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Hindi News भारत राष्ट्रीय बिहार: रहस्‍यमय दिमागी बुखार 'चमकी' से 69 बच्‍चों ने दम तोड़ा, प्रशासन ने 'लीची' से किया सावधान

बिहार: रहस्‍यमय दिमागी बुखार 'चमकी' से 69 बच्‍चों ने दम तोड़ा, प्रशासन ने 'लीची' से किया सावधान

बिहार के मुजफ्फरपुर में रहस्यमय 'चमकी बुखार' का कहर बढ़ता ही जा रहा है। चमकी बुखार से अब तक 66 बच्चों की मौत हो चुकी है।

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बिहार के मुजफ्फरपुर में रहस्‍यमय 'चमकी बुखार' का कहर बढ़ता ही जा रहा है। चमकी बुखार से अब तक 69 बच्चों की मौत हो चुकी है। शनिवार को यहांं​ के विभिन्‍न अस्‍पतालों में भर्ती 7 और बच्‍चों ने दम तोड़ दिया है। इस समय मुजफ्फरपुर में 100 से ज्यादा बच्चे इस बीमारी के चलते भर्ती हैं। इस बीच राज्‍य सरकार ने एक एडवाइजरी जारी की है। जिसमें कई अन्‍य हिदायदों के साथ लीची से सावधानी बरतने को कहा है। एडवाइजरी के अनुसार बच्‍चों को खाली पेट लीची न खाने की सलाह दी गई है, इसके साथ ही कच्‍ची लीची से भी परहेज करने को कहा गया है। 

मुजफ्फरपुर के सबसे बड़े अस्पताल श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में पिछले कई दिनों से हर रोज बड़ी संख्या में बच्चे इलाज के लिए पहुंच रहे हैं। जांच के बाद वही बीमारी सामने आ रही है जिसने पूरे देश की चिंता बढ़ा दी है। इन बच्‍चों में चमकी बुखार यानी एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम के लक्षण पाए गए हैं। अकेले इस अस्पताल में शनिवार सुबह तक 55 बच्चों की मौत हो चुकी है। जबकि मुजफ्फरपुर के एक और बड़े हॉस्पिटल केजरीवाल मातृ सदन में 11 बच्चों की मौत हो चुकी है। 

डॉक्टरों का कहना है कि ज्यादातर बीमार बच्चों में लक्षण एक जैसे दिख रहे हैं... बुखार, उल्टी, शरीर में शुगर लेवल गिरना... और ज्यादातर बच्चों में बीमारी के खतरनाक लक्षण सुबह के वक्त दिखाई दे रहे हैं...

बुखार के लक्षण 

  • बुखार, उल्टी, शुगर लेवल गिरना
  • सुबह के वक्त लगता है बुखार

पिछले 10 दिनों में हालात और खराब 

पिछले दस दिनों में मुजफ्फरपुर के इन दो बड़े अस्पतालों में 220 से ज्यादा बच्चों को एडमिट कराया जा चुका है... अभी मुजफ्फरपुर के अलग-अलग हॉस्पिटल्स में सौ से ज्यादा बच्चों का इलाज चल रहा है। इसके बावजूद डॉक्टरों को अभी तक ये पता नहीं चल पा रहा है कि आखिर ये जानलेवा बीमारी क्यों फैल रही है। 

रहस्‍यमय बीमारी का तिलिस्‍म 

यह बीमारी यहां कई दशकों से हो रही है। जांच के लिए कई देशों की टीम यहां आ चुकी, कई तरह के शोध हो चुके लेकिन कुछ भी पता नहीं चल पाया कि आखिर ये बीमारी क्यों होती है और खास समय में ही क्यों होती है। हालांकि लगातार कोशिशें जारी है लेकिन जिस तरह से इस बार इस बीमारी ने गंभीर रूप धारण कर लिया है मेडिकल साइंस के साथ साथ मुजफ्फरपुर प्रशासन और बिहार सरकार के लिए बड़ी चुनौती है। 

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