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Hindi News भारत राष्ट्रीय रथयात्रा के लिए पुरी में ‘कर्फ्यू जैसा’ बंद लागू

रथयात्रा के लिए पुरी में ‘कर्फ्यू जैसा’ बंद लागू

पुलिस महानिदेशक ने यह भी कहा कि नौ दिवसीय उत्सव में सुरक्षा के लिए पुलिस बल की 50 से अधिक प्लाटून तैनात की जा रही हैं। बल की एक प्लाटून में 30 कर्मी शामिल होते हैं। 

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भुवनेश्वर. ओडिशा सरकार ने भगवान जगन्नाथ की ऐतिहासिक रथयात्रा से पहले पुरी में ‘कर्फ्यू जैसा’ बंद लागू कर दिया और लोगों से अपील की कि वे 23 जून को रथयात्रा निकाले जाने के समय कोविड-19 महामारी की वजह से अपने घरों से बाहर न निकलें। राज्य के पुलिस महानिदेशक अभय ने कहा कि समूचे जिले में सोमवार रात नौ बजे से बुधवार अपराह्न दो बजे तक ‘‘कर्फ्यू जैसा’’ बंद लागू रहेगा।

उन्होंने लोगों से अपील की कि वे कोविड-19 महामारी के बीच रथयात्रा का जश्न मनाने के दौरान उच्चतम न्यायालय के निर्देशों का पालन करें। पुलिस महानिदेशक ने यह भी कहा कि नौ दिवसीय उत्सव में सुरक्षा के लिए पुलिस बल की 50 से अधिक प्लाटून तैनात की जा रही हैं। बल की एक प्लाटून में 30 कर्मी शामिल होते हैं। अभय ने कहा, ‘‘रथयात्रा आयोजन की उम्मीद में हमने रविवार शाम से ही बल की तैनाती शुरू कर दी थी।’’

अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कानून व्यवस्था) सौमेंद्र प्रियदर्शी ने कहा कि क्योंकि इस बार केवल पुरी में ही रथयात्रा निकालने की अनुमति है, इसलिए पुलिस का ध्यान मुख्यत: तीर्थनगरी पर ही केंद्रित होगा। महानिदेशक ने कहा कि पुरी के लोगों को यात्रा देखने के लिए जहां घर से बाहर निकलने से बचना चाहिए, वहीं राज्य के अन्य हिस्सों के लोगों से आग्रह किया गया है कि वे तीर्थनगरी में समुद्र की तरफ वाले क्षेत्र की ओर न आएं। उन्होंने कहा, ‘‘पुरी और बाहर के, सभी श्रद्धालु यात्रा को टेलीविजन पर देख सकते हैं।’’

इस बीच, पुरी के सभी प्रवेश बिन्दु सील कर दिए गए हैं और यात्रा तैयारियों से जुड़े वाहनों को छोड़कर अन्य किसी वाहन को आवागमन की अनुमति नहीं है। मुख्य सचिव अजय त्रिपाठी और पुलिस महानिदेशक के अतिरिक्त राज्य सरकार के विभिन्न विभागों के सभी वरिष्ठ अधिकारी कल निकलने वाली रथयात्रा की तैयारियों का जायजा लेने पुरी पहुंच गए हैं। त्रिपाठी ने कहा, ‘‘सभी संबंधित विभाग पूरी तरह तैयार हैं। उच्चतम न्यायालय के सभी निर्देशों का पालन किया जाएगा।’’ उच्चतम न्यायालय ने पुरी में रथयात्रा की अनुमति देते हुए कहा कि वह परंपराओं का सूक्ष्म प्रबंधन नहीं कर सकता तथा इसे राज्य, केंद्र और मंदिर प्रबंधन के विवेक पर छोड़ता है।

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