विपक्ष के भारी विरोध के बीच नागरिकता संशोधन विधेयक लोकसभा में पेश
नागरिकता अधिनियम, 1955 का एक और संशोधन करने वाले विधेयक को संसद की मंजूरी मिलने के बाद पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से शरणार्थी के तौर पर आए उन गैर-मुसलमानों को भारत की नागरिकता मिल जाएगी जिन्हें धार्मिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ा हो।
नई दिल्ली। लोकसभा में विपक्षी सदस्यों के भारी विरोध के बीच गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को नागरिकता संशोधन विधेयक पेश किया। लोकसभा में विधेयक को पेश किये जाने के लिए विपक्ष की मांग पर मतदान करवाया गया और सदन ने 82 के मुकाबले 293 मतों से इस विधेयक को पेश करने की स्वीकृति दे दी।
कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस सहित विपक्षी सदस्यों ने विधेयक को संविधान के मूल भावना एवं अनुच्छेद 14 का उल्लंघन बताते हुए इसे वापस लेने की मांग की। गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस, आईयूएमएल, एआईएमआईएम, तृणमूल कांग्रेस समेत विपक्षी सदस्यों की चिंताओं को खारिज करते हुए कहा कि विधेयक कहीं भी देश के अल्पसंख्यकों के खिलाफ नहीं है और इसमें संविधान के किसी अनुच्छेद का उल्लंघन नहीं किया गया। अमित शाह ने सदन में यह भी कहा ‘‘अगर कांग्रेस पार्टी देश की आजादी के समय धर्म के आधार पर देश का विभाजन नहीं करती तो इस विधेयक की जरूरत नहीं पड़ती।’’
नागरिकता अधिनियम, 1955 का एक और संशोधन करने वाले विधेयक को संसद की मंजूरी मिलने के बाद पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से शरणार्थी के तौर पर आए उन गैर-मुसलमानों को भारत की नागरिकता मिल जाएगी जिन्हें धार्मिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ा हो।
अमित शाह ने जब विधेयक पेश करने के लिए सदन की अनुमति मांगी तो कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी ने विधेयक पेश किये जाने का विरोध करते हुए कहा कि यह अल्पसंख्यकों को लक्ष्य कर लाया गया विधेयक है। इस पर गृह मंत्री ने कहा, ‘‘विधेयक देश के अल्पसंख्यकों के 0.001 प्रतिशत भी खिलाफ नहीं है।’’
उन्होंने चौधरी की टिप्पणियों पर कहा कि विधेयक के गुण-दोषों पर इसे पेश किये जाने से पहले चर्चा नहीं हो सकती। सदन की नियमावली के तहत किसी भी विधेयक का विरोध इस आधार पर हो सकता है कि क्या सदन के पास उस पर विचार करने की विधायी क्षमता है कि नहीं। अमित शाह ने कहा ‘‘विधेयक पर चर्चा के बाद मैं सदस्यों की हर चिंता का जवाब दूंगा।’’
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि सदस्यों को विधेयक पर चर्चा के दौरान उनकी विस्तार से बात रखने का मौका मिलेगा। अभी वह अपना विषय संक्षिप्त में रख दें। तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय ने कहा कि गृह मंत्री सदन को गुमराह कर रहे हैं। वह (शाह) इस सदन के नये सदस्य हैं। उन्हें कम जानकारी है। इस पर भाजपा के सदस्यों ने विरोध जताया।
द्रमुक के टी आर बालू ने श्रीलंकाई तमिलों के विषय को उठाया। इसके बाद पार्टी के सदस्यों ने सदन से वाकआउट किया। आईयूएमएल के पी के कुन्हालीकुट्टी और ई टी मोहम्मद बशीर, कांग्रेस के शशि थरूर तथा एआईएमआइएम के असदुद्दीन ओवैसी ने भी विधेयक को संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करने वाला बताते हुए और इसे पेश किये जाने का विरोध किया।
गृह मंत्री शाह ने विधेयक से संविधान के अनुच्छेद 11 और 14 का उल्लंघन होने संबंधी विपक्षी सदस्यों की चिंताओं को खारिज करते हुए कहा, ‘‘मैं सदन को और सदन के माध्यम से पूरे देश को आश्वस्त करना चाहता हूं कि यह विधेयक किसी भी तरह संविधान के किसी अनुच्छेद का उल्लंघन नहीं करता।’’
उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 14 तर्कसंगत वर्गीकरण के आधार पर कानून बनाने से नहीं रोक सकता। शाह ने कांग्रेस और अन्य विपक्षी सदस्यों की टोका-टोकी के बीच कहा, ‘‘अगर कांग्रेस पार्टी आजादी के समय धर्म के आधार पर देश का विभाजन नहीं करती तो इस विधेयक की जरूरत नहीं पड़ती।’’
विपक्ष के सदस्यों ने विधेयक पेश किये जाने पर सदन में मत-विभाजन की मांग की जिसे 82 के मुकाबले 293 मतों से नामंजूर कर दिया गया। इसके बाद गृह मंत्री शाह ने नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 को सदन में चर्चा और पारित करने के लिए पेश कर दिया।