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Hindi News भारत राष्ट्रीय चंद्रयान 2 का प्रक्षेपण तकनीकी दिक्कत की वजह से टाला गया, लॉन्चिंग की नई तारीख का ऐलान जल्द

चंद्रयान 2 का प्रक्षेपण तकनीकी दिक्कत की वजह से टाला गया, लॉन्चिंग की नई तारीख का ऐलान जल्द

चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण सोमवार को तड़के 2 बजकर 51 मिनट पर होना था जिसका 56 मिनट 24 सेकेंड पर काउंटडाउन रोक दिया गया। जिसके बाद अब प्रक्षेपण टाल दिया गया है।

Chandrayaan-2 Launch called off for due to 'technical snag', ISRO to announce revised launch date la- India TV Hindi Chandrayaan-2 Launch called off for due to 'technical snag', ISRO to announce revised launch date later

नई दिल्ली: भारत ने सोमवार तड़के होने वाले चंद्रयान-2 के प्रक्षेपण को तकनीकी खामी की वजह से टाल दिया है। इसके लिए अब नई तारीख की घोषणा की जाएगी। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने ट्वीट किया, ‘‘प्रक्षेपण यान में टी-56 मिनट पर तकनीकी खामी दिखी। एहतियात के तौर पर चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण आज के लिए टाल दिया गया है। नई तारीख की घोषणा बाद में की जाएगी।’’ 

चंद्रयान-2 को जीएसएलवी मार्क-।।।-एम-1 रॉकेट के जरिए चांद पर ले जाया जाना था। श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से आज तड़के 2.51 बजे चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण होना था जिस पर पूरे देश की निगाहें लगी थीं। 3,850 किलोग्राम वजनी अंतरिक्ष यान को अपने साथ एक ऑर्बिटर, एक लैंडर और एक रोवर लेकर जाना था। 

आपको बता दें कि इस अभियान की सबसे खास बात यह है कि चंद्रयान चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा। आज तक चंद्रमा के इस हिस्‍से में कोई भी स्‍पेस एजेंसी नहीं पहुंच सकी है। 2008 में लॉन्च हुआ चंद्रयान-1 चंद्रमा की कक्षा में गया जरूर था लेकिन वह चंद्रमा पर उतरा नहीं था। उसे चांद की सतह से 100 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थित कक्षा में स्थापित किया गया था। 

चंद्रयान-2 मिशन पर कुल 978 करोड़ रुपये की लागत आई है। करीब एक दशक पहले चंद्रयान-1 ने चांद की सतह पर पानी की खोज की थी, जो बड़ी उपलब्धि थी। यही वजह है कि भारत ने दूसरे मून मिशन की तैयारी की। चंद्रयान-2 चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा जहां उम्मीद है कि बहुतायत में पानी मौजूद हो सकता है। चंद्रयान-2 मिशन के तहत चांद की 

सतह पर एक रोवर को उतारा जाएगा जो अत्याधुनिक उपकरणों से लैस होगा। रोवर चांद की मिट्टी का विश्लेषण करेगा और उसमें मिनरल्स के साथ-साथ हिलियम-3 गैस की संभावना तलाशेगा, जो भविष्य में ऊर्जा का संभावित स्रोत हो सकता है। 

चंद्रयान-2 के 3 हिस्से हैं- ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर। इनका कुल वजन 3.8 टन है। ऑर्बिटर वह हिस्सा होता है, जो संबंधित ग्रह/उपग्रह की कक्षा में स्थापित होता है और जो उसका परिक्रम करता है। किसी स्पेस मिशन में लैंडर वह हिस्सा होता है जो रोवर को संबंधित ग्रह/उपग्रह की सतह पर उतारता है। रोवर का काम सतह पर मौजूद तत्वों का अध्ययन करना है। 

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