रक्रिया तैयार करें। सर्जरी के लिए मॉडर्न मेडिसिन के तहत आने वाले विषयों पर दावा ना करें। आईएमए का आरोप है कि CCIM की नीतियों में अपने छात्रों के लिए मॉडर्न मेडिसिन से जुड़ी किताबों के ज़रिये इलाज के दोनों तरीकों को मिलाने की कोशिश हो रही है। इसके अलावा सर्जरी आधुनिक मेडिकल साइंस का हिस्सा है और इसे आयुर्वेद के साथ मुख्य धारा में नहीं लाया जा सकता है। 

आयुर्वेद में महर्षि सुश्रुत को माना जाता है सर्जरी का जनक 

सरकार की दलील है कि इस आदेश से सिर्फ़ 58 तरह की सर्जरी करने के लिए अनुमति होगी बाकी कोई भी आयुर्वेदिक डॉक्टर ऑपरेशन नहीं कर सकता है। इस खबर के आने के बाद ऐसा लग रहा था कि कोई भी आयुर्वेदिक और मान्यता प्राप्त डॉक्टर ऑपरेशन कर सकता है लेकिन ऐसा नहीं है, लेकिन बहुत से लोगों को इस ख़बर को सुनकर कई तरह के सवाल आ रहे हैं जैसे- क्या आयुर्वेदिक डाक्टर एक एक्सपर्ट ऐलोपैथिक सर्जन की तरह ऑपरेशन सकते हैं, आयुर्वेदिक डॉक्टरों के सर्जरी करने से कोई नुकसान तो नहीं होगा। आयुर्वेद में हर्बल दवाइयों से इलाज किया जाता है तो उनसे सर्जरी क्यों करवाई जाये। अब इन सवालों के जवाब भी समझ लीजिए। आयुर्वेद के जानकारों का कहना है कि आयुर्वेद के लिए सर्जरी करना कोई नया काम नहीं है। आयुर्वेदिक डाक्टरों को सर्जरी के बारे में पढ़ाया जाता है और पूरी ट्रेनिंग के बाद ही डॉक्टरों को सर्जरी करने दी जायेगी। इसके अलावा आयुर्वेद में 2500 पहले शल्य चिकित्सा का वर्णन है। महर्षि सुश्रुत को सर्जरी का जनक माना जाता है, जिनकी लिखी हुई सुश्रुतसंहिता में हर तरह की सर्जरी का उल्लेख है।

वैसे आयुर्वेद के लिए सर्जरी कोई नया विषय नहीं है लेकिन समय के साथ मॉर्डन सर्जरी के सामने आयुर्वेद की शल्य चिकित्सा धीरे-धीरे गायब होती चली गई। करीब 2500 वर्ष पहले महर्षि सुश्रुत के द्वारा लिखे गये। सुश्रुत संहिता को आयुर्वेद और शल्य चिकित्सा का सबसे प्राचीन संस्कृत ग्रन्थ कहा जाता है। इस 'सुश्रुत संहिता' में 184 अध्याय के जरिये आठ प्रकार की मुख्य शल्य क्रियाओं को बताया गया है। इसके अलावा सुश्रुत संहिता में सर्जरी के लिए इस्तेमाल उपकरणों के बारे में विस्तार से बताया गया है, जो बदलते वक्त साथ मॉर्डन सर्जरी के उपकरण में बदलाव के साथ शामिल होते चले गये। लेकिन अब भारत सरकार एक बार फिर आयुर्वेद में सर्जरी करने का मौका दे रही है। हालांकि इस फैसले ऐलोपेथिक डॉक्टरों को सरकार से बहुत सी शिकायतें हैं लेकिन इसका दूसरा पहलू ये भी है कि इससे सर्जरी के मरीजों की बढ़ती संख्या में कुछ कमी लाई जा सकती है। हालांकि, आयुर्वेदिक डॉक्टरों को सर्जरी वाले इस फैसले को ऑपरेशन थियेटर तक पहुंचने में अभी कुछ वर्षों का समय लगेगा। सर्जन बनाने के लिए एक पूरी ट्रेनिंग प्रोग्राम तैयार किया जा रहा है। उम्मीद की जा रही है कि आयुर्वेदिक डॉक्टरों के जरिये सर्जरी करने से मरीजों का कुछ राहत मिल सकती है।

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