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भोपाल: 33वें लोकरंग की रंगारंग शुरुआत, जलकथा पिथौरा का मंचन

मध्यप्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने भेल दशहरा मैदान में 33वें लोकरंग का शुभारम्भ किया। मध्यप्रदेश शासन,संस्कृति विभाग का यह प्रतिष्ठा आयोजन विगत 32 सालों से आयोजित किया जा रहा है।

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भोपाल: मध्यप्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने भेल दशहरा मैदान में 33वें लोकरंग का शुभारम्भ किया। मध्यप्रदेश शासन,संस्कृति विभाग का यह प्रतिष्ठा आयोजन विगत 32 सालों से आयोजित किया जा रहा है। उद्घाटन के बाद राज्यपाल ने परिसर में लगाई गई प्रदर्शनियों का अवलोकन किया। ये प्रदर्शनियां देवी के एक सौ आठ स्वरूपों पर एकाग्र देवी, कलाओं में नाग पर केन्द्रित मणिधर, सुषिर वाद्यों पर एकाग्र गंधर्व को समर्पित रही।

लोकरंग के इस महाउत्सव में राज्यपाल ने लाल परेड झाxकी, सांस्कृतिक प्रस्तुतियाx, लोकनृत्य, परेड, श्रेष्ठ शासकीय कर्मियों के पुरस्कार प्रदान किए। इसी के बाद उन्होंने मध्यप्रदेश शासन के सम्मानों महात्मागांधी और कालिदास रूपंकर से संस्थाओं और कलाकारों को विभूषित किया।

सम्मान समारोह के पश्चात भीली जनजाति की अनूठी जल कथा पिथौरा का मंचन किया गया। इस प्रदर्शन में लगभग दो सौ कलाकारों ने हिस्सा लिया। पिथौरा के सूत्रधार विख्यात फिल्म कलाकार गोविन्द नामदेव थे, जो लगभग दस दृश्यों में आकर पूरी कथा को तारतम्यता प्रदान करते दिखे। यह कथा जल देवता के आव्हान के भावनात्मक अभिप्रायों से जुड़ी है। जिसमें भील जनजाति का एक बहादुर युवक अनेक बाधाओं को पार करते हुए हिम देव से प्रार्थना करता है कि मेघ को साथ भेज दें ताकि मनुष्यों का जीवन बाधित न हो, खेती किसानी में बाधा न आये,सबका जीवन खुशहाल बने। मूल रूप से इस कथानक को मंच पर लाते हुए चार लेखकों,रंगकर्मियों ने रचा था लोकरंग के उत्सव को देखने के लिए बड़ी संख्या में दर्शक उपस्थित रहे।

​रिपोर्ट इनपुट: प्रतीक खेड़कर

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